ईडी उन मामलों की जांच करती हैं, जिसमें ब्लैक मनी को व्हाइट मनी किया गया हो, साथ ही विदेशों से पैसे के लेन-देन में अगर कोई गड़बड़ी हुई हो यानी फेमा कानून में कोई गड़बड़ी हुई हो तो उसकी जांच भी ईडी करती है. आम आदमी की भाषा में कहें तो ब्लैक मनी को व्हाइट मनी बनाने के पीछे जो हथकंडे अपनाए जाते हैं, उनकी जांच ईडी करती है.
अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने शराब घोटाला मामले में 12 जुलाई को जमानत दे दी है. Directorate of Enforcement यानी प्रवर्तन निदेशालय ने अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था उसके बाद से वे जेल में हैं. सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी अभी वे जेल में हैं क्योंकि सीबीआई ने भी उन्हें गिरफ्तार किया है. शराब घोटाला मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सीबीआई ने उनकी गिरफ्तारी की है, 18 जुलाई को इस मामले में सुनवाई होनी है.
ईडी द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी का मामला पूरे देश में चर्चा का केंद्र बना रहा. यहां यह समझना बहुत जरूरी है कि आखिर ईडी कैसे किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करती है और क्या हैं उसकी शक्तियां?
क्या है ईडी और कब हुआ था गठन
ईडी फाइनांस डिपार्टमेंट का एक विंग है और यह आर्थिक अपराधों और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच करती है. ईडी की स्थापना1956 में हुई थी. उस वक्त यह संगठन विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 के अंतर्गत विनिमय नियंत्रण विधियों के उल्लंघन को रोकने के लिए कार्य करता था. ईडी की जिम्मेदारी तब ज्यादा बढ़ गई जब देश में एक नया एक्ट धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 (Prevention of Money Laundering Act, 2002) बना और प्रवर्तन निदेशालय को पीएमएलए के तहत जांच करने का जिम्मा सौंपा गया. धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 एक जुलाई 2005 से प्रभावी हुआ है.
ईडी कैसे करती है काम और क्या हैं अधिकार
वरिष्ठ पत्रकार शकील अख्तर ने बताया कि ईडी उन मामलों की जांच करती हैं, जिसमें ब्लैक मनी को व्हाइट मनी किया गया हो, साथ ही विदेशों से पैसे के लेन-देन में अगर कोई गड़बड़ी हुई हो यानी फेमा कानून में कोई गड़बड़ी हुई हो तो उसकी जांच भी ईडी करता है. आम आदमी की भाषा में कहें तो ब्लैक मनी को व्हाइट मनी बनाने के पीछे जो हथकंडे अपनाए जाते हैं, उनकी जांच ईडी करती है. आजकल देश में मनी लाॅड्रिंग के मामले काफी बढ़ गए हैं, इसलिए ईडी का दखल भी कई मामलों में बढ़ गया है.
गिरफ्तारी के संबंध में ईडी के विशेषाधिकार
शकील अख्तर बताते हैं कि धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 ने ईडी को कई विशेष अधिकार दिए हैं, जिसके तहत ईडी कार्रवाई करती है. ईडी को यह विशेषाधिकार है कि अगर उसे यह शंका हो कि कोई व्यक्ति मनी लाॅड्रिंग के केस में शामिल हो सकता है, तो वह उसकी गिरफ्तारी कर सकती है. एक्ट के सेक्शन 19 में इस बात का प्रावधान है.
धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के तहत ईडी जब किसी को समन करती है, तो वह यह बताने के लिए बाध्य नहीं है कि वह संबंधित व्यक्ति को गवाह के तौर पर बुला रही है या फिर आरोपी के तौर पर. साथ ही किसी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भी ईडी को संबंधित सरकारों से अभियोजन स्वीकृति भी नहीं लेनी पड़ती है. साथ ही सेक्शन 16 के तहत ईडी को किसी मामले में सर्वे करने का भी अधिकार होता है.
ईडी कितना समन भेजेगी इसकी संख्या निर्धारित नहीं
ईडी के विशेषाधिकारों की बात करते हुए अधिवक्ता अवनीश रंजन मिश्रा ने बताया कि धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 में संसद द्वारा पारित हुआ, लेकिन प्रभावी हुआ 1 जुलाई 2005 से. इस अधिनियम के तहत 3 से 7 साल तक की सजा का प्रावधान है. यह संज्ञेय और गैर जमानती अपराध है.
ईडी को अपने अनुसंधान के दौरान समन भेजने का अधिकार है और समन कितना भेजा जाएगा, इसकी संख्या निर्धारित नहीं है. ईडी चूंकि दस्तावेज आधारित अनुसंधान करता है, इसलिए पूछताछ के दौरान जो बातें सामने आती हैं उनसे मुकरना आरोपी के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है. इसे इस तरह समझा जा सकता है कि किसी व्यक्ति के खाते में अगर एक करोड़ रुपए आते हैं और वह आईटीआर उससे संबंधित नहीं डालता है, तो उसके लिए अपना बचाव करना मुश्किल होगा और उसे यह मानना होगा कि ईडी के आरोप सही हैं.