जयशंकर की यह बाजी पाकिस्तान और तुर्की को जरूर चुभेगी,तालिबान के साथ नया अफगानिस्तान क्या ‘गढ़’ रहा है भारत? 2025

बीते साल 6-7 नवंबर को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल को अफगानिस्तान भेजा था। भारत-अफगानिस्तान के रिश्तों की नई कहानी गढ़ने के लिए जयशंकर ने एक नई स्क्रिप्ट लिखी। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 1996 में तालिबान सरकार में पूर्व सुप्रीम लीडर रह चुके मुल्ला उमर के बेटे मोहम्मद याकूब मुजाहिद से हुई।

2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान की सरकार को सत्ता से बाहर करके वहां कब्जा कर लिया था। इसके बाद से अफगानिस्तान और भारत के बीच रिश्तों में स्थिरता से आ गई थी। अब दुबई में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने तालिबान सरकार के विदेश मंत्री मौलवी अमीर खान मुत्ताकी से मुलाकात की है। जयशंकर ने यह पटकथा तब लिखी है, जब पाकिस्तान से भारत के रिश्ते बेहद खराब दौर से गुजर रहे हैं और खुद पाकिस्तान भी अफगानिस्तान से लड़ाई में जूझ रहा है।

भारत ने तालिबान को अब तक नहीं दी है मान्यता

भारत ने अभी तक अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान प्रशासन को अपनी आधिकारिक मान्यता नहीं दी है। हालांकि मध्य एशिया में अपनी पहुंच को मजबूत करने के लिए भारत अफगानिस्तान को अपने अहम साझेदार के तौर पर देखता आया है। इससे पहले जून, 2022 में काबुल में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और तालिबान की मुलाकात हुई थी।

अगस्त, 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान पर तब कब्जा कर लिया था, जब अमेरिकी सेनाओं ने अफगानिस्तान छोड़ दिया था। उस वक्त भारतीय मिशन के सभी कर्मचारी अफगानिस्तान से वापस आ गए थे। अगर तालिबान का रुख सकारात्मक रहा तो ही भारत वहां की सरकार को आधिकारिक मान्यता देने के अलावा फिर से दूतावास खोलने को मंजूरी दे सकता है।

भारत में आतंक के लिए अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल न हो

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कई बार स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए अफगानिस्तान की धरती का किसी भी तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। इस पर तालिबान के विदेश मंत्री ने भी भारत को आश्वस्त किया है कि वो अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होने देगा। वहीं,

तालिबान नई दिल्ली स्थित बंद पड़े अफगान दूतावास में तालिबान विदेश मंत्रालय के एक राजनयिक की नियुक्ति की अनुमति के लिए भारत पर दबाव डाल रहा है। इसके पहले विदेश मंत्रालय के पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान मामलों के संयुक्त सचिव जेपी सिंह की तालिबान नेताओं से मुलाकात होती रही है।

तुर्की पाकिस्तान का दोस्त, कश्मीर पर भारत के खिलाफ

विदेश मंत्री एस जयशंकर के इस दांव से तुर्की भी टेंशन में आ जाएगा। दरअसल, तुर्की पाकिस्तान का दोस्त है और वह संयुक्त राष्ट्र समेत सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर को लेकर पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है। इसके अलावा, अफगानिस्तान से बहुत से ईरान होते हुए तुर्की पहुंचते हैं, जिनके साथ तुर्की बहुत बुरा बर्ताव करता है। तुर्की का शरणार्थियों के प्रति रवैया बेहद खराब माना जाता है। वह ऐसे अप्रवासियों को रोकने के लिए दीवार भी बना रहा है।

भारत दे रहा 3 बिलियन डॉलर की मदद

भारत ने अफगानिस्तान में अपनी सैन्य मौजूदगी से परहेज किया है। हालांकि, वह अफगानिस्तान में विदेशी सैन्य मौजूदगी को देश में राजनीतिक स्थिरता और विकास को बढ़ावा देने के लिए जरूरी भी मानता है। अमेरिका ने भी भारत से इसमें और अधिक शामिल होने का आग्रह किया है। भारत ने अफगानिस्तान में विकास प्रयासों के लिए 3 बिलियन डॉलर से अधिक की प्रतिबद्धता जता चुका है। भारत और अफगानिस्तान के लघु एवं मध्यम उद्यमों के बीच भारत ने अफगानिस्तान को 50 मिलियन डॉलर की ऋण सुविधा का भी प्रस्ताव दे चुका है।

