झारखंड, जिसे “वनों और खनिजों की भूमि” कहा जाता है, की राजनीतिक पटल पर हेमंत सोरेन एक ऐसा नाम हैं जो आदिवासी अधिकारों, सामाजिक न्याय और राज्य के विकास के प्रति समर्पण का प्रतीक बन चुका है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के युवा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिबु सोरेन के पुत्र हेमंत ने न केवल अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया, बल्कि राज्य की जटिल राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई। उनका जीवन संघर्ष, सत्ता के उतार-चढ़ाव और आदिवासी समुदाय के उत्थान की एक गाथा है। यह जीवनी उनके राजनीतिक सफर, उपलब्धियों और विवादों को समझने का प्रयास करती है।

प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
हेमंत सोरेन का जन्म 10 अगस्त 1975 को झारखंड के नामकुम (रांची) में हुआ। उनके पिता, शिबु सोरेन, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे, जिन्हें “गुरुजी” के नाम से जाना जाता है। माता, रूपी सोरेन, एक गृहिणी थीं। हेमंत का बचपन आदिवासी समाज के संघर्षों और राजनीतिक आंदोलनों के बीच बीता।
शिक्षा और युवावस्था
- प्राथमिक शिक्षा: रांची के स्थानीय स्कूल से।
- उच्च शिक्षा: रांची यूनिवर्सिटी से बी.कॉम की डिग्री।
- छात्र जीवन: कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने JMM के युवा विंग में सक्रिय भूमिका निभानी शुरू कर दी।
हेमंत को खेलों में गहरी रुचि थी, और वह फुटबॉल के अच्छे खिलाड़ी थे। हालाँकि, पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण उन्हें जल्द ही राजनीति में कदम रखना पड़ा।
राजनीतिक शुरुआत: पिता की छाया से स्वतंत्र पहचान
हेमंत सोरेन ने राजनीति में प्रवेश 1990 के दशक में किया, लेकिन उनकी वास्तविक पहचान 2005 के बाद बनी। 2005 में, उन्हें JMM ने बरहाइत विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया, और वह पहली बार विधायक चुने गए। इस जीत ने उन्हें पार्टी के भीतर एक युवा चेहरे के रूप में स्थापित किया।
पहला मंत्री पद और जिम्मेदारियाँ
2009 में, JMM और BJP के गठबंधन वाली सरकार में हेमंत को झारखंड सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाया गया। इस दौरान उन्होंने खनन और पर्यटन मंत्रालय का कार्यभार संभाला। हालाँकि, गठबंधन में मतभेदों के कारण 2010 में सरकार गिर गई।
मुख्यमंत्री बनने का पहला सफर (2013–2014)
2013 में, झारखंड में राजनीतिक अस्थिरता के दौरान हेमंत सोरेन को JMM ने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया। 13 जुलाई 2013 को, महज 38 साल की उम्र में, वह राज्य के 5वें मुख्यमंत्री बने।
प्रमुख नीतियाँ और चुनौतियाँ
- आदिवासी हितों की रक्षा: भूमि अधिग्रहण नीति में सुधार कर आदिवासियों के अधिकार मजबूत किए।
- शिक्षा योजनाएँ: आदिवासी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति और कोचिंग केंद्र।
- रोजगार सृजन: “मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना” की शुरुआत।
हालाँकि, उनका यह कार्यकाल केवल 10 महीने ही चल सका, क्योंकि JMM ने केंद्र में UPA सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।
दूसरा कार्यकाल (2019–2024): स्थिरता और विकास का वादा
2019 के विधानसभा चुनाव में, हेमंत सोरेन ने JMM, कांग्रेस और RJD के गठबंधन को नेतृत्व दिया। गठबंधन ने 81 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया, और 29 दिसंबर 2019 को हेमंत दूसरी बार मुख्यमंत्री बने।
प्रमुख योजनाएँ और पहल
- मुख्यमंत्री विद्यादान योजना: गरीब छात्रों को लैपटॉप और साइकिल वितरण।
- झारखंड स्वास्थ्य विश्वास योजना: 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज।
- कृषि क्रांति: “मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना” के तहत किसानों को वित्तीय सहायता।
