लालू प्रसाद यादव की जीवनी – 2025

लालू प्रसाद यादव भारतीय राजनीति के एक प्रमुख और चर्चित नेता हैं। उनका जन्म 11 जून 1948 को बिहार राज्य के मुजफ्फरपुर जिले के फरक्का गाँव में हुआ था। वे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कट्टर विरोधी रहे हैं और भारतीय राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। अपने कार्यकाल में उन्होंने भारतीय राजनीति में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया और अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व से एक बड़ा दल खड़ा किया। वे भारतीय राजनीति में एक चर्चित चेहरा बने और अपनी अनोखी शैली, चतुराई और मृदुल स्वभाव के लिए जाने जाते हैं।

लालू प्रसाद यादव की जीवनी - 2025

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

लालू प्रसाद यादव का जन्म एक सामान्य यादव परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम कुस्माही यादव था और उनकी माँ का नाम मरियंती देवी था। वे अपने परिवार के साथ बिहार के एक छोटे से गाँव में पले-बढ़े थे। उनका परिवार सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से साधारण था, लेकिन लालू ने अपनी मेहनत और संघर्ष से अपने भविष्य को संवारने की ठानी। उनका बचपन गरीबी में बीता, लेकिन इसके बावजूद वे पढ़ाई में तेज थे।

लालू प्रसाद यादव ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के सरकारी स्कूल से प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने बिहार विश्वविद्यालय से बीए (कला) की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई के दौरान ही उनका राजनीति से जुड़ाव हुआ। वे छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए थे और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) के साथ जुड़े। वहीं से उनका राजनीतिक जीवन शुरू हुआ।

राजनीतिक करियर की शुरुआत

लालू प्रसाद यादव का राजनीति में प्रवेश 1970 के दशक में हुआ था, जब उन्होंने लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में ‘संपूर्ण क्रांति आंदोलन’ में भाग लिया। यह आंदोलन देश में आपातकाल (1975-77) के बाद हुआ था, जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार के खिलाफ और सत्ता के केंद्रीकरण के खिलाफ था। लालू ने जयप्रकाश नारायण के विचारों को अपनाया और अपने युवा नेतृत्व के द्वारा जन आंदोलन में भाग लिया।

लालू प्रसाद यादव को 1977 में पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव में चुनाव लड़ा और वे जीतकर विधायक बने। इस चुनाव में वे जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और एक युवा नेता के रूप में उभरे थे। इसी दौरान उनका राजनीति में उभार शुरू हुआ। वे जन संघर्ष, किसानों के अधिकार और समाजिक न्याय के लिए संघर्षरत रहे।

मुख्यमंत्री बनने का मार्ग

लालू प्रसाद यादव का असली राजनीतिक उत्थान 1990 में हुआ, जब उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला। वे भारतीय राजनीति के उन नेताओं में से थे जिन्होंने समाज के कमजोर वर्गों, खासकर दलितों और पिछड़े वर्गों के हित में कार्य किया। उनकी सरकार ने ‘आरक्षण’ और ‘सामाजिक न्याय’ के मुद्दे पर बहुत जोर दिया। उन्होंने बिहार में पिछड़े वर्गों को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं बनाई।

लालू प्रसाद यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद बिहार में एक तरह का सामाजिक परिवर्तन देखने को मिला। उन्होंने राज्य में विकास के कई महत्वपूर्ण काम किए। उनके शासनकाल में बिहार में कई सड़कों का निर्माण हुआ, रेलवे लाइनें बनीं, और राज्य में सड़क परिवहन को भी बढ़ावा मिला। हालांकि, उनके कार्यकाल में राज्य में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक संकट भी बढ़े, जिससे उनकी छवि कुछ हद तक प्रभावित हुई।

लालू प्रसाद यादव रेलमंत्री के रूप में कार्यकाल

लालू प्रसाद यादव को 2004 में भारतीय जनता पार्टी और अन्य विपक्षी दलों द्वारा गठित यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) सरकार में रेलमंत्री नियुक्त किया गया। उनके कार्यकाल में भारतीय रेलवे में कई सुधार हुए। उन्होंने भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की। रेलवे के कायाकल्प में उन्होंने अत्यधिक कड़ी मेहनत की और कई नई ट्रेनें शुरू की, रेलवे स्टेशनों का पुनर्निर्माण किया और रेलवे के विकास के लिए कई योजनाओं को लागू किया। उनकी कार्यशैली और योजनाओं के कारण भारतीय रेलवे में मुनाफे का दौर शुरू हुआ और भारतीय रेलवे की छवि बेहतर हुई।

