Hindu-Muslim Relationship in india : भारत को प्राचीन काल में सोने की चिड़िया कहा जाता था, क्योंकि भारत में अकूत मात्रा में धन संपदा थी. सोना, चांदी, हीरा, जवाहरात के भंडार थे. उन्नत कृषि व्यवस्था थी. भारत से मसालों, रेशम, हाथी दांत और आभूषणों का निर्यात होता था.
राजाओं और मंदिरों के खजाने जेवरात और पैसों से भरे थे, जिसकी वजह से यहां विदेशियों का आक्रमण होता रहता था. भारत पर हमला करने वाला पहला विदेशी फारस यानी ईरान का राजा दारा प्रथम था, जो ईरान के हखामनी वंश का शक्तिशाली राजा था. उसने भारत पर 518 ईसा पूर्व में हमला किया था.
Hindu-Muslim: उसके बाद सिकंदर महान ने 326 ईसा पूर्व में हमला किया, फिर शक–कुषाण और हूणों ने भी भारत पर हमला किया था, लेकिन इनका उद्देश्य भारत से पैसे लूटना और वापस अपने घर चले जाना था. कुषाणों ने तो भारत पर शासन भी किया, जिसमें से कनिष्क सबसे महान राजा हुआ, लेकिन इन शासकों ने भारतीय संस्कृति और धर्म के साथ कोई शत्रुता नहीं की. राजा कनिष्क न तो बौद्ध धर्म के उत्थान के लिए कई कार्य किए.
यह कहानी शुरू होती है 712 ईसवी में सत्ता और धन के लालची मुहम्मद बिन कासिम से
Hindu-Muslim: भारत में इस्लाम का आगमन 712 ईसवी में हुआ था, यानी लगभग 1313 साल पहले. सऊदी अरब के मुहम्मद बिन कासिम ने भारत पर हमला किया था और सिंध (जो आज का पाकिस्तान है) को कब्जे में ले लिया था. अपनी जीत के बाद कासिम ने हारे हुए राजा दाहिर और उनके क्षेत्र के रहने वालों को जबरन इस्लाम धर्म कबूल करवाया था. कासिम की नजर भारत के पैसे और सत्ता पर तो थी ही, उसका उद्देश्य इस्लाम का प्रचार करना भी था.
कासिम का भारत आना और इस्लाम का प्रसार
Hindu-Muslim: भारत को पहले दारा प्रथम, सिकंदर, हूण, कुषाण और शक ने लूटा था. लेकिन इनमें से किसी ने भी इतने बड़े पैमाने पर भारत की आत्मा पर हमला नहीं किया था,जितना कासिम और उसकी नीति ने किया. भारत की आत्मा यानी यहां माना जाने वाला धर्म और संस्कृति. कासिम ने भारत को लूटा एक तरफ,
लेकिन उतनी ही तेजी से भारतवासियों को धर्मांतरण के लिए मजबूर भी किया. राजा दाहिर और उसकी प्रजा के सामने कासिम ने तीन शर्त रख दी थी–1. इस्लाम कबूल करके जजिया कर से मुक्ति 2. हिंदू या बौद्ध बने रहने की छूट, लेकिन जजिया कर देना होगा 3. मौत. इस वजह से आम भारतीयों में कासिम के बजाए इस्लाम धर्म के प्रति नाराजगी अधिक बढ़ी. कासिम यह चाहता था कि वह भारत में लंबे समय तक शासन करे,
लेकिन भारत के सिंध और पंजाब प्रांत में इस्लामी शासन के तीन वर्ष पूरे करने के बाद ही उसकी मौत हो गई. उसने इन प्रांतों में शरीयत कानून लागू कर दिया था. कासिम की मौत के बाद कई राजाओं ने विद्रोह किया और अपना राज्य कासिम के उत्तराधिकारियों से वापस ले लिया कुछ ने अपने धर्म में वापसी की और कुछ ने नहीं की, क्योंकि कुछ इलाकों पर अभी भी अरबों का शासन था.
