महाभारत का युद्ध आज भी लोगों के लिए एक सीख की तरह काम करता है। ऐसा कहा जाता है कि उस दौरान हुई हर घटना का अर्थ आने वाले कल के लिए एक प्रत्यक्ष उदाहरण की तरह है। अगर जब कभी महाभारत काल (Mahabharat) की चर्चा होती है या कथा पढ़ी जाती है, तो लोगों के मन में अर्जुन पुत्र अभिमन्यु (Abhimanyu) का नाम अवश्य आता है, जिन्होंने अपनी बहादुरी से कुरु वंश का सामना किया था
पौराणिक कथाओं के अनुसार, अभिमन्यु का वध चक्रव्यूह में घुसने के कारण हुआ था, जिससे निकलना सिर्फ श्रीकृष्ण और उनके पिता अर्जुन को ही आता था। वहीं, आज हम वीर अभिमन्यु के पुत्र की रक्षा भगवान कृष्ण ने कैसे की थी इसके बारे में जानेंगे, जो इस प्रकार
भगवान कृष्ण ने अभिमन्यु पुत्र को किया था जीवित
आपको बता दें, उत्तरा और अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित (Raja Parikshit) पांडवों के एकमात्र उत्तराधिकारी थे। ग्रंथों और पौराणिक कथाओं के अनुसार, अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र चलाकर उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु यानी अभिमन्यु के बेटे को मारने की कोशिश की थी। उसके इस प्रयास को भगवान कृष्ण ने निरर्थक साबित कर दिया था। दरअसल, मुरलीधर ने ब्रह्मास्त्र के प्रभाव को बेअसर कर दिया और अपनी पूर्ण शक्तियों का प्रयोग कर उस शिशु को जीवनदान दिया।
राजा परीक्षित की मृत्यु के बाद हुई थी कलयुग की शुरुआत
बता दें, पांडवों के बाद राजा परीक्षित को हस्तिनापुर का सिंहासन मिला था, जिन्होंने न्यायपूर्ण उस राज्य पर शासन किया और शांति की स्थापना की। ऐसा कहा जाता है कि एक श्राप के कारण राजा परीक्षित की सांप डसने से मृत्यु हुई थी। वहीं, उनकी मृत्यु के बाद से ही कलयुग की शुरुआत हुई थी
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