Pitru Paksha-पितृ पक्ष 2024: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि पितर प्रसन्न होते हैं तो घर में सुख-समृद्धि व खुशहाली का वास होता है. वहीं यदि पितर नाराज हैं तो बनते काम भी बिगड़ने लगते हैं. इसलिए पितरों को प्रसन्न रखना बेहद जरूरी है और इसके लिए पितृ पक्ष के 15 दिन बहुत खास होते हैं. इस दौरान पितरों का विधि-विधान से श्राद्ध कर्म किया जाता है
और शास्त्रों में इस बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. कहते हैं कि श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वह प्रसन्न होकर परिवार को अपना आशीर्वाद देते हैं. शास्त्रों में यह भी उल्लेख किया गया है कि पितृ पक्ष में कौन श्राद्ध कर सकता है और कौन नहीं. आइए जानते हैं पितृ पक्ष के नियम
पितृ पक्ष में कौन कर सकता है श्राद्ध?
- र्म शास्त्रों के अनुसार पितरों के श्राद्ध का पहला अधिकार बड़े पुत्र का होता है. यदि बड़ा बेटा जीवित न हो तो छोटा पुत्र श्राद्ध कर सकता है.
- अगर बड़े बेटे की शादी हो गई है तो उसे अपनी पत्नी के साथ मिलकर ही श्राद्ध करना चाहिए. इससे पूर्वज खुश होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है.
- हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक श्राद्ध का अधिकार केवल पुत्र को होता है. यदि किसी व्यक्ति का पुत्र नहीं है तो उसका श्राद्ध भाई का पुत्र यानि भतीजा भी कर सकता है.
- यदि मृत व्यक्ति का कोई भाई या भतीजा नहीं है तो उसकी पुत्री का बेटा भी श्राद्ध कर सकता है. माना गया है कि इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.
पितृ पक्ष में क्या करें और क्या नहीं?
- जिस दिन घर में पितरों का श्राद्ध है उस दिन श्राद्ध के दौरान ब्राह्मणों को यथाशक्ति भोजन कराना चाहिए.
- अगर कोई व्यक्ति जनेऊधारी है तो पिंडदान के दौरान उसे बाएं की जगह दाएं कंधे पर रखें.
- ध्यान रखें कि पिंडदान हमेशा चढ़ते सूर्य के समय में करें. यानि पिंडदान या श्राद्ध कर्म सुबह के समय ही किया जाना है. शाम को या अंधेरे में पिंडदान नहीं किया जाता.
- पिंडदान के लिए कांसे या तांबे या चांदी के बर्तन, प्लेट या पत्तल का इस्तेमाल करना चाहिए.
- पितरों का श्राद्ध करते समय मुख दक्षिण दिशा की ओर हो.
डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. India.Com इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें