नैशनल इंवेस्टिगेटिव एजंसी (NIA) की एक विशेष अदालत ने असम के विधायक अखिल गोगोई और उनके तीन सहयोगियों के खिलाफ मंगलवार को UAPA और अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए। नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों में कथित भूमिका को लेकर ये कार्रवाई की गई। अदालत ने पहले इस मामले में चारों आरोपियों को ‘क्लीन चिट’ दे दी थी। NIA ने फैसले के खिलाफ गुवाहाटी हाई कोर्ट का रुख किया था।
हाई कोर्ट ने मामले को दोबारा खोलने और आरोप तय करने का आदेश दिया। गोगोई के वकील शांतनु बोरठाकुर ने बताया कि NIA के स्पेशल जस्टिस एसके शर्मा ने मामले में सुनवाई की। गोगोई के खिलाफ आतंकवादी घटना की साजिश और विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप तय हुए। इसके अलावा राष्ट्रीय एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले बयानों के आरोप भी तय किए गए हैं।
हाई कोर्ट ने क्या कहा
बोरठाकुर ने कहा, चारों आरोपी सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत पर जेल से बाहर हैं और मुकदमे के दौरान उन्हें हिरासत में नहीं लिया जाएगा। मामला चलता रहेगा और आरोपी चाहें तो इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख कर सकते हैं।NIA दिसंबर 2019 में असम में हुए CAA विरोधी हिंसक प्रदर्शनों में कथित भूमिका के लिए गोगोई और उनके तीन सहयोगियों के खिलाफ दो मामलों की जांच कर रही है। निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई ने कहा, इससे एक बार फिर साबित होता है कि हम लोगों के साथ हैं और यह सरकार हमें जेल में कैद रखना चाहती है। एक फासीवादी और सांप्रदायिक सरकार के खिलाफ लड़ाई बहुत कठिन है। उन्होंने बताया कि वह और उनके तीनों सहयोगी अपने खिलाफ आरोप तय किए जाने के फैसले को गुवाहाटी हाई कोर्ट में चुनौती देंगे।
अखिल गोगोई के तीन सहयोगियों को राहत
अखिल गोगोई के तीन सहयोगियों-धैज्य कुंवर, बिट्टू सोनोवाल और मानस कुंवर के खिलाफ भी यूएपीए की धारा-18 और आईपीसी की धारा-120बी के तहत आरोप तय किए गए। हालांकि, अदालत ने यूएपीए की धारा 39 (आतंकवादी संगठन को समर्थन देना) और आईपीसी की धारा 124 ए (देशद्रोह) शामिल करने से इनकार कर दिया, जिनका जिक्र एनआईए ने अपने आरोप पत्र में किया था।चारों आरोपी सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत पर जेल से बाहर हैं और मुकदमे के दौरान उन्हें हिरासत में नहीं लिया जाएगा। मामला चलता रहेगा और आरोपी चाहें तो इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं।
क्या है 2019 का पूरा मामला और क्या-क्या हुआ
एनआईए दिसंबर 2019 में असम में हुए सीएए विरोधी हिंसक प्रदर्शनों में कथित भूमिका के लिए अखिल गोगोई और उनके तीन सहयोगियों के खिलाफ दो मामलों की जांच कर रही है। शुरुआत में अदालत ने गोगोई की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी, जबकि तीनों अन्य आरोपियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। गोगोई को 567 दिन बाद जेल से रिहा किया गया था, जब एनआईए के विशेष न्यायाधीश प्रांजल दास ने उन्हें और तीनों अन्य आरोपियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया था। एनआईए जिन दो मामलों की जांच कर रही है, उनमें से एक में विशेष एनआईए अदालत ने गोगोई को जमानत दे दी थी। जांच एजेंसी के फैसले को चुनौती देने के बाद अप्रैल 2021 में उच्च न्यायालय ने भी इसे बरकरार रखा था। हालांकि, गोगोई को जेल से रिहा नहीं किया गया, क्योंकि सीएए विरोधी प्रदर्शनों से जुड़े दूसरे मामले में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।