कर्नाटक में BJP नेता और पूर्व मंत्री सी. पी. योगेश्वर बुधवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्हें 13 नवंबर को चन्नपटना विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारे जाने की संभावना है। योगेश्वर ने सोमवार को विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने BJP की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद सुबह मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार से मुलाकात की। योगेश्वर के इस्तीफे के लोकर कर्नाटक में सियासत शुरू हो गई है। बीजेपी ने उन्हें दगाबाज और धोखेबाज कहा।
बीजेपी नेता सीपी योगेश्वर ने मुख्यमंत्री सिद्दारमैया से बेंगलुरु में उनके ‘कावेरी’ आवास पर मुलाकात की और कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। सीपी योगेश्वर भाजपा के टिकट पर हाई प्रोफाइल चन्नापटना सीट से उपचुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया था।
इसलिए नाराज हुए योगेश्वर
योगेश्वर ने एनडीए उम्मीदवार के रूप में जेडीएस के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। उन्होंने भाजपा को चन्नापटना विधानसभा क्षेत्र से उन्हें उम्मीदवार घोषित करने के लिए मंगलवार शाम तक का समय दिया था। हालांकि, भाजपा उन्हें चुनावी मैदान में उतारने को तैयार थी, लेकिन जेडीएस नेता और केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी (जो इस सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं) आम सहमति पर नहीं पहुंच सके थे।
योगेश्वर ने 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर कुमारस्वामी के खिलाफ चुनाव लड़ा था और चुनाव हार गए थे। वह उन नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने 2019 में भाजपा को सत्ता में लाने के लिए ‘ऑपरेशन लोटस’ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। योगेश्वर का कांग्रेस में शामिल होना भाजपा और जेडीएस के लिए झटका है।
आर अशोक ने साधा निशाना
कर्नाटक में विपक्ष के नेता आर. अशोक ने कहा कि चन्नापटना निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा का वोट आधार बरकरार है। उन्होंने कहा कि योगेश्वर ने हमेशा सभी राजनीतिक दलों के साथ संबंध बनाए रखे हैं। ऐसा लगता है कि वह केवल अपने फायदे के लिए हमारे साथ थे। उन्होंने कहा कि योगेश्वर कभी भी भाजपा के प्रति प्रतिबद्ध नहीं थे। हमने योगेश्वर को पार्टी में बनाए रखने के लिए कई प्रयास किए। हालांकि, उन्होंने हमारा भरोसा तोड़ा और चले गए। कांग्रेस में शामिल होकर उन्होंने अपना राजनीतिक भविष्य बर्बाद कर लिया है। उन्होंने कहा कि यह पार्टी के साथ विश्वासघात करने जैसा है।
बसवराज बोम्मई बोले- दुर्भाग्यपूर्ण
योगेश्वर के कांग्रेस में शामिल होने पर पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा सांसद बसवराज बोम्मई ने कहा, ‘योगेश्वर का कांग्रेस में शामिल होने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। कांग्रेस के पास उस निर्वाचन क्षेत्र में कोई उम्मीदवार नहीं था, जिससे एनडीए उम्मीदवार के लिए जीतना आसान हो गया। अभी भी, केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी का उस क्षेत्र में प्रभाव है। इससे पहले, जब भाजपा, जेडीएस और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था, तो कुमारस्वामी विजयी हुए थे।’
‘बाघ को काबू करना होगा’
कर्नाटक विधान परिषद सदस्य और वरिष्ठ भाजपा नेता सी.टी. रवि ने कहा कि योगेश्वर एक महत्वाकांक्षी राजनेता हैं और वह लंबे समय तक राजनीति में कांग्रेस का विरोध करते रहे हैं। डी.के. शिवकुमार और उनके बीच दुश्मनी कोई नई बात नहीं है। वह बाघ की मांद में घुस गए हैं। या तो उन्हें बाघ को काबू करना होगा या फिर उसका शिकार बनना होगा। उन्होंने बताया कि भाजपा और योगेश्वर की राजनीतिक सोच में बहुत अंतर है। वह (योगेश्वर) व्यक्तिगत स्तर पर राजनीति करते हैं और अपने राजनीतिक जीवन में हमेशा नफा-नुकसान का हिसाब लगाते हैं।