राजस्थान की राजनीति में अशोक गहलोत एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने अपने सहज व्यक्तित्व, जनसंपर्क कौशल और नीतिगत सूझबूझ से राज्य को विकास की नई दिशा दी है। तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके गहलोत को “राजनीति का जादूगर” कहा जाता है, जो अपने सादगीपूर्ण जीवन और जनकल्याण के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते हैं। एक साधारण परिवार से निकलकर राज्य के सर्वोच्च पद तक पहुँचने की उनकी यात्रा संघर्ष, साहस और सामाजिक न्याय की प्रेरणादायक गाथा है। यह जीवनी उनके राजनीतिक सफर, उपलब्धियों और विवादों को समग्रता में समझने का प्रयास करती है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
अशोक गहलोत का जन्म 3 मई 1951 को राजस्थान के जोधपुर शहर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता, लक्ष्मण सिंह गहलोत, एक प्रसिद्ध जादूगर थे, जबकि माता, बनारसी देवी, गृहिणी थीं। अशोक ने बचपन से ही सामाजिक विषमताओं को करीब से देखा, जिसने उनके मन में समाज सेवा की भावना जगाई।
शिक्षा
- प्राथमिक शिक्षा: जोधपुर के माहेश्वरी पब्लिक स्कूल से।
- उच्च शिक्षा: जोधपुर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए. और एलएलबी की डिग्री।
- छात्र जीवन: कॉलेज के दिनों में वह राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) से जुड़े और छात्र नेता के रूप में सक्रिय हुए।
राजनीतिक शुरुआत: कांग्रेस के साथ जुड़ाव
1970 के दशक में, अशोक गहलोत ने कांग्रेस पार्टी में सक्रिय भूमिका निभानी शुरू की। उनकी संगठनात्मक क्षमता और जनसंपर्क ने पार्टी नेतृत्व का ध्यान खींचा।
पहला चुनावी सफलता
1980 में, वह पहली बार जोधपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। इसके बाद, 1984, 1991 और 1999 में भी उन्होंने इस सीट पर जीत दर्ज की।
केंद्रीय मंत्री के रूप में योगदान
1991-1993: केंद्रीय पर्यटन मंत्री के रूप में उन्होंने “अतिथि देवो भव” अभियान शुरू किया, जिससे पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिला।
2004-2009: केंद्रीय वाणिज्य मंत्री और सूती कपड़ा मंत्री के रूप में उन्होंने MSME क्षेत्र को मजबूती दी।
मुख्यमंत्री बनने का सफर
प्रथम कार्यकाल (1998–2003)
1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद, अशोक गहलोत ने 1 दिसंबर 1998 को पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
प्रमुख योजनाएँ:
- अन्नपूर्णा खाद्यान्न योजना: गरीबों को 25 रुपये प्रति किलो गेहूँ।
- बीपीएल कार्ड: गरीब परिवारों को सस्ते दर पर राशन।
- राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना: गाँवों में बिजली पहुँचाने का अभियान।
चुनौतियाँ:
- 1999 के ओखला बांध विवाद में किसान आंदोलन।
- बीजेपी के साथ तीखी राजनीतिक प्रतिस्पर्धा।
द्वितीय कार्यकाल (2008–2013)
2008 के चुनाव में कांग्रेस ने 96 सीटें जीतकर सरकार बनाई, और अशोक गहलोत ने 13 दिसंबर 2008 को दूसरी बार मुख्यमंत्री पद संभाला।
प्रमुख योजनाएँ:
- मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना: 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज।
- जननी सुरक्षा योजना: गर्भवती महिलाओं को वित्तीय सहायता।
- बालिका शिक्षा फाउंडेशन: लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहन।
उपलब्धियाँ:
- राजस्थान में साक्षरता दर में 10% वृद्धि।
- 50,000 से अधिक ग्रामीण सड़कों का निर्माण।
विवाद:
- लालचंद कटारिया लोकायुक्त मामला: भ्रष्टाचार के आरोपों में मंत्रियों का इस्तीफा।

