300 करोड़ की रिश्वत का दावा करने वाले सत्यपाल मलिक अब खुद CBI के घेरे में, क्या है किरू हाइड्रोपावर केस?

What is Kiru Hydro Power Case: जो शख्स खुद को ईमानदार बताकर बड़े-बड़े दावों के साथ 300 करोड़ की रिश्वत का खुलासा कर रहा था आज वही शख्स खुद केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के शिकंजे में है. हम बात कर रहे हैं जम्मू और कश्मीर के पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक की. उन्होंने एक समय दावा किया था कि उन्हें दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए भारी-भरकम 300 करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश की गई थी.

इनमें से एक किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट से जुड़ी थी. लेकिन अब तीन साल की लंबी जांच के बाद CBI ने उन्हें और पांच अन्य को इसी किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के 2,200 करोड़ रुपए के ठेके में कथित भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी बनाते हुए चार्जशीट दाखिल कर दी है. यह मामला जितना सीधा दिख रहा है, उतना है नहीं. इसके पीछे कई परतें हैं जिन्हें समझना बेहद ज़रूरी है. आखिर क्या है यह किरू हाइड्रोपावर केस और कैसे सत्यपाल मलिक इसमें फंसते चले गए? आइए विस्तार से जानते हैं.

इस पूरे मामले की जड़ें 2019 में किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर (HEP) प्रोजेक्ट के सिविल वर्क से जुड़ी हैं. CBI ने 2022 में इस संबंध में एक FIR दर्ज की थी. FIR में आरोप लगाया गया था कि लगभग 2200 करोड़ रुपए के इस बड़े ठेके को एक निजी कंपनी को देने में कथित तौर पर अनियमितताएं बरती गईं. पिछले साल फरवरी में CBI ने इस मामले की जांच के तहत मलिक और अन्य संबंधित व्यक्तियों के परिसरों में छापेमारी भी की थी. इससे यह मामला और गरमा गया था.

किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट क्या है?

किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट चिनाब नदी पर बनाया जा रहा एक महत्वपूर्ण हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट है. यह परियोजना जम्मू और कश्मीर में बिजली उत्पादन के लिए अहम मानी जाती है. चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (CVPPPL) इस परियोजना के क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार है.

यह कंपनी राष्ट्रीय पनबिजली निगम (NHPC), जम्मू और कश्मीर राज्य विद्युत विकास निगम (JKSPDC) और पावर ट्रेडिंग कॉरपोरेशन (PTC) का एक संयुक्त पहल है. इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य क्षेत्र में बिजली की कमी को दूर करना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है. लेकिन इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर भ्रष्टाचार के आरोपों ने ग्रहण लगा दिया है.

सत्यपाल मलिक के दावे और CBI का रुख

सत्यपाल मलिक 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 तक जम्मू और कश्मीर के गवर्नर रहे. उनके कार्यकाल के दौरान ही यह कथित भ्रष्टाचार हुआ. मलिक ने खुद सार्वजनिक रूप से यह दावा किया था कि उन्हें गवर्नर रहते हुए दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश की गई थी.

इनमें से एक फाइल किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट से जुड़ी थी. जबकि दूसरी कोई बीमा योजना से संबंधित थी. उन्होंने अपनी ईमानदारी का दावा करते हुए इन पेशकशों को ठुकरा दिया था. लेकिन अब CBI की चार्जशीट उनके दावों के उलट खुद उन्हें ही कठघरे में खड़ा कर रही है.

300 करोड़ की रिश्वत का दावा करने वाले सत्यपाल मलिक अब खुद CBI के घेरे में, क्या है किरू हाइड्रोपावर केस?
सत्‍यपाल मलिक दिल्‍ली के राम मनोहर लोहिया अस्‍पताल में भर्ती हैं. (फोटो X)

पिछले साल जब CBI ने उनके परिसरों पर छापेमारी की थी तब सत्यपाल मलिक ने सभी भ्रष्टाचार के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था. उन्होंने तब एक बयान में कहा था कि CBI ने उनके घर पर छापा मारा है बजाय उन व्यक्तियों की जांच करने के जिन्हें उन्होंने भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाया था.

उन्होंने अपनी बात को मजबूती से रखते हुए X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा था, “उन्हें कुछ नहीं मिलेगा सिवाय 4-5 कुर्ते और पायजामे के. तानाशाह मुझे सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग करके डराने की कोशिश कर रहा है. मैं किसान का बेटा हूं न तो डरूंगा और न ही झुकूंगा.” उनका यह बयान खूब सुर्खियां बटोर रहा था और राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर रहा था.

चार्जशीट में कौन-कौन शामिल?

CBI ने इस मामले में सत्यपाल मलिक के साथ-साथ 5अन्य व्यक्तियों को भी आरोपी बनाया है. इनमें तत्कालीन चेयरमैन ऑफ चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (CVPPPL) नविन कुमार चौधरी शामिल हैं. इसके अलावा, CVPPPL के तत्कालीन अधिकारी एम एस बाबू, एम के मित्तल और अरुण कुमार मिश्रा को भी आरोपी बनाया गया है. साथ ही निर्माण कंपनी पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड के खिलाफ भी आरोप दाखिल किए गए हैं. यह दर्शाता है कि CBI ने इस मामले में कई स्तरों पर जांच की है और कई लोगों को इसमें संलिप्त पाया है.

क्या कहती है CBI की FIR

CBI की FIR में स्पष्ट रूप से आरोप लगाया गया है कि किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के सिविल वर्क्स के ठेके को देने में नियमों का उल्लंघन किया गया था. FIR के अनुसार “हालांकि CVPPPL की 47वीं बोर्ड बैठक में ई-टेंडरिंग के माध्यम से रिवर्स ऑक्शन के लिए पुनः टेंडर का निर्णय लिया गया था. लेकिन इसे लागू नहीं किया गया

(48वीं बोर्ड बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार) और अंततः टेंडर पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को दिया गया.” यह आरोप सीधे तौर पर टेंडर प्रक्रिया में हेरफेर और पारदर्शिता की कमी की ओर इशारा करता है. रिवर्स ऑक्शन एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमें बोली लगाने वाले कीमतें कम करते हैं ताकि प्रतिस्पर्धा बढ़े और सरकारी खरीद में पैसे की बचत हो. यदि इस प्रक्रिया को अपनाया नहीं गया तो यह गंभीर अनियमितता मानी जाएगी.

1 thought on “300 करोड़ की रिश्वत का दावा करने वाले सत्यपाल मलिक अब खुद CBI के घेरे में, क्या है किरू हाइड्रोपावर केस?”

Leave a Reply

Refresh Page OK No thanks