क्या Delhi में शाह के सेनापति साबित होंगे अमित ठाकर? 2025

Delhi विधानसभा चुनाव 2025 के लिए पांच फरवरी को वोट डालेंगे और नतीजे आठ फरवरी को घोषित होंगे। Delhi की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (आप) को हटाने के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है। बीजेपी ने गुजरात के काफी नेताओ को मोर्चे पर लगाया है जिन्हें संगठन की गहरी समझ है। ऐसे ही नेताओं में एक हैं

अमित ठाकर। यूपी की राजनीति की चर्चित हस्ती कुंवर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राज भैया की तरह लंबे कद वाले अमित ठाकर पिछले कुछ सालों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह विश्वासपात्र नेता बनकर उभरे हैं। यही वजह है कि जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने त्रिनगर में रैली को संबोधित किया तो अमित ठाकर वहां मौजूद थे।

गांधीनगर के बाद अब Delhi

गुजरात में पिछले काफी समय से प्रदेश प्रमुख और भूपेंद्र पटेल सरकर में फेरबदल होने की स्थिति में मंत्री पद के दावेदार के तौर देखे जा रहे अमित ठाकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से निकलकर बीजेपी में आए हैं। वह बीजेपी के ऐसे नेता है जो दो बार युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।

वह 2007 और 2010 तक रहे थे। गुजरात के सूरत में जब आम आदमी पार्टी ने 27 सीटें जीतकर पूरे देश में सुर्खियों बटोरी थीं और गांधीनगर नगर निगम चुनावों को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी तब बीजेपी ने गांधीनगर के गढ़ को बचाने के लिए अमित ठाकर को मोर्चे पर लगाया था।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लोकसभा क्षेत्र में ठाकर ने अपने संगठन कौशल का परिचय देते हुए पार्टी की रणनीति को बखूबी जमीन पर उतार दिया था। ऐसे में नतीजा यह हुआ था कि कुल 44 सीटों में बीजेपी को 41, कांग्रेस को दो और आप को सिर्फ सीट पर जीत मिली थी। पहली बार बीजेपी ने गांधीनगर नगर निगम में अपने बूते पर मेयर बनाया था।

Delhi महाजीत का के बाद मिला था इनाम

यही वजह थी कि अमित ठाकर को 2022 गुजरात विधानसभा चुनावों में पार्टी ने अहमदाबाद की वेजलपुर से मैदान में उतारा था। इसके बाद ठाकर विधानसभा पहुंचे थे। अमित ठाकर को काफी परिश्रमी नेता माना जाता है। संगठन में लंबी पारी खेलने के बाद वह काफी वक्त हाशिए पर रह चुके हैं।

53 साल के ठाकर का जन्म 17 जुलाई 1971 को हुआ था। वह पूर्व में गुजरात यूनिवर्सिटी के सिंडिकेट मेंबर रह चुके हैं। 2003 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी चीन गए थे तब उनके साथ अमित ठाकर भी गए थे। अमित ठाकरे की अभी तक की छवि बेदाग रही है। विवादों से वह दूर रहे हैं अब देखना है कि वह Delhi चुनावों में बीजेपी और राजनीति के चाणक्य अमित शाह की योजना को कितना जमीन पर उतार पाते हैं।

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