लालू यादव: मकर संक्रांति के बाद बिहार की राजनीति में हलचल के कयास लगाए जा रहे हैं. इसकी शुरुआत तब हुई थी जब राजद के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव और विधायक भाई वीरेंद्र ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का महागठबंधन में स्वागत की बात कही थी. इसके बाद फिर से बिहार की सियासत में उथल-पुथल की चर्चा छिड़ गई.
वहीं, इसी बीच राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव ने भी नीतीश कुमार के लिए ऑफर का खुला ऐलान कर दिया था और उनके लिए दरवाजा खुले होने की बात कही थी. इसके बाद तो दोनों दोस्तों (लालू-नीतीश) के फिर एक होने की अटकलें लगने लगीं.
लालू यादव की बड़ी बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती ने भी इन दोनों ही नेताओं की दोस्ती की बात कही और इंतजार करने के लिए कह दिया. हालांकि, इस पर लंबी खामोशी के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसको लेकर ऐसी किसी ऐसी किसी संभावना से इनकार कर दिया था.
लालू यादव की बड़ी बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती ने भी
उन्होंने बार-बार कहा कि वह अब एनडीए में ही रहेंगे. लेकिन, इसी बीच मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले 13 जनवरी को राजद के विधायक और लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने जो बयान दिया है उससे बिहार की सियासत में फिर अटकलबजियों का दौर शुरू हो गया है. दरअसल, तेज प्रताप यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए दरवाजा खुला होने की बात कहकर सियासी हलचल की अटकलों को फिर हवा दे दी है.
बता दें कि सोमवार को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बड़े भाई और राजद के विधायक तेज प्रताप यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हों या कोई भी, हमारे दरवाजे सबके लिए खुले हुए हैं. उन्होंने कहा कि दही चूड़ा के मौके पर जो भी हमारे दरवाजे पर आएंगे, हम उनका स्वागत करेंगे. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इसका राजनीतिक अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए. इसका यह मतलब नहीं है कि हम नीतीश कुमार की एंट्री कराएंगे.
बता दें कि इससे पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी लगातार नीतीश कुमार की एंट्री को लेकर ‘ना’ बोल चुके हैं. उन्होंने नीतीश कुमार के फिर से महागठबंधन में लाने के फैसले को अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने वाला बताया है. उनके बयान के बाद काफी सियासत तेज हो गई थी
और जेडीयू के नेताओं ने भी लगातार तेजस्वी यादव और आरजेडी पर हमले बोले थे. जेडीयू-बीजेपी नेताओं के बीच खिंची तलवारों के मध्य में भारतीय जनता पार्टी के नेता नीतीश कुमार के साथ देखे जाने लगे और फिर एनडीए में ‘सब ठीक’ होने की बात कही जाने लगी.
हालांकि, हिंदू संस्कृति की मान्यता के अनुसार, मकर संक्रांति के बाद सारे शुभ काम प्रारंभ होने हैं. इसी क्रम में आगामी 18 जनवरी को आरजेडी ने बड़ी बैठक बुलाई है. लालू प्रसाद यादव की अध्यक्षता में होने वाली इस मीटिंग में बड़े फैसले लेने की बातें कहीं जा रहीं हैं.
खास बात यह है कि इसी दिन राहुल गांधी भी एक कार्यक्रम के सिलसिले में पटना दौरे पर होंगे. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि लालू यादव के ‘ऑफर’, नीतीश कुमार की ‘ना’, तेजस्वी यादव के ‘इनकार’ और तेज प्रताप की ‘हां’ के बीच बिहार की सियासत क्या मोड़ लेती है.