लालू प्रसाद यादव का रेलमंत्री के रूप में कार्यकाल बहुत सफल रहा। उन्होंने भारतीय रेलवे को मुनाफे में लाने के लिए कई वित्तीय और संगठनात्मक सुधार किए। हालांकि, उनकी यह सफलता उनके विपक्षियों को पसंद नहीं आई और वे उन पर कई आरोप लगाते रहे।

राजनीतिक विवाद और अपराधों के आरोप

लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक करियर में कई विवाद भी आए। सबसे बड़ा विवाद 1990 के दशक में बिहार में आई आपराधिक गतिविधियों और भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर था। उन पर कई बार भ्रष्टाचार के आरोप लगे, जिसमें सबसे प्रमुख था ‘चारा घोटाला’। इस मामले में आरोप था कि बिहार सरकार द्वारा पशुओं के लिए दिए गए बजट को हड़प लिया गया। चारा घोटाले का मामला अदालत में पहुंचा और लालू यादव को कई बार सजा का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपनी राजनीति को जारी रखा।

चारा घोटाले के मामलों में दोषी पाए जाने के बावजूद लालू यादव ने अपनी राजनीतिक प्रभावी स्थिति को बनाए रखा और जनता के बीच अपने खास पहचान को बनाए रखा। उन्होंने यह साबित किया कि उन्हें राजनीति में अपनी जगह मिली है, और वे समाज के सबसे कमजोर वर्ग के लिए लगातार काम करते रहे।

लालू यादव का व्यक्तित्व और प्रभाव

लालू प्रसाद यादव का व्यक्तित्व बहुत ही प्रभावशाली और आकर्षक था। उनकी मृदुता, हास्य और चतुराई ने उन्हें जनता के बीच एक अलग पहचान दिलाई। वे अपनी भाषण शैली के लिए प्रसिद्ध थे, जिसमें वे मजेदार और सरल शब्दों में गहरी बातें करते थे। उनकी राजनीति में एक खास बात यह थी कि उन्होंने हमेशा समाज के पिछड़े वर्गों, दलितों और आदिवासियों के हितों की रक्षा करने की कोशिश की।

लालू यादव ने बिहार में सामाजिक न्याय का मुद्दा उठाया और उस पर सशक्त रूप से कार्य किया। वे समाज के सबसे कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए संघर्षरत रहे और उनके लिए कई योजनाएं बनाई। हालांकि, उनके शासनकाल में कई मुद्दों पर आलोचना भी हुई, लेकिन उनका प्रभाव और समर्थन हमेशा बना रहा।

निजी जीवन

लालू यादव का निजी जीवन भी बहुत दिलचस्प था। उनका विवाह राबड़ी देवी से हुआ, जो बाद में बिहार की मुख्यमंत्री बनीं। उनके छह बच्चे हैं, जिनमें उनके बेटे तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव का नाम प्रमुख है। तेजस्वी यादव ने भी राजनीति में कदम रखा और बिहार के उपमुख्यमंत्री रहे हैं। लालू यादव के परिवार ने हमेशा उनकी राजनीतिक यात्रा में उनका साथ दिया और उनके संघर्ष को साझा किया।

निष्कर्ष

लालू प्रसाद यादव भारतीय राजनीति के एक बड़े और प्रभावशाली नेता रहे हैं। उन्होंने समाज के सबसे कमजोर वर्गों के लिए संघर्ष किया और बिहार राज्य में बदलाव लाने के लिए कई कदम उठाए। हालांकि, उनके खिलाफ कई भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे, फिर भी उन्होंने कभी अपनी पहचान नहीं खोई और राजनीति में अपनी ताकत बनाए रखी। उनका जीवन एक प्रेरणा है और उनके संघर्षों ने उन्हें भारतीय राजनीति के एक सशक्त नेता के रूप में स्थापित किया।

उनकी राजनीति की शैली, उनकी छवि और उनके कार्यकाल के दौरान किए गए सुधार हमेशा भारतीय राजनीति में चर्चा का विषय बने रहेंगे। उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा और वे हमेशा भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाए रहेंगे।

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