गोपालगंज: जिले के रहने वाले बाप बेटा और एक पड़ोसी दिवाली के बाद मणिपुर के काकचिंग में कमाने गए थे। लेकिन उग्रवादियों ने उन्हें बीती रात गोलियों से भून डाला। जिससे पिता वीरेंद्र मुखिया तो जिंदा बच गए। लेकिन उनके बेटे और उसके दोस्त की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। मौत की सूचना आज रविवार को जैसे ही गोपालगंज में पहुंची। वैसे ही रजवाही गांव में हर तरफ चीख पुरस्कार मच गई। दोनों मृतक यादोंपुर थाना क्षेत्र के रजवाही गांव के रहने वाले थे।
मृतकों में मजदूर शामिल
मृतकों में 17 वर्षीय सोनी लाल कुमार, और 18 वर्षीय दशरथ कुमार शामिल हैं। जबकि सोनेलाल के पिता वीरेंद्र मुखिया इस उग्रवादी घटना में बाल- बाल बच गए हैं। परिजनों ने बताया कि सोनी लाल कुमार, गोपालगंज उनके पिता वीरेंद्र मुखिया और पड़ोसी दशरथ कुमार, प्रभु यादव, संतोष कुमार, सुग्रीव यादव, मुकेश यादव, नीतीश कुमार, लक्ष्मण शर्मा और विनोद सहनी सभी लोग एक साथ दिवाली के बाद कमाने के लिए मणिपुर गए थे। वे मणिपुर के काकचिंग में काम करते थे।
गोपालगंज मजदूरों को गोलियों से भूना
बताया जाता है कि काकचिंग में ही उग्रवादियों ने काम कर रहे इन मजदूरों के ऊपर ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार कर दी। जिससे घटनास्थल पर ही गोपालगंज के दशरथ कुमार और सोनी लाल की मौत हो गई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मैतेई और कुकी समुदाय के बीच रंजिश को लेकर यह उग्रवादी घटना हुई है। हालांकि सुरक्षाबलों ने मौके पर मौजूद एक उग्रवादी को गोलियों से भून डाला।
बिहार सरकार ने की मदद
रविवार को मृतक के परिजनों के पास जैसे ही मौत की सूचना मिली वैसे ही घर में हर तरफ चीख पुकार मच गई। मृतक के परिजनों ने बताया कि दोनों युवक अपने घर के माली हालत की वजह से मजदूरी करने गए थे। वे वहां पर महज एक महीना पहले ही गए थे। लेकिन वे उग्रवादियों की गोली के शिकार हो गए। गोपालगंज के डीएम प्रशांत कुमार सी एच ने कहा कि दोनों मृतकों का शव मणिपुर की राजधानी इंफाल में भेज दिया गया है। दोनों मजदूरों की मौत की सूचना के बाद सीएम नीतीश कुमार ने मृतक के आश्रितों को दो-दो लाख रुपए मुआवजा की घोषणा की है।