छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल: जनसंघर्ष से सत्ता तक का सफर – 2025

छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूपेश बघेल एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने अपने साधारण व्यक्तित्व और जनता से सीधे जुड़ाव के बल पर राज्य की सियासत को नया आयाम दिया। 2018 में कांग्रेस पार्टी की ऐतिहासिक जीत के बाद मुख्यमंत्री बने बघेल ने “छत्तीसगढ़ियत” की अवधारणा को साकार करने का प्रयास किया। उनका सफर एक ग्रामीण युवक से लेकर राज्य के सर्वोच्च पद तक पहुँचने की प्रेरणादायक कहानी है, जिसमें संघर्ष, सामाजिक न्याय और विकास के प्रति प्रतिबद्धता की झलक मिलती है। यह जीवनी उनके राजनीतिक उतार-चढ़ाव, नीतिगत फैसलों और विवादों को समझने का प्रयास करती है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल: जनसंघर्ष से सत्ता तक का सफर - 2025

छत्तीसगढ़: प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि

भूपेश बघेल का जन्म 23 अगस्त 1961 को छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के एक छोटे से गाँव पाटन में हुआ। उनके पिता, नंदकुमार बघेल, एक किसान थे, जबकि माता, सोमवती बघेल, गृहिणी थीं। भूपेश का बचपन ग्रामीण परिवेश में बीता, जहाँ उन्होंने कृषि और सामाजिक जीवन की चुनौतियों को करीब से देखा।

शिक्षा और युवावस्था

  • प्राथमिक शिक्षा: पाटन के स्थानीय स्कूल से।
  • उच्च शिक्षा: दुर्ग कॉलेज से स्नातक की डिग्री।
  • छात्र जीवन: कॉलेज के दिनों में ही वह छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए और समाजवादी विचारधारा से प्रभावित हुए।

भूपेश को खेलों में विशेष रुचि थी, और वह कबड्डी व फुटबॉल के अच्छे खिलाड़ी थे। हालाँकि, उनका झुकाव समाज सेवा की ओर अधिक था।


राजनीतिक शुरुआत: कांग्रेस के साथ जुड़ाव

भूपेश बघेल ने राजनीति की शुरुआत 1980 के दशक में युवा कांग्रेस के सदस्य के रूप में की। उनकी मेहनत और जनसंपर्क क्षमता ने जल्द ही पार्टी में उन्हें प्रमुख बना दिया।

पहला चुनावी सफलता

1993 में, वह पहली बार पाटन विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और विजयी हुए। इस जीत ने उन्हें छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक युवा चेहरे के रूप में स्थापित किया।


छत्तीसगढ़ के गठन और मंत्री पद

2000 में, मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बना। इस दौरान भूपेश बघेल कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में शुमार हो गए। 2003 में, जब कांग्रेस ने राज्य में सरकार बनाई, तो उन्हें कृषि मंत्री बनाया गया।

प्रमुख योगदान

  • किसानों के लिए ऋण माफी: सूखे से प्रभावित किसानों को राहत।
  • नल-जल योजना: ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल सुविधा का विस्तार।

हालाँकि, 2003 में ही कांग्रेस की सरकार गिर गई, और भूपेश विपक्ष की भूमिका में आ गए।


राजनीतिक संघर्ष और पुनरुत्थान

2008 और 2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस लगातार हारती रही, लेकिन भूपेश बघेल ने अपनी सीट बरकरार रखी। इस दौरान उन्होंने पार्टी के भीतर संगठन को मजबूत करने पर ध्यान दिया। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद, उन्हें छत्तीसगढ़ कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया।


2018 का ऐतिहासिक चुनाव और मुख्यमंत्री पद

2018 के विधानसभा चुनाव में, भूपेश बघेल ने कांग्रेस का नेतृत्व करते हुए BJP के 15 साल के शासन को चुनौती दी। उन्होंने “छत्तीसगढ़ियत” (स्थानीय अस्मिता) और “न्याय” के नारे को केंद्र में रखा। परिणाम चौंकाने वाला था: कांग्रेस ने 68 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया, और 17 दिसंबर 2018 को भूपेश बघेल ने राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।


मुख्यमंत्री के रूप में पहला कार्यकाल (2018–2023)

