सरकार के स्तर पर 100 रुपये के स्टांप शुल्क पर बंटवारा का प्रविधान किया गया है। इस बंटवारे में पारिवारिक सदस्यता सूची अनिवार्य है। पारिवारिक सदस्यता सूची प्राप्त करने में हो रही दिक्कत तथा योजना की अपेक्षित जानकारी नहीं होने के कारण लोगों 100 रुपये के स्टांप शुल्क पर बंटवारा नहीं करवा पा रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि पिछले पांच साल में जिले में सौ रुपये के शुल्क पर मात्र 15 परिवारों का बंटवारा हो सका है।
वर्ष 2019 में सरकार ने पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे के लिए स्टांप शुल्क को कम कर दिया था। इसके लिए सौ रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया। पारिवारिक बंटवारा के लिए सरकार ने शुल्क में कमी करने के बाद इसके लिए पारिवारिक सदस्यता सूची अनिवार्य कर दिया।
सरकार के स्तर पर मुद्रांक शुल्क में कमी लाए जाने के बावजूद इस बंटवारे के प्रति लोगों में अपेक्षित रुचि नहीं दिखी है। इसके पीछे असली कारण प्रचार प्रसार का अभाव तथा पारिवारिक सदस्यता सूची बनाने में आ रही परेशानी है। प्रखंड व अंचल में लोगों को पारिवारिक सदस्यता सूची के लिए भटकना पड़ता है। लगातार बढ़ते पेंच के बीच लोगों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।
अब भी प्रचार प्रसार का अभाव
सरकार की ओर से पारिवारिक बंटवारा में स्टांप शुल्क की कमी किए जाने के बारे में प्रचार प्रसार का अभाव है। आज भी निबंधन कार्यालयों में इसके लिए कोई फ्लैक्स बोर्ड नहीं दिखता। योजना लागू होने के दो साल तक कोविड का प्रकोप भी इस योजना का लाभ उठाने में सुस्ती का एक बड़ा कारण है।
इन कागजातों की पड़ती है जरूरत
बिहार सरकार ने जिले के निवासी को अपनी पैतृक संपत्ति का बंटवारा आपसी सहमति से करने के लिए स्टांप शुल्क में कमी का प्रविधान किया था। इसके तहत सौ रुपये के स्टांप शुल्क पर एक परिवार की संपत्ति का बंटवारा किया जा सकता है। इस योजना का लाभ पाने के लिए अंचल कार्यालय से निर्गत पारिवारिक सदस्यता सूची लाना जरूरी है। इसके अलावा बंटवारा में शामिल सभी लोगों का आधार कार्ड तथा बंटवारा की तिथि को सभी लोगों को निबंधन कार्यालय में उपस्थित रहना अनिवार्य है।
जिला अवर निबंधन कार्यालय में अब तक पारिवारिक बंटवारा का आंकड़ा
वर्ष | कुल बंटवारा |
2020 | 00 |
2021 | 06 |
2022 | 01 |
2023 | 03 |
2024 | 05 |
क्या कहते हैं अधिकारी?
गोपालगंज जिले में पैतृक संपत्ति के पारिवारिक बंटवारा का निबंधन काफी कम लोग करा रहे हैं। इस बंटवारे के बाद लोगों को अपनी भूमि के बारे में ऑनलाइन जानकारी भी मिल सकेगी। – काली आशीष, जिला अवर निबंधन पदाधिकारी