कोलकाता डॉक्टर रेप व मर्डर केस को ध्यान में रखकर देश के सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में मुख्य सुरक्षा अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे। वहां काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए वे ही मुख्य रूप से जिम्मेदार होंगे। इसके साथ ही अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन अनिवार्य रूप से कराया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन और स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा की अध्यक्षता में राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ हुई वर्चुअल बैठक में इस तरह से कई फैसले लिए गए। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन फैसलों से मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों सुरक्षा के हालात में तात्कालिक सुधार में मदद मिलेगी।
स्थायी सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक उपायों पर नेशनल टास्क फोर्स विचार कर रहा है और सभी हितधारकों से सुझाव ले रहा है। बैठक में सभी जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों का डीएम और एसपी द्वारा संयुक्त सुरक्षा ऑडिट कराने का फैसला किया गया, जिसमें संबंधित संस्थान के डीन या निदेशक भी शामिल किए जाएंगे।
इसके साथ ही बड़े मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में पुलिस स्थापित करने और खासकर रात में पेट्रोलिंग भी सुनिश्चित की जाएगी। राज्यों ने सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के सीसीटीवी नेटवर्क की समीक्षा करने और उन्हें मजबूत करने का फैसला किया। सीसीटीवी फुटेज की कंट्रोल रूम से निगरानी की जाएगी और उन्हें क्लाउड स्टोरेज में स्टोर किया जाएगा ताकि कोई उसे डिलीट नहीं कर सके।
कोलकाता डॉक्टर रेप, स्वास्थ्य कर्मियों के लिए हेल्पलाइन नंबर 112
कोलकाता डॉक्टर रेप व मर्डर केस को ध्यान में रखकर राज्य सरकारें जल्द ही इन संस्थानों में डार्क जोन की पहचान कर वहां लाइट लगाने की व्यवस्था करेगी। बैठक आम जनता की सहायता के लिए चलाए जा रहे हेल्पलाइन नंबर 112 की सेवाओं को स्वास्थ्यकर्मियों के लिए भी उपलब्ध कराने पर चर्चा हुई और अधिकांश राज्य इसके लिए तैयार थे।
अस्पताल से होस्टल तक सुरक्षा एस्कोर्ट
इतना नहीं, राज्यों ने रेजिडेंट डॉक्टरों की कार्यावधि सुनियोजित करने और महिला डॉक्टर को रात के समय अस्पताल से होस्टल जाने के लिए सुरक्षा एस्कॉर्ट उपलब्ध कराने पर भी सहमति दी।
कोलकाता डॉक्टर रेप व मर्डर केस को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार की ओर राज्यों को स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया गया। अभी तक 26 राज्यों ने स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बना रखे हैं।