गोपालगंज जिले के भोरे थानाक्षेत्र के बलवा गांव में एक विवादित जमीन को लेकर थानाध्यक्ष दीपिका रंजन पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। पीड़ित मोहित कुमार श्रीवास्तव ने एसपी को आवेदन देकर न्याय की मांग की है।
थानाध्यक्ष ने बनाया रास्ता देने का दबाव
पीड़ित मोहित श्रीवास्तव का कहना है कि उनके पट्टेदार धीरज श्रीवास्तव और सौरभ श्रीवास्तव उनकी काश्तकारी जमीन पर जबरन रास्ता निकालना चाहते हैं। जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो पट्टेदारों ने भोरे थानाध्यक्ष से संपर्क किया। इसके बाद थानाध्यक्ष ने कथित तौर पर ईंट हटाने और रास्ता देने का दबाव बनाया, जबकि जमीन का विवाद पहले से टाइटल सूट संख्या 185/2024 के तहत कोर्ट में लंबित है।
गोपालगंज पुलिस ने तोड़फोड़ और परिजनों से की मारपीट
गोपालगंज पीड़ित के अनुसार, 11 नवंबर को थानाध्यक्ष दीपिका रंजन सीओ और पुलिस बल के साथ उनके घर पहुंचीं। वहां उन्होंने घर में लगे सीसीटीवी कैमरे और डीवीआर को नष्ट कर दिया। इसके बाद परिवार के सदस्यों पर लाठी-डंडों से हमला किया गया। जब पीड़ित और उनके परिजन घर में भागे, तो पुलिस ने दरवाजे तोड़कर घर में घुसकर महिलाओं और किशोरियों सहित कई लोगों को पीटा।
गिरफ्तारी की दी धमकी
आरोप है कि गोपालगंज पुलिस ने दो नाबालिग लड़कियों सहित पांच लोगों को रात भर थाने में रखा और अगले दिन हथुआ एसडीएम कोर्ट में पेश किया। यह भी आरोप है कि पीड़ित के भाई से सादे कागज पर धमकी देकर मनमाफिक बयान लिखवाया गया। पीड़ित मोहित कुमार श्रीवास्तव ने एसपी से गुहार लगाई है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
प्रशासन का है ऐसा रवैया
इस मामले में पुलिस या संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। घटना को लेकर क्षेत्र में चर्चा का माहौल गरम है और लोग पुलिस की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं। घटना में पुलिस के पद का दुरुपयोग और पीड़ितों के मानवाधिकारों के हनन के गंभीर आरोप लगे हैं। ऐसे में मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग उठ रही है, ताकि सच्चाई सामने आ सके।