कासिम के बाद किसने बढ़ाई नफरत
मुहम्मद बिन कासिम के बाद भारत पर हमला करने वाला प्रमुख मुसलमान शासक था महमूद गजनवी जिसने भारत पर 17 बार आक्रमण किया और यहां के प्रमुख मंदिरों को लूटा, जिसमें सोमनाथ मंदिर प्रमुख है. उसका उद्देश्य भारत के संपन्न मंदिरों को लूटना और इस्लाम का विस्तार करना था, जिसके लिए उसने बर्बरता की. उसने 1001-1027 तक में 17 बार हमला किया.
Hindu-Muslim: इस्लामिक साम्राज्य की स्थापना के लिए मुहम्मद गौरी ने भारत पर हमला किया
मुहम्मद गोरी जो अफगानिस्तान का शासक था उसने भारत पर इस्लाम के प्रचार के लिए आक्रमण किया था. उसने पृथ्वी राज चौहान को हराकर दिल्ली पर कब्जा किया था. पृथ्वी राज की राजधानी पहले अजमेर थी बाद में उन्होंने दिल्ली को राजधानी बनाया था. मुहम्मद गोरी ने भारत पर मुस्लिम शासन स्थापित करने की कोशिश की और इ
स कोशिश में उसने दिल्ली सल्तनत की स्थापना की और अपने सेनापति बख्तियार खिलजी के जरिए नालंदा विश्वविद्यालय में आग लगवा दी थी. साथ ही विक्रमशिला विश्वविद्यालय को भी नष्ट किया था. गोरी के बाद उसके गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली सल्तनत का विस्तार किया. इस काल में भी हिंदुओं पर अत्याचार हुआ, भारी–भरकम कर लगाए गए, मंदिर तोड़े गए और सामाजिक भेदभाव किया गया.
तैमूरलंग ने 1398 में इस्लामी सत्ता को मजबूत करने के लिए भारत में भयंकर कत्लेआम किया
तैमूरलंग तुर्क-मंगोल आक्रमणकारी था, जिसने 1398 ईसवी में भारत पर हमला किया था और दिल्ली में भयंकर कत्लेआम भी किया था. उसके शिकार हिंदू मंदिर और प्रजा थी. उसने लाखों निर्दोष हिंदुओं और मुसलमानों को भी मारा था. वह अपने खौफ से भारत में इस्लामिक राज्य स्थापित करना चाहता था. उस वक्त दिल्ली सल्तनत पर तुगलक वंश का शासन था, जो कमजोर हो चुका था. तैमूरलंग के बाद दिल्ली सल्तनत और बिखर गया और मुगल भारत आकर राजा बन गए.
1526 में बाबर भारत आया और मुगलों का शासन स्थापित किया
Hindu-Muslim: बाबर तैमूर लंग और चंगेज खान का वंशज था, उसका उद्देश्य नए आशियाने की तलाश था और उसने भारत को मुगलों का ठिकाना बनाया. उसने इब्राहिम लोदी को हराकर भारत में मुगलों की सत्ता स्थापित की थी. बाबर ने हिंदुओं का नरसंहार किया. उसका उद्देश्य भारत में जिहाद करना और इस्लाम का प्रचार करना था, जैसा कि बाबरनामा में लिखा गया है. उसने राजपूतों से युद्ध किया और मंदिरों का विध्वंस किया. उसकी वजह से कई राजपूत राजा मारे गए और उनकी पत्नियों ने जौहर किया, जिसने इस्लाम और मुगलों के प्रति जनता में नफरत फैलाई.
