मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजीत गुट) के नेता बाबा जैमुन सिद्दीकी उर्फ बाबा सिद्दीकी का बिहार से भी गहरा नाता था। उनकी हत्या से पैतृक गांव बिहार में गोपालगंज जिले के शेख टोली गांव के लोग मर्माहत हैं। ग्रामीणों के बीच उनकी पहचान एक समाजसेवी के रूप में थी।
उनके भतीजे मोहम्मद गुफरान ने बताया कि उन्होंने अपने पिता अब्दुल रहीम के नाम से मेमोरियल ट्रस्ट बना रखा था और इसके माध्यम से लोक कल्याण के कार्य करते थे। वह गांव के बच्चों को आधुनिक शिक्षा दिलाना चाहते थे, ताकि प्रतिस्पर्धा में पिछड़े नहीं।
बाबा सिद्दीकी अंतिम बार एक अप्रैल 2022 में अपने गांव आए थे। उस दिन माधव उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, मांझा में अब्दुल रहीम मेमोरियल ट्रस्ट के माध्यम से एक कार्यक्रम आयोजित कर जिले के मैट्रिक एवं इंटर के टापर्स को दस हजार रुपये नकद तथा कलम-किताब व बैग देकर पुरस्कृत किया था। ट्रस्ट के माध्यम से बिहार में कंप्यूटर की निश्शुल्क शिक्षा के लिए 40 संस्थान खुलवाए।
कोरोना काल में भी वह गोपालगंज आए थे और लोगों के बीच सेनेटाइजर, दवा किट वितरण कराया था। उन्हें गांव से काफी लगाव था।
उनके पड़ोस के लोगों ने बताया कि बाबा सिद्दीकी पहली बार पिता अब्दुल रहीम सिद्दीकी के साथ 2008 में पैतृक गांव शेख टोली आए थे। उसके बाद वह वर्ष 2018 तथा 2022 में गांव आये थे।
बाबा सिद्दीकी – घड़ी की दुकान से मंत्री तक का तय किया सफर
रिश्तेदार बताते हैं कि 70 के दशक में बाबा सिद्दीकी के पिता अब्दुल रहीम सिद्दीकी गांव छोड़कर रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र चले गए। वहीं उन्होंने एक घड़ी की दुकान खोली। बाबा सिद्दीकी बचपन में पिता की दुकान में हाथ बंटाते थे। वह छात्र जीवन में कांग्रेस पार्टी से जुड़े।
1999, 2004 तथा 2009 में तीन बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने। 2009 में मंत्री बने। वह महाराष्ट्र के कद्दावर नेताओं में से एक थे, बालीवुड में अच्छी पैठ थी। आठ माह पूर्व कांग्रेस छोड़कर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजीत गुट) में शामिल हुए थे।
बाबा सिद्दीकी को एक पुत्र तथा एक पुत्री हैं। पुत्र जिशान बाबा सिद्दीकी बांद्रा वेस्ट से कांग्रेस के विधायक हैं तथा पुत्री डाक्टर हैं।