प्रमुख योजनाएँ और नीतियाँ

  1. न्याय योजनाएँ:
  • न्यायिक योजनाओं की श्रृंखला:
    • गोधन न्याय योजना: गोबर खरीदकर किसानों को आय सुनिश्चित करना।
    • राजीव गांधी किसान न्याय योजना: खरीफ फसल के लिए 2,500 रुपये प्रति एकड़ सहायता।
    • हाट बाजार न्याय योजना: किसानों को सीधे बाजार से जोड़ना।
  1. स्वास्थ्य और शिक्षा:
  • मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक: ग्रामीण इलाकों में मुफ्त चिकित्सा सुविधा।
  • सुपोषण अभियान: कुपोषण दर में कमी लाने के लिए पोषण किट वितरण।
  1. औद्योगिक विकास:
  • खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को प्रोत्साहन: “छत्तीसगढ़ के हाट” ब्रांडिंग।
  • स्टील प्लांट्स का पुनरुद्धार: भिलाई स्टील प्लांट का विस्तार।
  1. आदिवासी और ग्रामीण कल्याण:
  • नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास: सड़क, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण।
  • पेसा कानून का क्रियान्वयन: आदिवासियों के भूमि अधिकारों की रक्षा।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल: जनसंघर्ष से सत्ता तक का सफर - 2025

कोविड-19 प्रबंधन

  • लॉकडाउन में राहत: मजदूरों को निशुल्क राशन और परिवहन सुविधा।
  • वैक्सीन ड्राइव: राज्य में 100% वैक्सीनेशन का लक्ष्य पूरा करना।

दूसरा कार्यकाल की ओर और 2023 की हार

2023 के विधानसभा चुनाव में, भूपेश बघेल ने “छत्तीसगढ़ मॉडल” के नाम पर चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस को 35 सीटें मिलीं, जबकि BJP ने 54 सीटें जीतकर सरकार बनाई। भूपेश ने 12 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।


विवाद और आलोचनाएँ

  1. महादेव बेटिंग ऐप घोटाला:
  • 2023 में, ED ने भूपेश बघेल पर 500 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया, जिसमें उनके करीबियों को जेल हुई।
  1. परिवारवाद का आरोप:
  • उनके बेटे को पार्टी में अहम भूमिका दिए जाने पर विपक्षी आलोचना।
  1. नक्सल समस्या पर नरम रुख:
  • सुरक्षा बलों की कार्रवाई में कमी के कारण नक्सली हिंसा बढ़ने का आरोप।
  1. किसान आंदोलन:
  • कृषि कानूनों के विरोध में देरी से रुख अपनाने पर आलोचना।

व्यक्तिगत जीवन और विशेषताएँ

  • सादगी की मिसाल: भूपेश साधारण सूती कुर्ता-धोती पहनते हैं और सार्वजनिक जीवन में सहज रहते हैं।
  • साहित्य प्रेम: छत्तीसगढ़ी लोक साहित्य और कबीर के दोहों के प्रशंसक।
  • परिवार: पत्नी मुक्ता बघेल और दो बच्चे।

राजनीतिक विचारधारा और प्रभाव

भूपेश बघेल ने हमेशा सामाजिक न्याय और ग्रामीण विकास को अपनी राजनीति का आधार बनाया। उनकी नीतियों ने छत्तीसगढ़ के गरीब, किसान और आदिवासी समुदाय को सशक्त बनाने पर जोर दिया। वह धर्मनिरपेक्षता और सांस्कृतिक विरासत के पैरोकार हैं, जो उन्हें BJP की राष्ट्रवादी नीतियों के विरोध में खड़ा करता है।


छत्तीसगढ़ के विकास में योगदान

  1. किसान आय दोगुनी करने का लक्ष्य:
  • गोधन न्याय योजना से 18 लाख किसानों को लाभ।
  1. महिला सशक्तिकरण:
  • महिला स्व-सहायता समूहों को 30,000 करोड़ रुपये का ऋण वितरण।
  1. शहरी विकास:
  • रायपुर में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट।
  1. हरित ऊर्जा:
  • सौर ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देकर 500 MW क्षमता हासिल करना।

राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका

भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार की नीतियों, विशेषकर कृषि कानून और GST, का मुखर विरोध किया। 2022 में, उन्होंने जाति जनगणना की माँग को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया। वह कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य भी रहे और पार्टी के भीतर उनकी राय को महत्व दिया जाता था।


पुरस्कार और सम्मान

  • सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री (2020): एक राष्ट्रीय पत्रिका द्वारा चयन।
  • किसान मित्र सम्मान (2021): गोधन न्याय योजना के लिए।

निष्कर्ष: एक जननायक की विरासत

भूपेश बघेल का राजनीतिक सफर छत्तीसगढ़ की जनता के सपनों और संघर्षों की कहानी है। उन्होंने राज्य को विकास की नई राह दिखाई, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों और 2023 की हार ने उनकी विरासत पर सवाल खड़े कर दिए। फिर भी, वह छत्तीसगढ़ की राजनीति के एक प्रमुख स्तंभ बने हुए हैं, और भविष्य में उनकी भूमिका राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण रह सकती है।


यह जीवनी भूपेश बघेल के संघर्ष, उनकी उपलब्धियों और विवादों को समझने का एक प्रयास है। उनका राजनीतिक सफर अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है, और आने वाले समय में छत्तीसगढ़ की राजनीति में उनकी भूमिका निर्णायक साबित हो सकती है।

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