- स्टार्टअप नीति: युवाओं को उद्यमिता के लिए प्रोत्साहन।
आदिवासी अधिकार और संस्कृति
- सरना कोड: आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड की माँग को केंद्र सरकार के सामने रखा।
- पत्थलगड़ी आंदोलन: आदिवासी भूमि अधिकारों के समर्थन में सक्रिय भूमिका।

विवाद और आलोचनाएँ
हेमंत सोरेन का कार्यकाल विवादों से भी घिरा रहा:
1. भ्रष्टाचार के आरोप
- खनन घोटाला (2022): ED ने उन पर जाली भूमि दस्तावेज बनाने और अवैध खनन से जुड़े 100 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया।
- मनी लॉन्ड्रिंग केस: 2023 में, उनकी पत्नी कल्पना सोरेन और सहयोगियों के खिलाण कार्रवाई।
2. राजनीतिक अस्थिरता
- 2022 संकट: JMM और कांग्रेस के बीच मतभेदों के कारण सरकार गिरने का खतरा।
- विरोध प्रदर्शन: बेरोजगारी और भर्ती घोटालों के खिलाफ युवाओं का आक्रोश।
3. सत्ता का दुरुपयोग
- परिवारवाद: उनके भाई बासन्त सोरेन और पत्नी को पार्टी में प्रमुख पद दिए जाने की आलोचना।
2024 का संकट और इस्तीफा
जनवरी 2024 में, हेमंत सोरेन को भूमि घोटाले में ED द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर आरोप लगा कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर 8.5 एकड़ जमीन का अवैध कब्जा किया। 31 जनवरी 2024 को, उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, और उनकी जगह चंपई सोरेन को नया मुख्यमंत्री बनाया गया।
व्यक्तिगत जीवन और विशेषताएँ
- सादगी पसंद जीवनशैली: हेमंत साधारण कपड़े पहनते हैं और सार्वजनिक कार्यक्रमों में जनता से सीधा संवाद करते हैं।
- सांस्कृतिक जुड़ाव: आदिवासी लोक संगीत और नृत्य के प्रशंसक।
- परिवार: पत्नी कल्पना सोरेन और दो बच्चे।
राजनीतिक विचारधारा और प्रभाव
हेमंत सोरेन ने हमेशा आदिवासी अस्मिता और संवैधानिक अधिकारों को अपनी राजनीति का केंद्र बनाया। उनकी नीतियों ने ग्रामीण झारखंड को शहरी विकास से जोड़ने का प्रयास किया। वह धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक समावेशन के पैरोकार हैं, जो उन्हें BJP की हिंदुत्व राजनीति के विरोध में खड़ा करता है।
झारखंड के विकास में योगदान
- इंफ्रास्ट्रक्चर: रांची-हटिया एक्सप्रेसवे और ग्रामीण सड़कों का निर्माण।
- शिक्षा: नए ITI और पॉलिटेक्निक कॉलेज खोलना।
- स्वास्थ्य: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का उन्नयन।
- कृषि: सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए सिंचाई योजनाएँ।
राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका
हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार की नीतियों, विशेषकर किसान कानून और NRC, का विरोध किया। 2023 में, उन्होंने जाति जनगणना की माँग को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया। वह INDIA गठबंधन (भाजपा विरोधी दलों का समूह) के प्रमुख सदस्य भी रहे।
पुरस्कार और सम्मान
- आदिवासी गौरव सम्मान (2020): आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए।
- सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री (2021): एक राष्ट्रीय पत्रिका द्वारा चयन।
निष्कर्ष: संघर्ष और सत्ता का द्वंद्व
हेमंत सोरेन का राजनीतिक सफर झारखंड की जटिल सियासी परिस्थितियों और आदिवासी समाज की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। उन्होंने राज्य को स्थिरता देने और विकास की नई राह दिखाने का प्रयास किया, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों और कानूनी संकटों ने उनकी विरासत को धूमिल कर दिया। फिर भी, झारखंड की राजनीति में हेमंत सोरेन एक ऐसा नाम हैं जो आने वाले वर्षों में भी चर्चा का विषय बना रहेगा।
यह जीवनी हेमंत सोरेन के उत्थान, पतन और झारखंड के प्रति उनके योगदान को समझने का एक प्रयास है। उनका सियासी सफर अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है, और भविष्य में उनकी भूमिका क्या होगी, यह समय ही बताएगा।