ऊंची कक्षाओं में छात्राओं के घटते नामांकन अनुपात की वजह को दूर करने में केंद्र सरकार को कामयाबी मिली है। अब देश के 97.5 प्रतिशत से अधिक स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय की सुविधा है।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपे अपना शपथपत्र
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपे अपने शपथपत्र में यह बताया है कि देश में सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और प्राइवेट स्कूलों सहित 97.5 प्रतिशत से अधिक स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय की सुविधा उपलब्ध हो चुकी है।
शौचालय निर्माण के लिए राष्ट्रीय मॉडल तैयार करने का निर्देश
गौरतलब है कि ऊंची कक्षाओं में छात्राओं की पढ़ाई छोड़ने की एक बड़ी वजह उनके लिए अलग शौचालय की सुविधा न होना था। केंद्र ने यह शपथपत्र शीर्ष अदालत के निर्देश के बाद दायर किया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र को भर के सभी सरकारी सहायता प्राप्त और आवासीय विद्यालयों में छात्राओं की संख्या के अनुरूप शौचालय निर्माण के लिए राष्ट्रीय मॉडल तैयार करने का निर्देश दिया था।
कक्षा छह से 12 तक की छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड
जनहित याचिका में केंद्र और राज्यों को कक्षा छह से 12 तक की छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने और सभी सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और आवासीय स्कूलों में महिलाओं के लिए अलग शौचालय की सुविधा सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
दिल्ली, गोवा, पुडुचेरी ने हासिल कर लिया है 100 प्रतिशत लक्ष्य
केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया है कि दिल्ली, गोवा और पुडुचेरी जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 100 प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया है। उत्तर प्रदेश के 98.8 स्कूलों में छात्राओं के लिए है अलग शौचालय है। केंद्र सरकार ने यह भी बताया कि 10 लाख से अधिक सरकारी स्कूलों में छात्रों के लिए 16 लाख और छात्राओं के लिए 17.5 लाख शौचालयों का निर्माण किया गया है।
सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में छात्रों के लिए 2.5 लाख और छात्राओं के लिए 2.9 लाख शौचालय बनाए गए हैं। आठ जुलाई को केंद्र ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि स्कूल जाने वाली किशोरियों को सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने पर राष्ट्रीय नीति तैयार करने के अंतिम चरण में है।
राज्य- छात्राओं के लिए अलग शौचालय
बंगाल – 99.9 प्रतिशत
पंजाब – 99.5 प्रतिशत
बिहार- 98.5 प्रतिशत
छत्तीसगढ़ – 99.6 प्रतिशत
मध्यप्रदेश – 98.6 प्रतिशत
राजस्थान – 98 प्रतिशत
जम्मू कश्मीर – 89.2 प्रतिशत