रतन टाटा जैसा इश्क, दोस्ती और नेतृत्व भला कौन कर पाएगा ? 2024

रतन टाटा, एक ऐसा नाम जिसे भारत के लोग गर्व से लेते थे। वो जब इनके बारे में सुनते थे या फिर बात करते थे, तो ऐसा लगता था जैसे किसी अपने की ही बात हो रही है। किसी बिजनेसमैन का आम जनता के दिलों में इस तरह से घर बना लेना फिक्शनल कहानी से कम नहीं है। पर टाटा तो टाटा थे। चाहे इश्क रहा हो, दोस्ती या फिर लीडरशिप, उनके जैसा किसी और का बन पाना आसान नहीं। यही तो वजह है कि ​रतन टाटा को जैसा प्यार लोगों से मिला, किसी और बिजनेसमैन को वैसे कभी मिलेगा, ये सोच पाना भी मुश्किल है।

86 की उम्र में बिजनेस टायकून को खोने के बाद एक ऐसी उदासी है, जैसे सभी ने किसी अपने को खो दिया हो। आखिर रतन टाटा में ऐसा क्या था, जो उन्हें कैल्कुलेटिव बिजनेसमैन होते हुए भी एक ऐसा इंसान बनाता था, जिससे लोग जुड़ पाते थे और अपनी प्रेरणा के रूप में देखते थे। (फोटो साभार: इंस्टाग्राम@ratantata)

रतन टाटा ने ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे को दिए इंटरव्यू में बताया था कि वो लॉस एंजल्स में एक लड़की से मोहब्बत करने लगे थे। कुछ पारिवारिक कारणों के चलते टाटा को वापस भारत आना पड़ा। वो चाहते थे कि उनकी गर्लफ्रेंड भी यहां आ जाए। हालांकि, 1962 के इंडो-चाइना वॉर के कारण लड़की के माता-पिता ने उसे ऐसा करने नहीं दिया। और टाटा की लव स्टोरी अधूरी ही रह गई।

ये पूरा एपिसोड रतन टाटा के लिए दिल तोड़ने वाला था। ऐसी स्थिति में लोग बिखरकर टूट जाते हैं। वो अपनी जिंदगी का जैसे मकसद ही खो सा देते हैं। लेकिन टाटा ने न तो अपने आपको टूटने दिया और ना ही दिल में किसी तरह की कड़वाहट या नफरत को जगह बनाने दी। बल्कि उनके व्यक्तित्व में तो हमेशा ही सौम्यता नजर आती रही।

रतन टाटा के सर्कल में किस ओहदे के लोग उठते-बैठते होंगे

इसका अंदाजा सभी लगा सकते हैं। उनका फ्रेंड सर्कल दुनिया के सबसे ताकतवर लोगों से भरा हुआ था। लेकिन दोस्ती ताकत और पैसों पर नहीं तौली जा सकती।इसका साफ मेसेज रतन देते दिखते थे। साल 2022 में एक यंग लड़के शांतनु नायडू ने टाटा की कंपनी जॉइन की और किसी ने सोचा भी नहीं था कि रतन उसके आगे अपनी दोस्ती का हाथ बढ़ा देंगे। कहा जाता है कि दोनों का बॉन्ड ऐसा था कि टाटा अपनी बातें खुलकर उम्र में आधे से भी कम शांतनु के साथ शेयर करते थे।

इस बात में कोई दो राय ही नहीं है कि रतन टाटा भी अन्य बिजनेसमैन की तरह ही हर कदम को गुणा-भाग करके ही उठाते थे। वो जब निर्णय लेते थे, तो दिल को जरा किनारे कर देते थे। कोई जब इतने बड़े बिजनेस एम्पायर को रन कर रहा हो, तो उसके लिए ऐसा करना जरूरी भी हो जाता है।

हालांकि, प्रॉफिट कमाने के लिए रतन ने कभी अपने ईमान को नहीं बेचा। यही वजह है कि जब भी किसी भी चीज से टाटा नाम जुड़ा, लोगों का विश्वास भी उस पर अपने आप आ गया। आज की तारीख में किसी और टायकून के लिए कोई ऐसा महसूस कर सकेगा, ये सोच पाना भी थोड़ा मुश्किल है। तभी तो लोग उन्हें अपने लिए आदर्श मानते थे और मानते रहेंगे।

रतन टाटा अरबों की संपत्ति के मालिक थे, लेकिन वो जिस सादगी, अदब और मुस्कुराते हुए हमेशा सबके सामने आते थे, वो अपने आप में सीख देता था कि कैसे दौलत होते हुए भी इंसान जमीन से जुड़ा हुआ रह सकता था।

रतन टाटा का शायद ही कोई ऐसा वीडियो या फोटो किसी को मिले, जिसमें वो अपनी अमीरी को जानबूझकर दूसरों के सामने फ्लेक्स करते नजर आएं। उनका ये व्यक्तित्व खासतौर पर उन लोगों के लिए सीख था, जो अमीरी आते ही दूसरों को अपने पैरों की धूल समझने लगते हैं।

रतन टाटा समाज को बेहतर बनाने में यकीन रखते थे। वो सही मायनों में लोगों के लिए कुछ करना चाहते थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक, वो जब जीवित थे, तो शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, समाज सेवा आदि के लिए कुल 9000 करोड़ रुपयों का दान दे चुके थे।

इतना ही नहीं टाटा तो देश के लोगों के लिए नैनो तक लेकर आए। किसी ने कल्पना तक नहीं की थी कि लाख रुपये से थोड़ी सी ज्यादा कीमत में वो गाड़ी के मालिक बन सकते हैं। लेकिन रतन का यही तो सपना था। वो अपने भारतीयों को अफोर्डेबल कार देना चाहते थे।

एक ओर जहां लोग दौलत आते ही सिर्फ अपनी लग्जरी पर ध्यान देने लग जाते हैं, वहीं टाटा सिखाते थे कि समाज और देश के लिए कुछ कर पाना सभी की जिम्मेदारी है। और चाहे चैरिटी के जरिए हो या फिर कुछ फैसलों के जरिए, सभी को इसमें सहयोग देना चाहिए।

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