बिहार की विधानसभा चुनाव-2025 के पहले चरण के मतदान के बाद गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र में एक चिंताजनक घटना उजागर हुई है। नीचे घटना का पूरा विवरण, उसके सामाजिक-राजनीतिक आयाम, प्रभावित पक्ष तथा आगे की चुनौतियों पर चर्चा की गई है।
गोपालगंज घटना का विवरण
- बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र के सिधवलिया थाना क्षेत्र अंतर्गत बुचेया गाँव में मतदान के तुरंत बाद एक दलित परिवार को लक्षित कर हमला हुआ।
- पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया कि वे मतदान केंद्र से लौट रहे थे; तभी कुछ लोगों ने उनसे पूछा कि उन्होंने किस पार्टी को वोट दिया है। जब उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वोट देने की बात कही, तो हमलावरों ने लाठी-डंडों और हॉकी स्टिक से हमला कर दिया।
- घायल तीनों (पिता, पुत्र और एक अन्य सदस्य) को पहले स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया गया, फिर बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल भेजा गया।
- पुलिस ने इस संबंध में एफआईआर दर्ज की है और आरोपियों को पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है। अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।

गोपालगंज सामाजिक-राजनीतिक पहलू
- जातिगत पक्षपात का संकेत
इस घटना में स्पष्ट रूप से दलित परिवार को निशाना बनाया गया है, जिसमें उनकी वोटिंग पसंद को आधार बनाकर हमला किया गया। इससे स्पष्ट है कि वोटिंग आज़ादी-आश्रित प्रक्रिया में सामाजिक दबाव व बल प्रयोग दोनों शामिल हैं। - चुनावी तनाव का प्रदर्शन
चुनाव के मौके पर राजनीतिक दलों के समर्थक अक्सर सक्रिय हो जाते हैं। इस मामले में आरोप है कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) समर्थक लोगों ने भाजपा को वोट देऩे वालों को धमकाया। - निर्वाचन प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर असर
जब वोटिंग के बाद इस तरह की घटना होती है, तो लोगों का यह विश्वास कमजोर होता है कि उन्होंने निष्पक्ष माहौल में मतदान किया। इससे लोकतांत्रिक प्रणाली व निर्वाचन प्रक्रिया की प्रतिष्ठा प्रभावित होती है। - प्रशासनिक जवाबदेही का प्रश्न
यदि मतदान के तुरंत बाद इस तरह की हिंसा हो सकती है, तो यह सवाल उठता है- क्या मतदान स्थलों और आसपास पर्याप्त पुलिस-सुरक्षा व मॉनिटरिंग मौजूद थी? घटना के बाद बढ़-चढ़कर सुरक्षा बढ़ाई गई है, लेकिन दूसरी ओर पहले से सावधानी क्यों नहीं बरती गई?
गोपालगंज प्रभावित पक्ष एवं उनकी प्रतिक्रिया
- पीड़ित दलित परिवार ने अपनी स्वतंत्र वोटिंग के कारण निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया है। उन्हें हिंसा के बाद भय व असुरक्षा का माहौल महसूस हुआ।
- भाजपा के प्रत्याशी एवं स्थानीय नेताओं ने इस घटना को चुनाव परिणाम के डर द्वारा की गई कार्रवाई बताया है तथा प्रशासन से आरोपी तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है।
- पुलिस की ओर से कहा गया है कि तीन-तीन स्थानों पर मारपीट की शिकायतें मिली हैं (बंगरा, देवकुली व बुचेया) और जांच चल रही है।

गोपालगंज आगे की चुनौतियाँ व सुझाव
- सुरक्षा का सुदृढ़ीकरण: मतदान केंद्रों व उसके आसपास अतिरिक्त पुलिस व निगरानी व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी ताकि मतदाता सुरक्षित महसूस करें।
- मतदाता-शिक्षा एवं जागरूकता: यह स्पष्ट करना ज़रूरी है कि किसे वोट देना है- इसका दबाव नहीं होना चाहिए, और वोटिंग के बाद किसी के साथ प्रतिक्रिया नहीं होनी चाहिए।
- प्राप्त शिकायतों की त्वरित कार्रवाई: प्रशासन व पुलिस द्वारा जल्द arrest व उचित न्याय सुनिश्चित करना होगा, ताकि ऐसी घटनाओं पर रोक लग सके और उदाहरण बने।
- समुदाय-स्तर पर संवाद: जातिगत तनाव को कम करने हेतु स्थानीय समुदायों में संवाद सत्र, चुनाव-शांति समितियाँ आदि बनानी चाहिए।
- मीडिया व स्वतंत्र निगरानी: इस तरह की घटनाओं का सार्वजनिक होना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे जवाबदेही बढ़ती है। पत्रकारिता व नागरिक समाज की भूमिका अहम है।
गोपालगंज यह घटना हमें याद दिलाती है कि लोकतंत्र सिर्फ वोट देने तक सीमित नहीं है — यह सुरक्षित, आजाद और निष्पक्ष मतदान का वादा भी है। गोपालगंज की यह घटना हमें इस वादे की याद दिलाती है कि हमें मिलकर चुनाव-प्रक्रिया को और सुरक्षित, भरोसेमंद और निष्पक्ष बनाना है।