ईरान के साथ संबंधों का भी यहां है समीकरण

दक्षिण-पूर्वी ईरान में स्थित चाबहार बंदरगाह भारत के लिए स्थल-रुद्ध अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंचने के लिए प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है। साथ ही यह पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए अफगानिस्तान के लिए एक वैकल्पिक व्यापार मार्ग भी प्रदान करता है।

भारत के लिए अफगानिस्तान की क्या अहमियत है

क्षेत्रीय शक्ति संतुलन: अफगानिस्तान भारत के रीजनल लीडर और बड़ी ताकत बनने के दृष्टिकोण से जुड़ा हुआ है। साथ ही संसाधनों को लेकर चीन के साथ इसकी प्रतिस्पर्धा और पाकिस्तानी प्रभाव का मुकाबला करने की इसकी आवश्यकता भी इसमें शामिल है।
भू-सामरिक स्थिति: दक्षिण और मध्य एशिया के चौराहे पर अफगानिस्तान की अवस्थिति इसे भारत के क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हितों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाती है।
आतंक पर चोट: अफगानिस्तान इस क्षेत्र में अस्थिरता और आतंकवाद का एक प्रमुख स्रोत रहा है और भारत का उस देश में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में हित है।
ऊर्जा एवं संसाधन: अफगानिस्तान में तेल, प्राकृतिक गैस और खनिज जैसे प्राकृतिक संसाधन बड़ी मात्रा में हैं और भारत इन क्षेत्रों में पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग की संभावनाएं देखता है।
सांस्कृतिक संबंध: भारत और अफगानिस्तान एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत साझा करते हैं। भारत सांस्कृतिक रूप से आमलोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने को अपने संबंधों का एक महत्वपूर्ण पहलू मानता है।
क्षेत्रीय सहयोग: भारत अफगानिस्तान के साथ अपने संबंधों को दक्षिण एशिया में अपने क्षेत्रीय सहयोग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानता है। साथ ही शांति, स्थिरता और विकास की दिशा में अफगानिस्तान के प्रयासों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
मध्य एशिया का प्रवेशद्वार: मध्य एशिया के लिए भारत के प्रवेश द्वार के रूप में अफगानिस्तान की भूमिका हमेशा सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।

क्या नया अफगानिस्तान बना रहा है भारत

भारत अफगानिस्तान की 116 सामुदायिक विकास परियोजनाओं में मदद कर रहा है, जिन्हें अफगानिस्तान के 31 प्रांतों में लागू किया जाना है। इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, पेयजल, अक्षय ऊर्जा, खेल और प्रशासनिक ढांचे के क्षेत्र भी शामिल हैं। इसके तहत काबुल के लिए शहतूत बांध और पेयजल-सिंचाई परियोजना पर काम शुरू किया जाएगा।

प्रांतों में घर तो कुछ शहरों के लिए पेयजल प्रोजेक्ट

अफगान शरणार्थियों के पुनर्वास को प्रोत्साहित करने के लिये नागरहार प्रांत में कम लागत पर घरों का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। वहीं, बामियान प्रांत में बंद-ए-अमीर तक सड़क संपर्क, परवान प्रांत में चारिकार शहर के लिए पेयजल की सप्लाई और मजार-ए-शरीफ में पॉलीटेक्नीक बनाए जाने में मदद कर रहा है।

कंधार में तकनीकों में बढ़ा रहा है मदद के हाथ

कंधार में अफगान राष्ट्रीय कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (ANASTU) की स्थापना के लिए भी भारत ने सहयोग का भरोसा दिलाया है। मई, 2017 में प्रक्षेपित दक्षिण एशियाई उपग्रह में अफगानिस्तान की भागीदारी से भारत रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल में अफगानिस्तान की और अधिक मदद कर रहा है।

वीजा और व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने की मांग

अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान ने भारतीय छात्रों, व्यापारियों, और मरीजों के लिए वीजा से संबंधित सुविधाओं को बढ़ाने की मांग की। तालिबान ने एक बयान में कहा कि दोनों पक्ष व्यापार और वीजा को सुविधाजनक बनाने पर सहमत हुए हैं।

यह दोस्ती दे सकती है पाकिस्तान को टेंशन

विदेश मंत्री एस जयशंकर तालिबान की नई दोस्ती से पाकिस्तान की चिंताएं बढ़ सकती हैं। खासकर जब अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव जारी है। तालिबान ने हाल ही में पाकिस्तान की सैन्य चौकियों पर हमले किए थे, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया था। दोनों देश एक-दूसरे पर भीषण हमले कर रहे हैं।विदेश मंत्री एस जयशंकर,विदेश मंत्री एस जयशंकर,विदेश मंत्री एस जयशंकर,विदेश मंत्री एस जयशंकर,विदेश मंत्री एस जयशंकर,

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