घोटाले के उजागर होने के लगभग 11 साल के बाद रोजवैली चिटफंड में अपनी पूंजी गंवाने वाले निवेशकों को उनकी रकम वापस मिलने लगी है। ऐसा पहली बार हो रहा है। वैसे गंवाई की रकम के मुकाबले वापस में मिली रकम काफी कम है, लेकिन इसे एक नई शुरूआत के रूप में देखा जा रहा है और आगे घोटाले में डूबी रकम की वापसी की उम्मीद की जा सकती है।
ईडी के अनुसार गुरूवार को 7,346 निवेशकों को कुल 5.12 करोड़ रुपये वापस किये गए, जो प्रति निवेशक 10.200 रुपये बैठता है। गौरतलब है कि रोजवैली चिटफंड घोटाले में लाखों निवेशकों के 17 हजार करोड़ रुपये से अधिक डूब गए थे।
रोजवैली जब्त कर पाई 1563 करोड़ रुपये की संपत्ति
इनमें से ईडी सिर्फ 1563 करोड़ रुपये की संपत्ति ही आरोपियों के पास से जब्त कर पाई। ये संपत्तियां पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम और त्रिपुरा में फैली है।
इनमें भी 494 करोड़ रुपये की चल और 1069 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है। घोटाले के शिकार निवेशकों की पहचान और उन्हें रकम वापस करने के लिए सेवानिवृत न्यायाधीश जस्टिस दिलीप कुमार सेठ की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था।
रकम की वापसी के लिए किए गए 28.10 लाख दावे
इस कमेटी के सामने अभी तक रकम की वापसी के लिए 28.10 लाख दावे किये जा चुके हैं। लेकिन इनमें से अभी तक सिर्फ 31,552 दावे की ही जांच हो पाई है। गुरूवार को उन्हीं में से 10,200 दावेदारों को रकम वापस की गई है।
इसके पहले विजय माल्या और नीरव मोदी द्वारा बैंकों हजारों करोड़ रुपये के चूना लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उनकी जब्त संपत्तियों में से बैंकों को रकम वापस किये गए थे। लेकिन व्यक्तिगत निवेशकों को रकम वापसी की पहली घटना रोजवैली चिटफंड घोटाले में हुई है। ध्यान देने की बात है कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोटाले के शिकार पीड़ितों की धन वापसी का रास्ता सुगम करने के लिए कानून में सुधार का वायदा किया था।