कोलकाता में जूनियर डॉक्टरों का आमरण अनशन सोमवार को 10वें दिन भी जारी रहा। 2 और डॉक्टरों की इस दौरान हालत बिगड़ गई, जिसके बाद एक डॉक्टर को हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा। एनआरएस मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के जूनियर डॉक्टर पुलस्थ आचार्य को रविवार रात पेट में तेज दर्ज के बाद हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा। हॉस्पिटल के एक सीनियर डॉक्टर ने बताया, ‘पुलस्थ सीसीयू में हैं और उनकी हालत बिगड़ गई है। हमने उनके इलाज के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया है।’
कोलकाता मेडिकल कॉलेज की एक अन्य जूनियर डॉक्टर तान्या पांजा की भी सोमवार दोपहर में तबीयत खराब होने के लक्षण दिखे। ट्रेनी डॉक्टर को न्याय, स्वास्थ्य सचिव को हटाने, सुरक्षा समेत कई मांगों के लिए भूख हड़ताल पर बैठे हैं।
ज्यादातर हड़ताली डॉक्टर की तबीयत खराब
एक प्रदर्शनकारी डॉक्टर ने कहा, ‘तान्या की हालत स्थिर नहीं है और उन्हें फिलहाल प्रदर्शन स्थल पर निगरानी में रखा गया है। हमें अभी यह तय करना है कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है या नहीं।’ डॉक्टर ने कहा, ‘भूख हड़ताल पर बैठे ज्यादातर जूनियर डॉक्टरों की हालत ठीक नहीं है। हम उन पर नजर रख रहे हैं।’
अनशन पर हैं कोलकाता के 7 डॉक्टर्स
कोलकाता और सिलीगुड़ी शहर में भूख हड़ताल पर बैठे तीन जूनियर डॉक्टरों को पहले ही उनकी स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अभी आमरण अनशन पर 7 डॉक्टर बैठे हैं, जिसमें नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग के एक जूनियर डॉक्टर भी शामिल हैं, जो आज दोपहर हड़ताल में शामिल हुए।
इस बीच, मुख्य सचिव मनोज पंत ने डॉक्टरों के संयुक्त मंच (जेपीडी) से 15 अक्टूबर को होने वाले प्रदर्शन को रद्द करने का आग्रह किया है। मुख्य सचिव ने कहा कि वार्षिक दुर्गा पूजा कार्निवल के बीच ऐसा प्रदर्शन ठीक नहीं है। उन्होंने जेपीडी को अपनी मांगों पर चर्चा करने के लिए राज्य स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय, स्वास्थ्य भवन में एक बैठक के लिए आमंत्रित किया है। एक ईमेल में पंत ने यह भी अनुरोध किया कि जेपीडी जूनियर डॉक्टरों को उनके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए भूख हड़ताल कर देनी चाहिए।
9 अगस्त के बाद से प्रदर्शन जारी
चिकित्सकों की भूख हड़ताल 5 अक्टूबर को शुरू हुई थी। मामला कोलकाता के आरजी मेडिकल कॉलेज में 9 अगस्त को एक ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या से जुड़ा है। यह मेडिकल कॉलेज राज्य सरकार संचालित करती है। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। जूनियर डॉक्टर्स ने ने दो चरणों में लगभग 50 दिनों तक ‘काम बंद’ रखा था।