Hindu-Muslim: इतिहास में घटी घटनाओं पर अब विवाद की वजह
भारत में मुगलों का प्रवेश लगभग 500 साल पहले हुआ था और बाबर ने भारत पर हमला करके दिल्ली सल्तनत के सुल्तान इब्राहिम लोदी को पराजित कर दिया था. यानी भारत में मुगलों से पहले भी मुसलमान शासक थे, जो यहां स्वीकार कर लिए गए थे. अब विवाद इस बात को लेकर चल रहा है कि बाबर को भारत आने और दिल्ली सल्तनत के सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराने का न्यौता मेवाड़ के राजा राणा सांगा ने दिया था, इसलिए बाबर को आक्रांता कहना गलत है इसकी बजाय राणा सांगा को गद्दार कहना चाहिए. इस बात पर लोगों की भावनाएं आहत हैं,
कोई बाबर का पक्ष ले रहा है तो कोई राणा सांगा का. औरंगजेब ने हिंदुओं पर अत्याचार किया था, यह एक ऐतिहासिक घटना थी और जिसे अब बदला नहीं जा सकता. इस मसले पर अपनी राय व्यक्त करते हुए मौलाना तहजीब कहते हैं कि इतिहास की घटनाओं पर अभी विवाद करना महज सियासत है. इन बातों से आम लोगो का कोई वास्ता नहीं है, उन्हें अपनी रोजी-रोटी से फुर्सत नहीं है, वे कहां बाबर और राणा सांगा के लिए अपना समय खर्च करने वाले हैं. इनके लिए समय खर्च करेंगे जो राजनीति करते हैं. लेकिन संघ की ओर से भैया जी जोशी ने औरंगजेब की कब्र को लेकर जो बयान दिया है
वह स्वागत योग्य है. औरंगजेब भारत का शासक था, वह एक अच्छा शासक नहीं था, यह मैं भी मानता हूं, उसने सिर्फ हिंदुओं पर ही नहीं शिया मुसलमानों पर भी कई पाबंदी लगाए और अत्याचार किया, लेकिन वह एक अच्छा शासक नहीं था इसका यह मतलब नहीं है कि हर मुगल शासक बुरा था. मुगल शासकों को हिंदू पसंद करते थे, कई राजपूत उनके मित्र थे.
औरंगजेब की नीतियों ने भारत में मुगलों का पतन करवाया
औरंगजेब से पहले जो मुगल शासक हुए उन्होंने हिंदुओं को साथ लेकर चलने की कोशिश की थी और अपना भारतीयकरण कर लिया था, लेकिन औरंगजेब उनसे अलग शासक था. संत जेवियर काॅलेज के इतिहास विभाग के एचओडी (विभागाध्यक्ष) संजय सिन्हा कहते हैं कि औरंगजेब एक कट्टर शासक था.
उसकी नीतियों से प्रजा खुश नहीं थी, जिसकी वजह से कई विद्रोह भी हुए जिसमें सनातनी विद्रोह, सिख विद्रोह और कई अन्य विद्रोह शामिल हैं. औरंगजेब ने कई ऐसी नीति बनाई, जो अन्य धर्म के लोगों के लिए अच्छी नहीं थी, इसके अलावा उसने कई तरह के टैक्स भी हिंदुओं पर लगाएं,
जिसकी वजह से मुगल साम्राज्य के पतन की शुरुआत हो गई. यह भी कहा जा सकता है कि औरंगजेब की नीतियों ने ही देश में मुगलों को कमजोर किया और अंग्रेज मजबूत होते चले गए और भारत पर कब्जा कर लिया. इतिहास की घटनाओं पर विवाद करने की बजाय उनसे सीख लेनी चाहिए, आम लोगों को ना तो ठीक से मुगलों का इतिहास पता है और ना ही उनका उससे कोई विशेष वास्ता.
मुसलमान का आदर्श कभी बादशाह नहीं हो सकता
औरंगजेब एक कट्टर शासक था और उसने हिंदुओं पर अत्याचार किया, इस बात की पुष्टि कई इतिहासकारों ने की है. जदुनाथ सरकार जैसे वरिष्ठ इतिहासकार और विलियम डेलरिम्पल जैसे आधुनिक इतिहासकार भी यह मानते हैं कि औरंगजेब ने प्रजा पर अत्याचार किया था.
