नेपाल से गोपालगंज और उत्तर प्रदेश के रास्ते दिल्ली जानेवाली 10 करोड़ की चरस बरामदगी की जांच नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) करेगी. गोपालगंज पुलिस ने एनसीबी को जांच के लिए संपर्क किया है. वहीं, इस तस्करी के रैकेट से जुड़े धंधेबाजों की गिरफ्तारी के लिए बिहार एसटीएफ की मदद ले रही है. सदर एसडीपीओ प्रांजल के नेतृत्व में एसआइटी बनी है. वहीं, एसपी स्वर्ण प्रभात इस पूरी कार्रवाई की खुद मॉनीटरिंग कर रहें हैं.
पुलिस इसकी जांच में जुटी है कि नेपाल से किसके जरिये चरस की बड़ी खेप भेजी जा रही है. दिल्ली में किसके पास डिलीवरी पहुंचनी थी. तस्करी के रैकेट में मोतिहारी के कौन-कौन लोग जुड़े हैं, इन तमाम बिंदुओं पर पुलिस जांच कर रही हैं. वहीं, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो भी जल्द ही गोपालगंज में पहुंचकर इसकी जांच शुरू करेगी. पुलिस का मानना है कि गोपालगंज में चरस तस्करों पर अबतक की सबसे बड़ी कार्रवाई है. अंतरराष्ट्रीय तस्करों के रैकेट से जुड़े दोनों तस्करों की गिरफ्तारी के बाद उनके अपराधिक इतिहास को भी खंगाला जा रहा है. इसके पहले भी जब्त किये गये चरस में इन तस्करों की भूमिका कहां तक थी, इसके बारे में भी जांच चल रही है.
बता दें, गोपलगंज पुलिस चेकिंग कर रही थी, उसी दौरान पुलिस को एक दिल्ली नंबर की कार दिखी, जिसे पुलिस ने रोक लिया. जब उस कार के अंदर देखा तो उसमें एक तहखाना बना हुआ था, जिसमें 10 करोड़ की चरस मौजूद थी. पुलिस का कहना है कि इसके पहले तीन जुलाई को कुचायकोट थाने की पुलिस ने माधोमठ के पास से 4.58 किलो चरस जब्त किया था
जब्त की गई चरस की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत दो करोड़ आंकी गयी थी. उस वक्त यूपी के देवरिया जिले के इसुरी सराय के राम तपस्या गोंड, उसकी पत्नी चमेली देवी और कुचायकोट थाना क्षेत्र के रामपुर माधो गांव के बबन यादव का बेटा हरिशंकर यादव को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस की जांच में मादक पदार्थ पाकिस्तान से नेपाल के रास्ते पहुंचने की बात सामने आयी थी.