बीजेपी: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने बीजेपी के साथ कुछ मुद्दों पर समन्वय की कमी को स्वीकार किया है। केरल के पलक्कड़ में आयोजित आरएसएस की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक के अंतिम दिन प्रचार प्रभारी सुनील आंबेकर ने मीडिया से बातचीत की। जब आंबेकर से बीजेपी और संघ के बीच समन्वय की कमी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आप 100 साल का इतिहास देख सकते हैं,
यही इन सभी सवालों का जवाब है। आंबेकर ने यह भी संकेत दिया कि बैठक में समन्वय के मुद्दों और लोकसभा चुनावों के दौरान आरएसएस कैडर के उत्साह की कथित कमी पर चर्चा की गई। आंबेकर ने कहा कि अन्य मुद्दों का समाधान किया जाएगा। यह एक पारिवारिक मामला है। आंबेडकर ने यह भी कहा कि तीन दिवसीय बैठक में सभी ने भाग लिया। सब कुछ ठीक चल रहा है।
आरएसएस 100 साल पूरे कर रहा है। यह एक लंबी यात्रा है। लंबी यात्रा में कार्यात्मक मुद्दे सामने आते हैं। हमारे पास उन कार्यात्मक मुद्दों को दूर करने के लिए एक तंत्र है। हमारी औपचारिक और अनौपचारिक बैठकें होती रहती हैं। आप 100 साल का इतिहास देख सकते हैं, यही इन सभी सवालों का जवाब है।
संघ ने पहली बार किया स्वीकार
मीडिया से बातचीत में आंबेकर ने दोनों संगठनों के बीच समन्वय की कथित कमी से इनकार नहीं किया। यह पहली बार है जब संघ ने दोनों संगठनों के बीच मुद्दों की बात खुले तौर पर स्वीकार की है। आंबेकर ने कहा कि आरएसएस का मतलब है राष्ट्र सर्वोपरि (राष्ट्र पहले)। प्रत्येक स्वयंसेवक का मानना है कि राष्ट्र सनातन है, यह शाश्वत है।
भविष्य में इसमें उत्थान की क्षमता है। इसलिए, हम सभी राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित हैं। यह आरएसएस का मूल आधार है और बाकी चीजें केवल कार्यात्मक मुद्दे हैं। इसलिए सभी संगठन इस पर विश्वास करते हैं और इसका अभ्यास करते हैं। चार राज्य के विण्धानसभा चुनावों को देखते हुए संघ और बीजेपी में बेहतर समन्वय को जरूरी माना जा रहा है, हालांकि आंबेकर ने उम्मीद जताई कि दोनों संगठनों के बीच कुछ मुद्दे हैं लेकिन वे बातचीत से हल हो जाएंगे।
बीजेपी में RSS के काफी प्रचारक हैं
प्रेस कांफ्रेंस में यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा को संगठन स्तर पर पर्याप्त आरएसएस प्रचारक नहीं मिल रहे हैं, आंबेकर ने कहा कि बीजेपी में बहुत सारे आरएसएस स्वयंसेवक और प्रचारक हैं। अभी भी हैं। तो यह मुद्दा कैसे आता है? कैसे और कहां (प्रचारक) रखना है, यह आरएसएस का क्षेत्र है। इसके लिए बहुत सारे मानदंड हैं।
यह एक अच्छी तरह से प्रचलित प्रणाली है। कोई मुद्दा नहीं है। संघ का यह यह बयान महत्वपूर्ण है क्योंकि बैठक में जे पी नड्डा भी शामिल हुए थे, जहां उन्होंने संघ के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की। उनके बयान के बाद यह पहली बार था जब नड्डा ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत सहित संघ के सभी शीर्ष नेताओं के साथ विस्तृत चर्चा की। लोकसभा चुनावों के दौरान इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में नड्डा ने कहा था कि पार्टी को अब आरएसएस की जरूरत नहीं है क्योंकि यह अब ‘सक्षम (आत्मनिर्भर)’ है। इसके बाद लोकसभा चुनावों में बीजेपी 240 पर अटक गई थी।