महाराष्ट्र के कद्दावर नेता एकनाथ खडसे की बीजेपी में वापसी फिर से अटक गई है। बीजेपी की तरफ से विधानसभा चुनावों के लिए घोषित की गई चुनाव प्रबंधन कमेटी में उनकी बहू और केंद्रीय राज्य मंत्री रक्षा खडसे को जगह मिली है। बीजेपी में वापसी भी संभावनाओं पर एकनाथ खडसे ने पहली बार खुलकर बात की है।
खडसे ने स्थानीय मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह बीजेपी में लौटने के इच्छुक नहीं थी, लेकिन वरिष्ठ नेताओं ने दबाव दिया था। खडसे बीजेपी छोड़कर कर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में आ गए थे। एनसीपी के दो फाड होने के बाद भी वह शरद पवार के साथ बने रहे थे।
महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य एकनाथ खडसे ने लोकसभा चुनावों में शरद पवार उस पहल को खारिज कर दिया था। जिसमें उन्हें रावेर से लड़ने के लिए कहा था। खडसे ने चुनावों में अपनी बहू रक्षा खडसे का प्रचार किया था। इसके बाद उन्हें देवेंद्र फडणवीस के करीबी मंत्री और जलगांव से आने वाले गिरीश महाजन ने निशाने पर लिया था।
बीजेपी में लौटने पर बोले एकनाथ खडसे
पूर्व बीजेपी नेता एकनाथ खडसे ने अब कहा है कि मैं बीजेपी में वापस लौटने के लिए उत्सुक नहीं था, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस पर जोर दिया। जब मैं भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा से मिला, तो उन्होंने मुझे दुपट्टा पहनाकर सम्मानित किया और घोषणा की कि मैं भाजपा का हिस्सा बन गया हूं।
यह पूछे जाने पर कि बीजेपी में शामिल होने के उनके रास्ते में कौन आ सकता है, खडसे ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस और गिरीश महाजन हो सकते हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में खडसे को महाजन-मुंडे की जोड़ी के बाद तीसरा बड़ा नेता माना जाता है। पार्टी के काफी नेता उन्हें राज्य में बीजेपी को मजबूत करने का श्रेय देते हैं लेकिन उन्होंने फडणवीस से मतभेद के बाद पार्टी छोड़ दी थी।
बेटी लड़ सकती हैं चुनाव
खडसे ने जलगांव में मीडिया से बातचीत में कहा कि वह चाहते हैं कि सभी पार्टियां और पद उनके परिवार के सदस्यों के साथ साझा किए जाएं। उनकी बहू केंद्रीय मंत्री हैं, लेकिन वह अपनी बेटी को एनसीपी (एसपी) से विधानसभा चुनाव में उतारने का इरादा रखते हैं। एकनाथ खडसे अक्टूबर 2023 में बीजेपी छोड़ने के बाद अविभाजित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में शामिल हो गए थे।
उन्होंने तब श्री फडणवीस पर उनके राजनीतिक करियर को नष्ट करने की कोशिश करने का आरोप लगाया था। एक सप्ताह पहले रक्षा खडसे ने कहा था कि अगर एकनाथ खडसे और गिरीश महाजन अपने मतभेद भुला देते हैं, तो इससे जलगांव के विकास में मदद मिलेगी।