पश्चिम बंगाल की बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र से सांसद नुरुल हसन इस्लाम का निधन होने से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को बड़ा झटका लगा है। लोकसभा चुनावों में इस लोकसभा सीट पर जीत हासिल करने के लिए तृणमूल कांग्रेस ने पहले एक सांसद रहे चुके हाजी नुरुल इस्लाम को उतारा था।
वह संदेशाली हिंसा के बाद भी इस सीट से जीत हासिल करने में सफल रहे थे। नुरुल हसन इस्लाम ने बीजेपी की उम्मीदवार रेखा पात्रा को 3.33 लाख वोटों से शिकस्त दी थी। आईएसएफ के उम्मीदवार को सवा लाचा वोट मिले थे। नुरुल हसन इस्लाम ने अभिनेत्री नुसरत जहां से भी बड़ी जीत हासिल की थी।
क्या नुसरत जहां की होगी वापसी?
हाजी नुरुल इस्लाम के असमय निधन से अब पश्चिम बंगाल की इस सीट पर फिर से कुछ समय बाद उप चुनाव होगा। ऐसे में तृणमूल कांग्रेस को इस सीट पर अपना बरकरार रखने के लिए मजबूत कैंडिडेट पर दांव खेलना होगा। चर्चा है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस सीट पर फिर से नुसरत जहां को मौका दे सकती हैं
क्योंकि एक बार फिर से बशीरहाट सीट का चुनाव हाई वोल्टेज हो सकता है। नुसरत जहां 2019 में 3.50 वोटों के अंतर से जीती थीं। इस सीट पर टीएमसी का 2009 से लगातार कब्जा है। इससे पहले यह सीट कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया का गढ़ रही है।
इस्लाम के परिवार में कौन?
बशीरहाट की सीट से दूसरी बार सांसद चुने गए हाजी नुरुल इस्लाम का 61 साल की आयु में निधन हो गया। उनके परिवार में चार बच्चे और पत्नी रशीदा बेगम हैं। चर्चा है तृणमूल कांग्रेस उनके परिवार में किसी को मौका दे सकती है। हाजी नुरुल इस्लाम पहले तृणमूल कांग्रेस के विधायक रहे। इसके बाद वह सांसद बने थे।
एक छोटे से ज़री व्यवसायी का काम करने वाले इस्लाम ने संसद तक सफर तय किया। इस्लाम ने जनवरी 1998 में तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता ली थी। इसके बाद 2003 से 2008 तक बहेरा ग्राम पंचायत समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया। नूरुल इस्लाम 2016 में हरोआ विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए और 2024 के लोकसभा में पहली बार बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र के सांसद भी बने।