Cyber Crime हाल ही में केन्द्रीय गृहमंत्री ने भारतीय साइबर क्राइम समन्वय केन्द्र (Indian Cyber Crime Coordination Centre) (I4C)के प्रथम स्थापना दिवस कार्यक्रम (First Foundation Day Program) में साइबर अपराध (Cyber Crime) की रोकथाम के लिए पहलों का शुभारंभ किया है।हम आपको बता दें कि इन प्रमुख पहलों में साइबर धोखाधड़ी शमन केन्द्र (Cyber Fraud Mitigation Centre) (CFMC), समन्वय प्लेटफॉर्म (संयुक्त साइबर अपराध जांच सुविधा प्रणाली), ‘साइबर कमांडों’ कार्यक्रम और संदिग्ध रजिस्ट्री आदि शामिल हैं।साथ ही केन्द्रीय गृहमंत्री ने I4C के नए लोगो, विजन और मिशन का भी अनावरण किया गया हैं।
Cyber Crime जानें I4C क्या है
इसका पूर्ण रूप Indian Cyber Crime Coordination Center है। यह देश में साइबर क्राइम से व्यापक तरीके से निपटने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय की एक पहल है।
I4C के प्रमुख उद्देश्य
देश में साइबर क्राइम (Cyber Crime) पर अंकुश लगाने के लिए एक नोडल बिन्दु के रूप में कार्य करना है। साथ ही महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध साइबर अपराध के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करना है। साइबर अपराध से संबंधित शिकायतों को आसानी से दर्ज करने और साइबर अपराध पैटर्न की पहचान करने में सुविधा प्रदान करना है। इसके अलावा सक्रिय साइबर अपराध की रोकथाम और पता लगाने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में कार्य करना है।
साइबर क्राइम (Cyber Crime) को रोकने के बारे में जनता में जागरुकता पैदा करना है। साइबर फॉरेंसिक, जांच, साइबर स्वच्छता, साइबर अपराध विज्ञान आदि के क्षेत्र में पुलिस अधिकारियों और न्यायिक अधिकारियों की क्षमता निर्माण में राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश क्षेत्रों की सहायता करना है।
साइबर धोखाधड़ी शमन केन्द्र CFMC क्या है
इसकी स्थापना नई दिल्ली में भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्द्र (14सी) में की गई हैं। इसमें प्रमुख बैंकों, वित्तीय मध्यस्थों, भुगतान एग्रीगेटर्स, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, आई मध्यस्थों और राज्य, केन्द्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों (LEA) के प्रतिनिधि शामिल है। यह ऑनलाइन वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए विभिन्न संस्थाओं के मध्य सहयोग स्थापित करेगा। यह कानून प्रवर्तन में ‘सहकारी संघवाद’ का एक उदाहरण पेश करेगा।
साइबर कमांडों कार्यक्रम क्या है
यह राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों तथा केन्द्रीय पुलिस संगठनों (CPO) में प्रशिक्षित ‘साइबर कमांडों’ की एक विशेष शाखा हैं। इन साइबर कमांडों के द्वारा साइबर खतरों का तेजी से जवाब दिया जाएगा। यह प्रशिक्षित साइबर कमांडों डिजिटल स्पेस को सुरक्षित करने में राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों और केन्द्रीय एजेंसियों की सहायता करेंगे। आपको बता दें कि पांच साल में करीब पांच हजार साइबर कमांडों तैयार किए जाएंगे।
समन्वय प्लेटफॉर्म (संयुक्त साइबर अपराध जांच सुविधा प्रणाली)
यह प्लेटफॉर्म एक वेब आधारित मॉड्यूल है। यह देश भर में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए साइबर अपराध के डेटा संग्रह, अपराध मानचित्रण, डेटा विश्लेषण और सहयोग के लिए वन स्टॉप पोर्टल के रूप में कार्य करेगा।
‘संदिग्ध रजिस्ट्री’ के बारे में
वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र की धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन क्षमताओं को मजबूत करने के लिए बैंकों और वित्तीय मध्यस्थों के सहयोग से राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) के आधार पर विभिन्न पहचानकर्ताओं की एक संदिग्ध रजिस्ट्री बनाई जा रही है।