चाणक्य यहां अतिरिक्त धन कमाने और उसे संचय करने की बात कर रहे हैं. क्योंकि आपातकाल के समय जब हमारे अपने ही हमसे मुंह मोड़ लेते हैं, तो हमारा बचाया हुआ पैसा हमारे काम आता है.जिस तरह दिन में धूप और छांव आती-जाती रहती है, उसी तरह मनुष्य के जीवन में सुख और दुख भी आते-जाते रहते हैं. दुख के समय हमें धैर्य रखना चाहिए और शांत मन से उससे उबरने का रास्ता तलाशना चाहिए. लेकिन जब परिस्थितियां विपरीत हों और जब बात धन, अपनी पत्नी और खुद की जान की हो, तो हमें सबसे पहले किसकी रक्षा करनी चाहिए? इस लेख में हम चाणक्य नीति में बताई गई आचार्य चाणक्य की उन 3 गुप्त बातों के बारे में जानेंगे, जिन्हें संकट के समय आपको हमेशा याद रखना चाहिए
आपातकाल के लिए पैसे बचाएं
वैसे तो इस दुनिया में हमें अपना जीवन जीने के लिए हर पल पैसे की जरूरत होती है, लेकिन चाणक्य यहां अतिरिक्त धन कमाने और उसे संचय करने की बात कर रहे हैं. क्योंकि आपातकाल के समय जब हमारे अपने ही हमसे मुंह मोड़ लेते हैं, तो हमारा बचाया हुआ पैसा हमारे काम आता है.
पैसे बचाना
एक तरफ गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए जरूरत है तो दूसरी तरफ मजबूरी, क्योंकि उनके पास संकट से निपटने का कोई दूसरा रास्ता नहीं होता. दूसरी ओर, अमीरों को पैसे बचाने की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि वे पहले से ही अमीर हैं.
तो अब सवाल उठता है कि चाणक्य ने सभी को पैसे बचाने के लिए क्यों कहा?
इसका जवाब है कि लक्ष्मी स्वभाव से चंचल होती हैं, अगर आज हमारे पास है तो कल नहीं भी हो सकती है. ऐसे में चाहे आप अमीर हों या गरीब, मुश्किल समय में बचाया हुआ पैसा ही हमारे काम आता है. इसलिए सबसे पहले हमें अपने धन की रक्षा करनी चाहिए.
अपनी पत्नी की रक्षा करें
पत्नी पैसे से भी ज़्यादा कीमती होती है और इसलिए पत्नी को घर की लक्ष्मी कहा जाता है. अगर किसी पुरुष के जीवन में सबसे ज़्यादा महत्व किसी चीज़ का होता है तो वो है उसकी पत्नी. पति-पत्नी के रिश्ते, खास तौर पर पत्नी के त्याग और समर्पण को मिट्टी के घड़े और भट्टी के उदाहरण से समझा जा सकता है. अगर मिट्टी का घड़ा स्त्री है तो भट्टी को पुरुष ही समझिए.
मिट्टी के बर्तन को भट्टी में इस तरह पकाना होता है कि वह न तो कच्चा रहे और न ही ज्यादा पका रहे, क्योंकि दोनों ही स्थितियों में मिट्टी का बर्तन बेकार हो जाएगा और किसी काम का नहीं रहेगा. इसलिए मिट्टी के बर्तन को भट्टी में इस तरह पकाना होता है कि दोनों की सार्थकता बनी रहे. तभी गर्मी के मौसम में ठंडे पानी का आनंद लिया जा सकता है.
अगर कोई पुरुष दिन-रात मेहनत करके पैसा कमाता है और अपने परिवार को एकजुट करता है, तो पत्नी भी अपने घर को संभालने, उसे संभालने और हर परिस्थिति में अपने पति का साथ देने के लिए प्रतिबद्ध होती है. इसलिए अगर कभी पत्नी के जीवन या स्वाभिमान पर बात आए तो पति को अपने धन की चिंता किए बिना सबसे पहले अपनी पत्नी के मान-सम्मान की रक्षा करनी चाहिए. इस कारण धन से भी पहले पत्नी की रक्षा करनी चाहिए.
सबसे पहले खुद की रक्षा करें
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर किसी व्यक्ति की जान को खतरा हो तो ऐसी स्थिति में उसे सबसे पहले अपने धन और पत्नी दोनों का त्याग करके खुद की रक्षा करनी चाहिए. ऐसा इसलिए ताकि अगर वह व्यक्ति जीवित है तो वह अपना धन और अपनी पत्नी वापस पा सके. लेकिन अगर वह व्यक्ति जीवित नहीं है तो उसके पास धन और पत्नी होने का कोई लाभ नहीं है.
निष्कर्ष
चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को आपातकाल या बुरे समय के लिए थोड़ा-थोड़ा करके धन बचाना चाहिए. लेकिन अगर बात पत्नी के सम्मान या जीवन की आती है तो पति को धन के प्रति मोह त्याग कर पहले अपनी पत्नी की रक्षा करनी चाहिए, लेकिन जब बात खुद के जीवन की आती है तो व्यक्ति को सबसे पहले अपने जीवन की रक्षा करनी चाहिए. इसके लिए चाहे उसे अपना धन या पत्नी क्यों न खोना पड़े.