ट्रेनों के परिचालन को बेहतर, सुगम और सुरक्षित करने की दिशा में लगातार तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। इस दिशा में फॉग सेफ्टी डिवाइस और कवच जैसी आधुनिक तकनीक भी अब इंजन में लगाए जा रहे हैं, बावजूद कोहरा ट्रेनों के परिचालन में बाधा बना हुआ है। मंगलवार को भी 20 से ज्यादा ट्रेनें दिल्ली विलंब से पहुंचीं।
मंगलवार को भी कोहरे का असर देखा गया। करीब 6 घंटे तक ट्रेनें विलंब रही। ऊंचाहार एक्सप्रेस 282 मिनट, एपी एक्सप्रेस 242 मिनट, फरक्का एक्सप्रेस 241 मिनट देरी से पहुंची। अयोध्या एक्सप्रेस 160 मिनट, विक्रमशिला एक्सप्रेस 49 मिनट देरी से आई। हालांकि, मंगलवार को राजधानी और तेजस ट्रेन भी विलंब से पहुंची। तेजस राजधानी 14 मिनट और नई दिल्ली दुरंतो एक्सप्रेस 15 मिनट देरी से आई।
कोहरे का काट क्यों नहीं
नॉर्दर्न रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि फॉग सेफ्टी डिवाइस जियो मैपिंग डिवाइस है। इसकी खासियत यह है कि यह ट्रेन को आने वाले सिग्नल के बारे में अलर्ट करता है। सिग्नल आने से लगभग 800 से 900 मीटर पहले यह डिवाइस ड्राइवर को अलर्ट देता है। लेकिन, यह केवल सिग्नल के बारे में बताता है, सिग्नल किस प्रकार का है, रेड है, ग्रीन है या यैलो है, यह ड्राइवर को पास जाने पर ही पता चलता है। एक तरह से यह ट्रेन को सुरक्षित चलाने में मदद करता है। लेकिन कोहरा ज्यादा होता है तो ट्रैक नहीं दिखता है, अगर ट्रैक पर किसी प्रकार की रुकावट है, ट्रैक पर कुछ ऑब्सट्रक्शन है, तो उसमें यह डिवाइस मदद नहीं करता है।
फॉग सेफ्टी डिवाइस / कवच भी सेफ्टी डिवाइस
हिमांशु शेखर ने बताया कि अगर एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनें है और लोको पायलट नहीं देख पाता है तो कवच खुद ब खुद ब्रेक लगा देता है। यह सुरक्षा के मानक पर कारगर तकनीक है। हालांकि, रेलवे के अधिकारी का कहना है कि 15 से 20 पर्सेंट से स्पीड में भी सुधार होता है। अगर डिवाइस नहीं होता है तो लोको पायलट अपनी स्पीड कम कर देता है, लेकिन जब डिवाइस लगा होता है और वह उसे बता देता है कि अगला सिग्नल 800 मीटर बाद है तो इस बीच की दूरी में वह अपनी ट्रेन की स्पीड बढ़ा देता है।
फॉग सेफ्टी डिवाइस : रेलवे का क्या कहना है?
वहीं, लेट आ रही ट्रेन में अधिकतर अपने टाइम पर खुल नहीं पाती है। इस बारे में रेलवे का कहना है कि चूंकि एक साथ कई ट्रेन लेट होती है, जिससे बंचिंग हो जाती है। इसकी वजह से ट्रेनों का मेंटिनेंस भी देरी से होती है। बिना मेंटिनेंस पूरा किए ट्रेन फिर से चला नहीं सकते। इस समस्या के विकल्प में कुछ ट्रेनों का रैक तैयार रखते हैं, ठीक मिरर इमेज होता है, उसी प्रकार का कंपोजिशन करते हैं, ताकि उसे समय पर चला सकें।