America से डिपोर्ट होकर शनिवार को अपने गांव नड़ावाली पहुंचे लवप्रीत सिंह ने कहा कि पनामा के जंगलों में पैदल चलते पहाड़ियों व ओवरलोड किश्तियों के माध्यम से दरिया पार करके 50 लाख रुपये एजेंट को देकर अमेरिका पहुंचा था और वहां अमेरिका बॉर्डर पर पेट्रोलिंग कर रहे अधिकारियों ने उन्हें गिरफ्तार करके कैंप में बंद कर दिया था।
उसने आगे बताया कि एजेंट ने उसे America भेजने पर 70 लाख रुपये लेकर वहां काम दिलाने का आश्वासन दिया था और पहले 50 लाख रुपये एजेंट को दे दिए थे। उसने आगे बताया कि अमेरिका जाते समय कदम-कदम पर खतरा देखा। खाना-पीना और नींद तक हराम हो गई थी। करीब एक साल के बाद अपने घर पहुंचे लवप्रीत सिंह की माता राजविंदर कौर ने रोते हुए बताया कि वह लाखों के कर्ज में दब गई है।
अग्निवीर के चलते नहीं बन पाया फौजी
अमेरिका से लौटे लवप्रीत सिंह ने अपनी दास्तां सुनाते हुए बताया कि उसका दादा अजीत सिंह व ताया का पोतरा हरपाल सिंह भी फौज में देश की सेवा कर रहे है। जिन्हें देख कर वह भी फौज में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहता था।
लेकिन फौज में अग्निवीर की भर्ती चार साल के लिए होने के कारण उसने नौकरी न मिलने की आशा छोड़ते हुए उसके पिता कुलदीप सिंह व माता ने उसे एक नंबर में America भेजने के लिए ट्रैवल एजेंट को 6 कनाल जमीन बेचने के अलावा पिता की ओर से की गई कमाई व रिश्तेदारों से एकत्रित किए करीब 50 लाख रुपये दिए थे। वह पिछले साल अप्रैल महीने में एजेंट को 50 लाख रुपये देकर अमेरिका जाने के लिए घर से निकला था और सबंधित एजेंट की ओर से उसे पहले जालंधर, दिल्ली व मुंबई में विभिन्न स्थानों पर रखा गया। उसके पास 2300 डॉलर थे।
कई दिनों तक चलना पड़ता था पैदल
उसने बताया कि मुंबई के बाद वह सैनहाल डकार पहुंचने के उपरांत गाबियां, ऐस्ट्रा डैम, सूरिया नेम, ब्राजील, बोली वीवा, पेरु, ऐकवा डोर में कई दिन रुक-रुक कर डौंकरों की सहायता से पनामा के जंगल में पहुंचे। उसने बताया कि उसके साथ आठ साथी और भी थे। जंगल में जहां उन्हें लगातार तीन-तीन दिन पैदल चलना पड़ा,
वहीं तीन पहाड़ियों व ओवरलोड किश्ती के माध्यम से दरिया भी अपनी जान जोखिम में डाल कर पार करना पड़ा। उसने बताया कि दरिया में मगरमच्छ व पनामा America के जंगलों में मानव कंकाल भी उसने अपनी आंखों से देखे।उसने कहा कि जिस किश्ती में चार व्यक्ति बैठते थे, उसमें 15-15 नौजवानों को सवार किया गया था। जंगल में डौंकरों की ओर से जहरीले सांपों को मारते भी आंखों से देखा गया।
America रोजगार के लिए काफी गिड़गिड़ाया
डौंकरों की ओर से डकैत चौंकी पर तेजवाना के बीचो बीच उन्हें पार करवा कर America की तरफ भेजा गया। 27 जनवरी को जब वह तार पार करके अमेरिका पहुंचे। इसके बाद बॉर्डर पेट्रोलिंग फोर्स उन्हें पकड़ कर कैंप में ले गए। जहां 20 दिन तक रखा।उनकी दस्तार भी उतार दी गई,
उन्होंने बताया कि कैंप में उनके कपड़े उतरवा कर उन पर अत्याचार किया जाता था और America पुलिस मुलाजिम कहते थे कि वह अपने मुंह से बोले कि वह इंडिया जाना चाहते हैं। कई बार अमेरिका पुलिस को कहा गया कि उन्हें अमेरिका में कानूनी तौर पर शरण दी जाए। लेकिन उन्होंने एक नहीं सुनी।
उन्हें सिर्फ मामूली खाना दिया जाता और हाथों में हथकड़ी लगा कर जहाज के माध्यम से डिपोर्ट करके अमृतसर भेज दिया गया। उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाते हुए कहा कि एजेंट के खिलाफ कार्रवाई की जाए और उनके पैसे उन्हें वापिस दिलाए जाए और उन्हें रोजगार दिया जाए।