असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा: राजनीतिक युगपुरुष की उदय गाथा – 2025

असम की राजनीति में हिमंत बिस्वा सरमा एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने अपनी रणनीतिक सोच, अथक परिश्रम और जनसंपर्क क्षमता के दम पर न केवल राज्य बल्कि पूर्वोत्तर भारत की सियासत को नया आयाम दिया है। कांग्रेस के पूर्व नेता से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रमुख स्तंभ बने सरमा ने 2021 में असम की सत्ता संभाली और “द्वितीय असम विकास यात्रा” की शुरुआत की। उनका सफर एक साधारण परिवार के बेटे से लेकर राज्य के सर्वोच्च पद तक पहुँचने की प्रेरणादायक कहानी है, जिसमें राजनीतिक चातुर्य, विकास के प्रति समर्पण और सांस्कृतिक अस्मिता की रक्षा का संदेश निहित है। यह जीवनी उनके जीवन, उपलब्धियों और विवादों को समग्रता में समझने का प्रयास करती है।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा: राजनीतिक युगपुरुष की उदय गाथा - 2025

विषयसूची

हिमंत बिस्वा सरमा: प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

हिमंत बिस्वा सरमा का जन्म 1 फरवरी 1969 को असम के जोरहाट जिले में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता, कैलाश नाथ सरमा, एक प्रसिद्ध साहित्यकार और राष्ट्रवादी विचारक थे, जबकि माता, मृणालिनी सरमा, गृहिणी थीं। हिमंत का बचपन असम की सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत के बीच बीता, जिसने उनके व्यक्तित्व को गहराई से प्रभावित किया।

शिक्षा और युवावस्था

  • प्राथमिक शिक्षा: जोरहाट के डी.एस.ए. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से।
  • उच्च शिक्षा: गुवाहाटी विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातक और डी.एच.एस.के. कॉलेज से कानून की डिग्री।
  • छात्र जीवन: कॉलेज में वह छात्र संघ के अध्यक्ष रहे और असम छात्र परिषद (AASU) से जुड़े, जिसने उन्हें सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर आवाज उठाने की प्रेरणा दी।

राजनीतिक शुरुआत: कांग्रेस के साथ जुड़ाव

हिमंत ने राजनीति की शुरुआत 1990 के दशक में कांग्रेस पार्टी के युवा नेता के रूप में की। उनकी मेहनत और संगठनात्मक क्षमता ने जल्द ही पार्टी में उन्हें प्रमुख बना दिया।

पहला चुनावी सफलता

2001 में, वह पहली बार जलुकबाड़ी विधानसभा सीट से चुनाव जीते और असम विधानसभा पहुँचे। इसके बाद, 2006 और 2011 में भी उन्होंने इस सीट पर जीत दर्ज की।

मंत्री पद और कांग्रेस में प्रभाव

  • 2002-2006: तरुण गोगोई सरकार में स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्री
  • 2011-2014: स्वास्थ्य, शिक्षा और वित्त मंत्री के रूप में उल्लेखनीय कार्य।
  • प्रमुख योगदान:
  • असम में मेडिकल कॉलेजों का विस्तार।
  • सरकारी स्कूलों में अवसंरचना सुधार।

हालाँकि, 2014 में कांग्रेस के भीतर मतभेदों के कारण उन्होंने पार्टी छोड़ दी।


हिमंत बिस्वा सरमा: BJP में प्रवेश और नई पहचान

2015 में, हिमंत बिस्वा सरमा ने BJP में शामिल होकर पूर्वोत्तर राज्यों में पार्टी के विस्तार का नेतृत्व संभाला। उन्हें पूर्वोत्तर के चाणक्य के रूप में जाना जाने लगा, क्योंकि उन्होंने 2016-2021 के बीच असम, त्रिपुरा, और अरुणाचल प्रदेश में BJP की सरकारें बनवाईं।

2016 विधानसभा चुनाव: BJP की ऐतिहासिक जीत

हिमंत ने असम में “असमियत” (असमिया अस्मिता) और “बाहरी विरोध” के मुद्दे को उठाकर BJP को 86 सीटें दिलवाईं। इस जीत के बाद, उन्हें वित्त, स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्री बनाया गया।

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हिमंत बिस्वा सरमा: मुख्यमंत्री बनने का सफर (2021–वर्तमान)

2021 के विधानसभा चुनाव से पहले, BJP ने हिमंत को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया। “नया असम, नई उम्मीद” के नारे के साथ चुनाव लड़ा गया। गठबंधन ने 75 सीटें जीतकर सरकार बनाई, और 10 मई 2021 को हिमंत बिस्वा सरमा ने असम के 15वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।


