फिक्की (FICCI) : विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए असंगठित क्षेत्र को संगठित क्षेत्र में लाना एक जरूरी कदम है। ई-श्रम पोर्टल असंगठित श्रमिकों का पहला राष्ट्रीय डेटाबेस है जिसमें 29 करोड़ से अधिक श्रमिक पोर्टल पर पंजीकृत हैं। असंगठित क्षेत्र के लगभग 38 करोड़ श्रमिकों को पंजीकृत करने के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने के लिए ई-श्रम पोर्टल लॉन्च किया गया था
फिक्की की महानिदेशक ज्योति विज ने 23 जुलाई को पेश हुए केंद्रीय बजट की तारीफ की है और इसे रोजगार सृजन करने वाला बताया है। उनका कहना है कि, ”पिछले चुनावों में, रोजगार एक बड़ा मुद्दा था, और सरकार ने रोजगार सृजन को बढ़ाने के उपायों को सही ढंग से तेज किया है। मध्यम वर्ग को भी लाभ हुआ है, नई कर व्यवस्था ने कुछ राहत प्रदान की है। महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास पर काफी ध्यान दिया गया है; सरकार न केवल इसके बारे में बात कर रही है बल्कि सक्रिय रूप से इसे आगे बढ़ा रही है। बजट को लेकर उन्होंने अपनी विशेष टिप्पणी में और भी कई बातें कहीं हैं
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट में श्रमिकों के हितों की रक्षा और रोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। फिक्की की महानिदेशक , किसी भी देश के विकास के लिए श्रम उत्पादकता बहुत महत्वपूर्ण है। भारत की श्रमिक संख्या लगभग 56.5 करोड़ है, जिसमें से 45 प्रतिशत से अधिक कृषि में, 11.4 प्रतिशत निर्माण क्षेत्र में, 28.9 प्रतिशत सेवाओं में और 13.0 प्रतिशत निर्माण में कार्यरत हैं
फिक्की (FICCI) : श्रम संबंधी सुधारों की घोषणा स्वागत योग्य कदम
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या अनुमान के अनुसार, भारत में काम करने वाली आयु की आबादी (15-59 वर्ष) 2044 तक बढ़ती रहेगी। इसी अनुमान के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए गैर-कृषि क्षेत्र में सालाना लगभग 78.51 लाख नौकरियां सृजित करने की जरूरत है। केंद्रीय बजट में रोजगार संबंधी महत्वपूर्ण उपायों और श्रम संबंधी सुधारों की घोषणा एक स्वागत योग्य कदम है।
फिक्की : असंगठित क्षेत्र को संगठित क्षेत्र में लाना जरूरी
विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए असंगठित क्षेत्र को संगठित क्षेत्र में लाना एक जरूरी कदम है। ई-श्रम पोर्टल असंगठित श्रमिकों का पहला राष्ट्रीय डेटाबेस है, जिसमें 29 करोड़ से अधिक श्रमिक पोर्टल पर पंजीकृत हैं।फिक्की, असंगठित क्षेत्र के लगभग 38 करोड़ श्रमिकों को पंजीकृत करने के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने के लिए ई-श्रम पोर्टल लॉन्च किया गया था। नेशनल करियर सर्विस पोर्टल और अन्य मंत्रालयों-विभागों के अन्य पोर्टलों के साथ ई-श्रम पोर्टल का एकीकरण एक बेहतर और आसान श्रम से जुड़ा इकोसिस्टम बनाएगा, जिससे श्रमिकों, नियोक्ताओं और नीति निर्माताओं को समान रूप से लाभ होगा। एकीकृत सेवाएं श्रमिकों को उनके अधिकारों और लाभों की समय पर प्राप्ति सुनिश्चित करेंगी, जिससे उनके चहुंमुखी विकास में सुधार होगा।
श्रम सुविधा और समाधान पोर्टल का रोल महत्वपूर्ण
श्रम सुविधा और समाधान पोर्टल का रेनोवेशन एक अधिक कुशल, पारदर्शी और यूजर फ्रेंडली श्रम इकोसिस्टम बन जायेगा। रिपोर्टिंग और रिटर्न जमा करने की सुविधा के लिए एकीकृत श्रम सुविधा पोर्टल को विकसित किया गया है। इस पोर्टल की परिकल्पना रोजगार देने वाली और एनफोर्समेंट एजेंसियों के बीच संपर्क बिंदु के रूप में की गई है, फिक्की,जो उनके कामों में पारदर्शिता लाता है। विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों के बीच डेटा के एकीकरण के लिए, किसी भी श्रम कानून के तहत प्रत्येक निरीक्षण योग्य इकाई को पोर्टल के तहत एक श्रम पहचान संख्या दी गयी गई है। यह इज ऑफ डूइंग बिजनेस की दिशा में एक बड़ा कदम है ।
बजट में पेश की गई सबसे प्रमुख योजनाओं में से एक, रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना हैं। इन योजनाओं को विशेष रूप से निर्माण क्षेत्र में नए श्रमिकों को काम पर रखने के लिए नियोक्ताओं को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। इस कदम से सरकार का लक्ष्य औपचारिक क्षेत्रों में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करना है, जो बेरोजगारी को कम करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
कामकाजी महिला छात्रावास की स्थापना सराहनीय पहल
सरकार द्वारा की गई एक और सराहनीय पहल कामकाजी महिला छात्रावास की स्थापना और इंडस्ट्री के सहयोग से क्रेच की स्थापना करके कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना है। विश्व में सबसे युवा आबादी के साथ जो की 28 वर्ष की औसत आयु है, भारत अपने जनसंख्या के लाभांश का उपयोग कर सकता है जो रोजगार योग्य स्किल्स से लैस है फिक्की, और उद्योग की जरूरतों को पूरा कर सकता है। सरकारी योगदान और उद्योग द्वारा सीएसआर (कसर) के साथ शीर्ष 500 कंपनियों में एक करोड़ युवाओं के लिए इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करना एक बहुत ही नया विचार है। ये ट्रेनी उद्योग की जरूरतों के हिसाब से ज्ञान प्राप्त करने और पेशेवर नेटवर्क बनाने में सक्षम होंगे जिससे नौकरी के साथ-साथ स्व-रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
फिक्की : वर्तमान जरूरतों के हिसाब से कौशल की कमी
भारत की तेजी से बढ़ती आबादी का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा 35 वर्ष से कम उम्र का है, और उनमें से कई लोगों के पास वर्तमान जरूरतों के हिसाब से जरूरी कौशल का अभाव है। एक अनुमान के अनुसार लगभग 51.25 प्रतिशत युवा ही रोजगार के योग्य माने जाते हैं, दूसरे शब्दों में कहें तो लगभग हर दो में से एक युवा कॉलेज के तुरंत बाद रोजगार के योग्य नहीं होता है। सरकार द्वारा यह पहल शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग के बीच संबंध को मजबूत करने में मदद करेगी