पश्चिम बंगाल में बाढ़ को लेकर सीएम ममता बनर्जी ने शुक्रवार को पीएम नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर चेतावनी दी है। चार पन्नों के पत्र में ममता बनर्जी ने लिखा, अगर दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) एकतरफा ढंग से पानी छोड़ना जारी रखता है तो हम उनके साथ किए गए समझौते को तोड़ देंगे।
ममता बनर्जी ने दावा किया, ‘डीवीसी के स्वामित्व और रखरखाव वाले मैथन और पंचेत बांधों के जॉइंट सिस्टम से तकरीबन पांच लाख क्यूसेक पानी अभूतपूर्व, अनियोजित और एकतरफा तरीके से छोड़ा गया। जिससे दक्षिण बंगाल के सभी जिले विनाशकारी बाढ़ में डूब गए हैं।
50 लाख लोग प्रभावित
बाढ़ से 50 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। हम इस जारी अन्याय को साल दर साल अपने लोगों को प्रभावित करने की इजाजत नहीं दे सकते।’ इसके साथ ही ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री से इस तबाही से निपटने के लिए केंद्रीय निधि से तुरंत राशि जारी करने का अनुरोध किया है।
2009 के बाद से सबसे बड़ी बाढ़
लोअर दामोदर और आसपास के इलाकों में 2009 के बाद सबसे बड़ी बाढ़ आई है, इससे 1,000 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में बसे लगभग 50 लाख लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है। उन्होंने बाढ़ के लिए डीवीसी को जिम्मेदार ठहराया और इसे मानव निर्मित बाढ़ कहा। ममता बनर्जी ने चेतावनी देते हुए कहा कि राज्य सरकार डीवीसी से पूरी तरह से अलग हो जाएगी और अपनी भागीदारी वापस ले लेगी।
बंगाल सरकार ने एंट्री की बैन, फंसे हज़ारों ट्रक
पश्चिम बंगाल सरकार ने झारखंड-बंगाल सीमा पर डिबूडीह चेकपोस्ट पर झारखंड की ओर से भारी वाहनों की एंट्री पर रोक लगा दी है। इससे NH-2 और NH-4 पर हजारों ट्रक फंसे हुए हैं। लंबी कतारें लग गई हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने इस मुद्दे पर केंद्र पर हमला बोला कि बाढ़ के लिए डीवीसी जिम्मेदार है। जेएमएम प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि झारखंड सरकार इस मुद्दे को सुलझाने के लिए डीवीसी और पश्चिम बंगाल सरकार के संपर्क में है।
मैं आपका ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहती हूं कि दामोदर घाटी निगम के स्वामित्व और रखरखाव वाले मैथन और पंचेत बांधों से लगभग पांच लाख क्यूसेक की पानी अनियोजित तरीके से छोड़ा गया है। इसके चलते साउथ बंगाल के सभी जिले भयंकर बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। इससे आम लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
ममता बनर्जी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री
सीएम ने कहा, ‘अगर एकतरफा पानी छोड़ा गया, तो राज्य के लोगों को दुश्वारियों का सामना करना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में हमें डीवीसी से अपना सारा अनुबंध तोड़ना होगा। हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचेगा। हम अपने लोगों को इस तरह से प्रभावित होने नहीं दे सकते हैं।’
मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा कि मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि आप इस मामले पर गंभीरता से विचार करें और संबंधित मंत्रालयों को इन मुद्दों को सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में हल करने का निर्देश दें, जिसमें सबसे अधिक पीड़ित लोगों के हित में कार्य करने के लिए पर्याप्त केंद्रीय धन की मंजूरी शामिल है।