साल 2013 में बॉलीवुड की फिल्म ‘स्पेशल 26’ आई थी। इसमें कुछ लोग नकली सीबीआई अफसर बनकर बड़ी लूट को अंजाम देते थे। नकली सीबीआई में युवाओं की भर्ती होती है, फिर उन्हीं के द्वारा ज्वैलर के यहां पर लूट कराई जाती थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अब जिस मामले का खुलासा किया है, वह भी ‘स्पेशल 26’ से ही मिलता जुलता है।
स्पेशल 26 में नकली ‘कस्टम विभाग’ 2.8 करोड़ रुपये
हां, असल ठगों की ‘स्पेशल 26’ में नकली ‘कस्टम विभाग’ और ‘दिल्ली पुलिस’ की भी एंट्री कराई जाती है। साइबर जालसाजों ने एक व्यक्ति से 2.6 करोड़ रुपये ठग लिए। वह पैसा किसी जांच एजेंसी की नजर में न आए, इसके लिए शेल कंपनियां खोली गईं। बैंक में पैसा जमा हो गया।
मामले का खुलासा होने के बाद ईडी ने बैंक खाते फ्रीज कर दिए। बंधन बैंक में जमा 2.8 करोड़ रुपये की राशि को निकालने के लिए ‘स्पेशल 26’ के ठगों ने चीन के साइबर जालसाजों से संपर्क किया था।प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 13 सितंबर को तमिलनाडु के पल्लीपट्टू से चार व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था।
इनके स्पेशल 26 नाम तमिलारासन कुप्पन (उम्र 29 वर्ष), प्रकाश (उम्र 26 वर्ष), अरविंदन प्रथम (उम्र 23 वर्ष) और अजित (उम्र 28 वर्ष) हैं। इन्होंने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर साइबर जालसाजी की और 2.6 करोड़ रुपये ठग लिए। चारों आरोपी शेल कंपनियां और बैंक खाते खोलने में शामिल थे।
इसके जरिए उन्होंने साइबर घोटाले से उत्पन्न अपराध की आय (पीओसी) को सफेद किया था। विशेष न्यायालय, बंगलूरू ने इन चारों आरोपियों को चार दिन की ईडी कस्टडी में भेजा है। ईडी ने शेल कंपनी मेसर्स साइबरफॉरेस्ट टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के बैंक खाते में 2.8 करोड़ रुपये की पीओसी जब्त कर ली है।
ईडी ने राजस्थान पुलिस की विशेष अपराध और साइबर अपराध शाखा द्वारा दर्ज एफआईआर संख्या 330 दिनांक 03.09.2024 सहित पूरे देश में विभिन्न राज्यों की पुलिस द्वारा दर्ज कई एफआईआर के आधार पर मामले की जांच शुरू की थी।
ईडी के मुताबिक, तीन सितंबर को पीड़ित व्यक्ति के पास एक मोबाइल नंबर से कॉल आती है। वह व्यक्ति खुद को बॉम्बे कस्टम ऑफिस का अधिकारी बताता है। फर्जी कस्टम अधिकारी ने पीड़ित व्यक्ति से कहा, आपके नाम से अवैध सामान विदेश भेजा जा रहा है। पीड़ित को सुरक्षा के रूप में ‘फंड वैधीकरण’ भुगतान करने का निर्देश दिया गया।
यह इसलिए किया गया ताकि जांच एजेंसी सुनिश्चित हो जाए कि पीड़ित द्वारा अवैध रूप से कोई पैसा नहीं कमाया गया है। ‘फंड वैधीकरण’ की आड़ में जालसाजों द्वारा पीड़ित से तीन अलग-अलग खातों में 2.16 करोड़ रुपये (लगभग) स्थानांतरित करने के लिए कहा गया।
मामला यहीं पर खत्म नहीं हुआ। इसके बाद, पीड़ित के पास एक और फोन आता है। कॉल करने वाला व्यक्ति खुद को सीबीआई अधिकारी बताता है। वह भी जालसाजों की टोली में से ही किसी एक व्यक्ति ने वह फोन किया था। इसके बाद दोबारा फोन आता है। इस बार फोन पर सीबीआई अधिकारी नहीं, बल्कि उसने खुद को दिल्ली पुलिस का डीसीपी बताया।
वह इस बात की प्रामाणिकता को सत्यापित कर रहा था कि पीड़ित के पास सीबीआई वाले अधिकारी का फोन आया था या नहीं। इस तरह से विभिन्न जांच एजेंसियों के फर्जी अधिकारी बनकर जालसाजों ने ठगी को अंजाम दिया। पीड़ित व्यक्ति पर दबाव डालकर उससे पूरी जिंदगी की बचत और निवेश की कमाई, 2.16 करोड़ की जबरन वसूली की।
स्पेशल 26 ठगी के पैसे का निवेश करने के लिए शेल कंपनी, मेसर्स साइबरफॉरेस्ट टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड, खोली गई। इसकी मदद से बंधन बैंक खाते में 2.8 करोड़ रुपये जमा कराए गए। ईडी ने त्वरित कार्रवाई के माध्यम से 2.8 करोड़ रुपये की पीओसी जब्त कर ली।इन शेल कंपनियों के बैंक खातों में लेनदेन से संबंधित पूरी प्रक्रिया और गतिविधियां एक व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से की गईं।
इसमें तमिलरासन, अजित, अरविंदन व प्रकाश के साथ-साथ चीनी घोटालेबाज भी शामिल थे। जांच से पता चला है कि गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों में से एक तमिलरासन, बंधन बैंक में जमा 2.8 करोड़ रुपये की राशि को निकालने के लिए चीनी साइबर जालसाजों के संपर्क में था।
यह भी पता चला है कि तमिलारासन, अजित, प्रकाश, अरविंदन शेल कंपनियों को शामिल करने और स्पेशल 26 इन शेल कंपनियों के बैंक खाते खोलने में सक्रिय रूप से शामिल थे। इन कंपनियों का उपयोग साइबर धोखाधड़ी से उत्पन्न अपराध की आय को सफेद करने के लिए किया जाता था।
अजित, प्रकाश, अरविंदन के साथ मिलकर तमिलारासन ने फर्जी कंपनियां तैयार की। उनके डमी निदेशक, पता और दस्तावेजों की व्यवस्था की। खाते खोलने के लिए बैंक कर्मियों के साथ संपर्क किया। उसने इस अपराध में साइबर जालसाजों की मदद ली। इसके बाद एक सिंडिकेट तैयार हो गया।
इनके माध्यम से साइबर धोखाधड़ी से उत्पन्न अपराध की आय को वैध बनाया जाने लगा।इससे पहले, ईडी ने 15 अगस्त और 21 अगस्त को बंगलूरू में 04 व्यक्तियों शशि कुमार एम, सचिन एम, किरण एस के और चरण राज सी को गिरफ्तार किया था। वे फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
ईडी ने इस केस में अब तक, 17 विभिन्न परिसरों में सर्च किया है। ईडी ने मोबाइल फोन और अन्य डिजिटल उपकरणों सहित विभिन्न आपत्तिजनक सामग्री जब्त की है।स्पेशल 26 बैंक खाते से 2.8 करोड़ रुपये भी जब्त किए हैं। पीएमएलए, 2002 के तहत जांच में अब तक साइबर घोटाले से उत्पन्न 28 करोड़ रुपये से अधिक के पीओसी की पहचान की गई है।