केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड के अधिकारों से जुड़े नियमों में बड़े बदलाव करने की तैयारी में है इसके लिए सरकार इसी सत्र में संसद में संशोधन विधेयक ला सकती है। नए संशोधन में वक्फ की कई शक्तियों को छीना जा सकता है। जानिए फिलहाल क्या हैं वक्फ बोर्ड की शक्तियां और नए अधिनियम में क्या हो सकते हैं बड़े बदलाव |
वक्फ संपत्तियों को लेकर विवाद और वक्फ बोर्ड के अधिकारों को नियंत्रित करने की उठ रही मांग के बीच सरकार वक्फ अधिनियम में संशोधन की तैयारी में जुट गई है। बताया जा रहा है कि वक्फ अधिनियम में 40 प्रमुख संशोधनों के प्रस्ताव को गत दिवस कैबिनेट की बैठक में स्वीकृति दी जा चुकी है।
संसद में संशोधन विधेयक पारित हो जाने के बाद वक्फ बोर्ड की अनियंत्रित शक्तियां कम हो जाएंगी। बोर्ड किसी भी संपत्ति पर बिना सत्यापन अपना आधिपत्य घोषित नहीं कर सकेगा। बताया जाता है कि रेलवे और सशस्त्र बल के बाद सर्वाधिक भूमि का स्वामित्व रखने वाले वक्फ बोर्ड के अनियंत्रित अधिकारों में कटौती के लिए अधिनियम में संशोधन की तैयारी मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले ही शुरू कर दी थी
वक्फ बोर्ड : लंबे समय से उठ रही थी मांग
मुस्लिम बुद्धिजीवी, महिलाएं, शिया और बोहरा जैसे मुस्लिम समुदाय लंबे समय से कानून में बदलाव की मांग भी कर रहे थे। देश में अभी 30 वक्फ बोर्ड हैं। सभी वक्फ संपत्तियों से प्रति वर्ष 200 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है। यह ऐसी संस्थाओं के पास मौजूद संपत्तियों की संख्या के अनुरूप नहीं है। मूल रूप से वक्फ बोर्डों के पास पूरे देश में लगभग 52 हजार संपत्तियां थीं।
साल 2009 तक, चार लाख एकड़ जमीन वाली तीन लाख पंजीकृत वक्फ संपत्तियां थीं। आज की तारीख में वक्फ बोर्ड के पास आठ लाख एकड़ से अधिक में फैली हुई 8,72,292 संपत्तियां हैं। सूत्रों के अनुसार, संप्रग सरकार ने 2013 में 1995 के मूल वक्फ अधिनियम में बदलाव करके बोर्ड की शक्तियों को बढ़ाया था। इस तरह वक्फ बोर्ड के पास वर्तमान में किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार है।
कई बार निजी फायदे के लिए होता है संपत्ति का इस्तेमाल
दलील यह दी जाती है कि यह संपत्ति जरूरतमंद मुस्लिमों की भलाई के लिए है, लेकिन देखा गया है कि कुछ प्रभावशाली लोग इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। कई लोगों की संपत्ति को जबरन भी वक्फ संपत्ति घोषित करने का विवाद है। वक्फ अधिनियम 1995 में लागू किया गया था। यह वक्फ के रूप में दान की गई और अधिसूचित संपत्तियों को नियंत्रित करता है।
संशोधन विधेयक पारित होने के बाद भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और हस्तांतरण में बड़ा बदलाव आएगा। इससे अन्य इस्लामी देशों में वक्फ बोर्ड के पास जो ताकत है, उसके हिसाब से यह काम कर पाएगा। दुनिया के किसी भी देश में वक्फ बोर्ड के पास इतनी व्यापक शक्तियां नहीं हैं। गौरतलब है कि कुछ वर्ष पूर्व दिल्ली हाई कोर्ट ने भी दिल्ली की 123 ऐसी ही विवादित संपत्तियों की जांच करने का आदेश दिया था।
बिना सत्यापन जमीन नहीं ले सकेगा वक्फ बोर्ड
प्रस्तावित विधेयक इसी सत्र में लाया जा सकता है और अगर यह पारित हो गया तो वक्फ बोर्ड बिना सत्यापन किसी भी संपत्ति पर अधिकार घोषित नहीं कर सकेगा। वक्फ बोर्ड कई बार ऐसे दावे करता रहा है, जिससे विवाद हुआ। उदाहरण के लिए सितंबर 2022 में तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने पूरे थिरुचेंदुरई गांव पर अपना हक होने का दावा किया, जहां सदियों से बहुसंख्यक हिंदू आबादी रहती थी।
अधिनियम में संशोधन के बाद ऐसा नहीं हो सकेगा, क्योंकि दावे से पहले प्रत्येक संपत्ति के सत्यापन की व्यवस्था अनिवार्य की जा सकती है। वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 3 में कहा गया है कि अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि कोई जमीन वक्फ की संपत्ति है तो उसके लिए सिर्फ इतना सोचना ही काफी है। इसके लिए वक्फ बोर्ड को किसी सुबूत की जरूरत नहीं पड़ती है। अगर वक्फ बोर्ड यह मान ले कि कोई संपत्ति उसकी है, तो संपत्ति का मालिक कोर्ट भी नहीं जा सकता। हालांकि, वक्फ ट्रिब्यूनल कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है।
नए कानून से यह होगा बदलाव
- नए प्रविधानों के तहत वक्फ बोर्ड की विवादित पुरानी संपत्तियों का भी फिर से सत्यापन करना होगा।
- बोर्ड की संरचना में बदलाव करते हुए इसमें महिलाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी।
- वक्फ बोर्डों को अपनी संपत्तियों का वास्तविक मूल्यांकन करने के लिए जिलाधिकारियों के पास रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
- नया संशोधन उन संपत्तियों पर भी लागू होगा जिन पर वक्फ बोर्ड और व्यक्तिगत मालिकों द्वारा दावे और प्रतिदावे किए गए हैं।
- प्रस्तावित बिल के अनुसार, वक्फ बोर्डों द्वारा किए गए सभी दावों के अनिवार्य और पारदर्शी सत्यापन की आवश्यकता होगी।
- वक्फ अधिनियम की धारा 9 और 14 में बदलाव कर केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड की संरचना में परिवर्तन किया जा सकता है।
वक्फ बोर्ड, क्यों पड़ी संशोधन की जरूरत?
एएनआई के अनुसार, मुसलमान खुद पूछ रहे थे कि सरकार वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन क्यों नहीं कर रही है? वक्फ बोर्ड में केवल शक्तिशाली लोग ही शामिल हैं, आम मुसलमान नहीं। राजस्व को लेकर सवाल पूछे जा रहे थे। किसी को यह जानने की अनुमति नहीं थी कि कितना राजस्व उत्पन्न होता है। भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे थे। न तो राज्य सरकार और न ही केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों में हस्तक्षेप कर सकती है।
हालांकि, संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्ति जिला कलेक्टर के कार्यालय में पंजीकृत करानी होगी, ताकि संपत्ति का मूल्यांकन किया जा सके। सूत्रों ने बताया कि राजस्व की जांच और वक्फ में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक समिति होनी चाहिए। वक्फ संपत्तियां केवल मुसलमानों के लाभ के लिए होनी चाहिए |