तृतीय कार्यमाल (2018–वर्तमान)
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 100 सीटें जीतकर सरकार बनाई, और अशोक गहलोत ने 17 दिसंबर 2018 को तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
प्रमुख योजनाएँ:
- चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना (2021): 10 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज।
- इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना: शहरी बेरोजगारों को 100 दिन का रोजगार।
- राजस्थान ग्रामीण आजीविका मिशन: ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार के अवसर।
- मुख्यमंत्री अन्न योजना: 1 रुपये प्रति किलो गेहूँ और चावल।
कोविड-19 प्रबंधन:
- मुफ्त वैक्सीन अभियान: 8 करोड़ लोगों को टीका।
- ऑक्सीजन संकट प्रबंधन: 100 नए प्लांट स्थापित करना।
विवाद:
- सचिन पायलट विद्रोह (2020): कांग्रेस के 19 विधायकों ने विद्रोह किया, लेकिन गहलोत ने सरकार बचाई।
- पेपर लीक मामले: REET और राजस्थान पुलिस भर्ती घोटाले में आरोप।
व्यक्तिगत जीवन और विशेषताएँ
- सादगी की प्रतिमूर्ति: अशोक गहलोत साधारण सफेद कुर्ता-पायजामा और चप्पल पहनते हैं। उन्हें “जनता का मंत्री” कहा जाता है।
- परिवार: पत्नी सुनीता गहलोत और दो बेटे, वैभव और सिद्धार्थ।
- साहित्य और कला प्रेमी: राजस्थानी लोक संगीत और कविताओं के शौकीन।
राजनीतिक विचारधारा और प्रभाव
अशोक गहलोत की राजनीति गरीब-वंचित वर्ग के उत्थान और सामाजिक न्याय पर केंद्रित है। वह धर्मनिरपेक्षता और संवैधानिक मूल्यों के पक्के समर्थक हैं। उनकी नीतियों में महिला सशक्तिकरण, किसान कल्याण और युवाओं के रोजगार पर विशेष जोर दिया गया है।
राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका
- AICC महासचिव: कांग्रेस पार्टी के संगठनात्मक ढाँचे को मजबूत करने में योगदान।
- राहुल गांधी के सलाहकार: कांग्रेस की राष्ट्रीय नीतियों को आकार देने में भूमिका।
- जाति जनगणना का समर्थन: 2023 में केंद्र सरकार से जातिगत आँकड़े जारी करने की माँग।
आलोचनाएँ और विवाद
- भ्रष्टाचार के आरोप:
- सैन्धव पत्रिका घोटाला (1994): पत्रकारों को रिश्वत देने का आरोप।
- रेलवे भूमि घोटाला (2011): जोधपुर में अवैध कब्जे का मामला।
- जातिगत राजनीति का आरोप:
- गुर्जर और मीणा आरक्षण आंदोलनों को न संभाल पाने पर आलोचना।
- प्रशासनिक निष्क्रियता:
- कोविड-19 के दौरान प्रवासी मजदूरों की समस्याओं पर धीमी प्रतिक्रिया।
- परिवारवाद:
- बेटे वैभव गहलोत को पार्टी में अहम भूमिका देना।
पुरस्कार और सम्मान
- सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री (2019): इंडिया टुडे मैगज़ीन द्वारा चयन।
- किसान मित्र सम्मान (2020): कृषि सुधारों के लिए।
- स्वास्थ्य रत्न पुरस्कार (2021): चिरंजीवी योजना के लिए।
निष्कर्ष: एक जननायक की विरासत
अशोक गहलोत का राजनीतिक सफर राजस्थान के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन की गाथा है। उन्होंने गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार और महिला सशक्तिकरण में उल्लेखनीय योगदान दिया। हालाँकि, भ्रष्टाचार के आरोपों और राजनीतिक विवादों ने उनकी छवि को धूमिल किया, लेकिन उनकी जनता से सीधी बातचीत और विकास के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें राज्य की राजनीति का स्तंभ बनाए रखा है। 2023 के विधानसभा चुनाव में उनकी भूमिका और परिणाम उनकी विरासत को नई दिशा दे सकते हैं।
नोट: यह जीवनी अक्टूबर 2023 तक की घटनाओं और नीतियों पर आधारित है। अशोक गहलोत का राजनीतिक सफर गतिशील है, और भविष्य में उनकी भूमिका में परिवर्तन संभव है।