मुख्यमंत्री के रूप में प्रमुख नीतियाँ और उपलब्धियाँ

1. आर्थिक विकास और रोजगार

  • असम मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट नेटवर्क: ब्रह्मपुत्र नदी पर 8 पुलों का निर्माण और गुवाहाटी मेट्रो परियोजना।
  • स्टार्टअप असम: युवाओं को 2 लाख रुपये तक का अनुदान।
  • मुख्यमंत्री आर्थिक सशक्तिकरण योजना (MMESY): 2 लाख महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण।

2. स्वास्थ्य और शिक्षा

  • अयुष्मान असम: 30 लाख परिवारों को मुफ्त स्वास्थ्य बीमा।
  • मेधावी छात्र योजना: IIT और NEET की कोचिंग के लिए वित्तीय सहायता।
  • नए मेडिकल कॉलेज: धुबरी और कोकराझार में संस्थानों का उद्घाटन।

3. सुरक्षा और कानून-व्यवस्था

  • नारकोटिक्स मुक्त असम: 5,000 से अधिक ड्रग तस्करों की गिरफ्तारी।
  • बाल विवाह उन्मूलन अभियान: 3,000 से अधिक मामलों में कार्रवाई।

4. सांस्कृतिक संरक्षण

  • असमिया भाषा को संवैधानिक दर्जा: 8वीं अनुसूची में शामिल करने की माँग।
  • सत्रीय संस्कृति को बढ़ावा: सत्रीय नृत्य और संगीत के लिए विशेष फंड।

5. कोविड-19 प्रबंधन

  • मुफ्त वैक्सीन: 2.5 करोड़ लोगों को टीकाकरण।
  • आर्थिक पैकेज: लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों को 10,000 रुपये की सहायता।

विवाद और आलोचनाएँ

  1. नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) विरोध:
  • 2019 में CAA के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान उनके बयानों को “प्रोवोकेटिव” बताया गया।
  1. मुस्लिम विरोधी आरोप:
  • जनसंख्या नीति (2021): 2 से अधिक बच्चों वाले परिवारों को सरकारी नौकरी से वंचित करने पर आलोचना।
  1. मीडिया पर नियंत्रण:
  • पत्रकारों के खिलाफ FIR दर्ज करने और आलोचनात्मक रिपोर्टिंग को दबाने का आरोप।
  1. भ्रष्टाचार के आरोप:
  • सरकारी निविदाओं में पक्षपात और परिवार के सदस्यों को लाभ पहुँचाने के आरोप।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा: राजनीतिक युगपुरुष की उदय गाथा - 2025

व्यक्तिगत जीवन और विशेषताएँ

  • सादगी और जुझारूपन: हिमंत सरल जीवन जीते हैं और अक्सर सार्वजनिक कार्यक्रमों में बिना सुरक्षा घिरे दिखाई देते हैं।
  • साहित्य और संगीत प्रेमी: असमिया साहित्य के गहन पाठक और बिहू नृत्य के प्रशंसक।
  • परिवार: पत्नी रिनिकी भुयान सरमा (एक पूर्व मिस असम) और दो बच्चे।

राजनीतिक विचारधारा और प्रभाव

हिमंत बिस्वा सरमा ने हमेशा राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक संरक्षण को अपनी राजनीति का केंद्र बनाया। उनकी नीतियाँ असम के स्थानीय हितों और राष्ट्रीय एकता के बीच संतुलन बनाने पर केंद्रित हैं। वह धर्मनिरपेक्षता के पैरोकार हैं, लेकिन “असमियत” की रक्षा को प्राथमिकता देते हैं।


राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका

  • पूर्वोत्तर का राजदूत: पूर्वोत्तर राज्यों में BJP के विस्तार में प्रमुख भूमिका।
  • NRC और CAA: केंद्र सरकार को असम की चिंताओं से अवगत कराने वाले प्रमुख वकील।
  • राष्ट्रीय एकता परिषद के सदस्य: जातीय और क्षेत्रीय संघर्षों के समाधान में योगदान।

पुरस्कार और सम्मान

  • सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री (2022): एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में चयन।
  • पूर्वोत्तर रत्न (2021): क्षेत्रीय विकास के लिए सम्मान।

निष्कर्ष: परिवर्तन के प्रतीक की यात्रा

हिमंत बिस्वा सरमा का राजनीतिक सफर असम की जटिल सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों और विकास की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। उन्होंने राज्य को आधुनिकता और परंपरा के बीच सामंजस्य बिठाने का प्रयास किया, लेकिन विवादों और आलोचनाओं ने उनकी छवि को चुनौती दी। फिर भी, वह असम की राजनीति के एक निर्णायक स्तंभ हैं, और उनकी नीतियों का प्रभाव भविष्य में भी दिखाई देगा।


नोट: यह जीवनी अक्तूबर 2023 तक की घटनाओं और नीतियों पर आधारित है। हिमंत बिस्वा सरमा का राजनीतिक सफर गतिशील है, और भविष्य में उनकी भूमिका में परिवर्तन संभव है।

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