बिहार जमीन सर्वे का काम चल रहा है. सरकार की ओर से बताया गया है कि सर्वे का उद्देश्य जमीनों के रिकॉर्ड को सुधारना और उसकी वैधानिकता की पुष्टि करना है, ताकि जमीन के स्वामित्व और खरीद-बिक्री को लेकर किसी भी तरह के फर्जीवाड़े पर रोक लग जाए. वहीं, इस बीच जमीन सर्वे से जुड़े राजस्व विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि भूमि के रिकॉर्ड का आधार से लिंक करना भी जरूरी हो गया है, जिससे फर्जीवाड़े को रोका जा सके. राजस्व विभाग के अनुसार, यदि कोई किसी जमीन को दोबारा बेचना चाहता है तो यह मामला आधार से लिंक होने पर पकड़ में आ जाएगा. इसके साथ ही आधार लिंक से यह भी पता चलेगा कि एक व्यक्ति के नाम से कितनी भूमि है. जमीन के आधार से लिंक होने के बाद फर्जीवाड़े को रोका जा सकेगा जिससे भूमि विवाद कम होंगे. आगे यह जानकारी दी गई है कि
बता दें कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने बिहार के सभी जिलों के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर वैसी भूमि को आधार सीडिंग करने को के लिए कहा है जिसकी जमाबंदी हो चुकी है. जिलों में 31 मई तक आधार सीडिंग का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. बता दें कि पिछले वर्ष राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने भूमि के फर्जीवाड़ा रोकने के विवाद को कम करने के लिए जमीन रिकॉर्ड को आधार से सीडिंग करने का निर्णय लिया था. इसी के आलोक में यह काम चल रहा है. राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जो लोग भूमि को आधार से लिंक करने के लिए आवेदन दे रहे हैं, इसकी छानबीन कराई जा रही है और उसके बाद रिकॉर्ड को आधार लिंक पर दिया जा रहा है.
कैसे करा सकते हैं अपनी भूमि का आधार लिंक?
राजस्व विभाग के अनुसार, यदि आप अपनी भूमि के रिकॉर्ड को आधार से सीडिंग (लिंक) करना चाहते हैं तो राजस्व और भूमि सुधार विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा. इससे भूमि से संबंधित दस्तावेज- जैसे रजिस्ट्री की कॉपी, जमाबंदी नंबर और रसीद यदि एलसी है तो वह भी दे सकते हैं. आवेदन करने के बाद संबंधित आंचल में रिकॉर्ड के अनुसार इसकी छानबीन की जाती है और आंचल स्तर से ही उस भूमि को आधार से लिंक कर दिया जाता है.
आधार से जमीन के दस्तावेजों की सीडिंग कैसे हो रही?
राजस्व विभाग ने इसके लिए अंचल कार्यालय में कार्यालय कर्मचारियों को इस काम की जिम्मेदारी सौंपी है. इसके तहत 31 मई तक आवेदन किए गए भूमि के रिकॉर्ड को आधार से लिंक करने का लक्ष्य रखा गया है. विभाग के अनुसार इसको लेकर पटना में काफी काम हो चुके हैं और अब तक 13 लाख से अधिक लोगों ने भूमि का रिकॉर्ड को आधार पर सीडिंग कर लिया है. बता दें कि जिले में 17 लाख से अधिक लोगों ने आवेदन दिया है और 13 लाख की सीडिंग होने के बाद बाकी के आवेदनों की जांच चल रही है.
TB Symptoms: रोहतास में टीबी विस्फोट, उन्मूलन के लिए चलाए रहे जागरूकता कार्यक्रम, रोजाना 50 से अधिक मरीज
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Agency:News18 Bihar
Last Updated:May 08, 2025, 23:37 IST
TB Symptoms: जिले में टीबी (क्षय रोग) के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से की जा रही नियमित जांच में हर दिन औसतन 50 से अधिक संदिग्ध मरीज सामने आ रहे हैं, जिनमें से लगभग 10 मरीजों की रिपोर्ट…और पढ़ें
रोहतास. जिले में टीबी (क्षय रोग) के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से की जा रही नियमित जांच में हर दिन औसतन 50 से अधिक संदिग्ध मरीज सामने आ रहे हैं, जिनमें से लगभग 10 मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव पाई जा रही है. इस alarming आंकड़े के बाद जिला स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सतर्क हो गया है और टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चला रहा है.
कुल 38 पंचायतों को किया गया चिन्हित
टीबी उन्मूलन को लेकर जिला यक्ष्मा विभाग सक्रिय रूप से काम कर रहा है. सदर अस्पताल के अलावा जिले के सभी अनुमंडलीय अस्पताल, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (UPHC) और पीएचसी में टूनेट मशीन से टीबी की जांच की जा रही है. जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. आशित रंजन ने बताया कि फिलहाल टीबी की रोकथाम और जागरूकता के लिए पंचायत स्तर तक काम किया जा रहा है. पहले चरण में जिले की सभी प्रखंडों की दो-दो पंचायतों को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य तय किया गया है, जिससे कुल 38 पंचायतों को चिन्हित किया गया है.
उन्मूलन के लिए चौपाल, ग्राम पंचायत मीटिंग और जागरूकता रैलियों का आयोजन
टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को प्रभावी बनाने के लिए समुदाय स्तर पर चौपाल, ग्राम पंचायत मीटिंग और जागरूकता रैलियों का आयोजन किया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से लोगों को यह समझाने में जुटा है कि लगातार दो सप्ताह से ज्यादा खांसी हो, रात में बुखार आए, वजन तेजी से घटे या बलगम में खून आए तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जांच कराएं.
सरकार की ओर से मुफ्त जांच और इलाज की सुविधा उपलब्ध
सिविल सर्जन डॉ. मणिराज रंजन ने बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो मुख्यत: हवा के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है इसलिए समय पर जांच और इलाज बेहद जरूरी है. उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से मुफ्त जांच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है और विभाग लगातार इसकी निगरानी कर रहा है. उन्होंने कहा कि टीबी नियंत्रण को लेकर वह स्वयं फील्ड में निगरानी कर रहे हैं और इस दिशा में लगातार समीक्षा की जा रही है.
850 से 900 टीबी मरीजों की पहचान
डॉ. रंजन ने यह भी जानकारी दी कि अब तक जिले में 850 से 900 टीबी मरीजों की पहचान की जा चुकी है. सभी को उनके नजदीकी सरकारी अस्पताल में दवा और इलाज की सुविधा दी जा रही है. बांकी बचे संभावित मरीजों की पहचान और इलाज सुनिश्चित करने के लिए अस्पताल प्रशासन पूरी तरह जुटा हुआ है.
समुचित इलाज से पाया जा सकता है टीबी पर पूरी तरह काबू
स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि समय पर पहचान और समुचित इलाज से टीबी पर पूरी तरह काबू पाया जा सकता है. इसके लिए विभाग ने जांच का दायरा बढ़ाने, जागरूकता फैलाने और फॉलोअप इलाज सुनिश्चित करने जैसे तमाम जरूरी कदम उठाए हैं.