ऐसे में सवाल यह है कि औरंगजेब जैसा शासक मुसलमानों का आदर्श हो सकता है, लेकिन महाराणा प्रताप नहीं. वहीं हिंदू क्यों नहीं अकबर को अपना आदर्श शासक मानते हैं, जबकि उसने हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की. उसने अपनी हिंदू पत्नी को मुसलमान धर्म अपनाने के लिए बाध्य नहीं किया? मौलना तहजीब कहते हैं
कि जो लोग औरंगजेब को अपना आदर्श मानते हैं उनको यह जानना चाहिए कि एक मुसलमान के लिए आदर्श सिर्फ अल्लाह के रसूल और उनके खानदान वाले हैं, बाकी किसी को भी वे अपना आदर्श नहीं मान सकते हैं. प्रोफेसर संजय सिन्हा कहते हैं कि अकबर एक ऐसा मुगल शासक था, जिसके प्रशसंक थे.
हिंदू-मुस्लिम के बीच खाई की क्या है वजह?
रामधारी सिंह दिनकर ने संस्कृति के चार अध्याय में लिखा है- ‘हिंदू मुसलमानों से रोटी-बेटी का संबंध नहीं रखते थे. इसका मुख्य कारण यह था कि मुसलमान हमलावर जाति के थे. यह पंक्ति इस बात को पुख्ता करती है कि हिंदू-मुस्लिम के बीच खाई सिर्फ अलग धर्म की वजह से नहीं बल्कि आक्रमण यानी शक्ति संघर्ष की वजह से भी थी.
प्रोफेसर संजय सिन्हा और मौलाना तहजीब दोनों यह मानते हैं कि दोनों धर्म के लोगों के बीच खाई की वजह धर्म नहीं बल्कि उनका अलग-अलग रहन-सहन और खानपान है. दोनों का तौर-तरीका एक दूसरे के उलट है.
हिंदू और मुसलमान के बीच शादी अभी भी समाज में स्वीकार्य क्यों नहीं?
भारतीय समाज में हिंदू और मुसलमानों के बीच शादी आज भी आम नहीं है. हां, सेलिब्रेटी इस तरह की शादी करते हैं, लेकिन आम आदमी इसे अभी भी स्वीकार नहीं कर पाता है. समाजशास्त्र की असिस्टेंट प्रोफेसर स्नेहा बताती हैं कि दोनों धर्म के लोगों की बीच जो दूरी है उसकी वजह है उनका समाजीकरण.
समाजीकरण यानी उनकी परवरिश कैसी है, क्या सीखकर वे पले-बढ़े हैं. हर धर्म और जाति में शादी को लेकर नियम बनाए गए हैं, जब उसे तोड़ा जाता है, तो विरोध होता है. हिंदू और मुसलमान के बीच शादी की बात तो छोड़ दें अगर ये दोनों धर्म के लोग अपनी ही उपजातियों में शादी करते हैं, तो उसे भी वो सम्मान नहीं मिलता है,
जो उसकी जाति की लड़की या लड़के को मिलता है. यानी यहां मामला रूल तोड़ने का है, जिससे धर्म भी जुड़ा है. जब धर्म के नियम टूटते हैं तो विवाद होता है.
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह भैया जी जोशी ने यह बयान दिया है कि औरंगजेब यहीं मरा था, इसलिए उसकी कब्र यही हैं. इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. संभवत: अब यह विवाद थम जाए क्योंकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को यह बयान दिया है कि कब्र नहीं हटाया जाएगा. समाज को यह समझने की जरूरत है कि आखिर हिंदू और मुस्लिम के बीच सौहार्द क्यों बार-बार बिगड़ जाता है? आखिर दबी नफरत रह-रह कर सामने क्यों आ जाती है?