Shani Sade Sati Dhaiya Upay: सावन मास भगवन शिव के पूजन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. भगवन शिव का पूजन करने से मनोकामना पूर्ण होता है. सावन मास भगवन शिव के पूजन से आपके ऊपर बने हुए कई ग्रहों के अशुभ प्रभाव को समाप्त कर सकते है यह मास का अधिपति शिव है जिसे इस माह में भगवान शिव पृथ्वी पर अवतरित होकर अपने ससुराल गए थे. वहां पर उनका स्वागत जलाभिषेक से किया गया. यही कारण है भगवन शिव को प्रसन्न करने के लिए जलाभिषेक करना बहुत जरूरी होता है.
भू लोक में जब भी असुरों से परेशानी बनी तब भगवान शिव सभी कष्ट दूर किए शास्त्र में वर्णित यह है, की सावन महीने में भगवन विष्णु योगनिन्द्रा में चले जाते है इसलिए यह समय भक्त,साधू संत सभी के लिए बहुत ही अमूल्य समय होता है. पूरे चार महीने में होने वाला यह वैदिक युग होता है इस चार महीने का उत्तरदायित्व शिव के पास रहता, इसलिए यह माह ग्रह दोष दूर करने के लिए कल्याणकारी महीना होता है.ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा के अनुसार जनमानस में फैले चाहे शनि की साढ़ेसाती हो या ढैया उनका प्रभाव शिव पूजन से कम हो जाता है.
Shani Sade Sati Dhaiya Upay: जन्मकुंडली में कैसे बनता है शनि की साढ़ेसाती या ढैया
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जन्मकुंडली के गोचर में जन्म राशि से बारह भाव में भ्रमण करने लगता है, तब शनि की साढ़ेसाती आरम्भ हो जाता और गोचर में दुसरे भाव में शनि आते तब तक रहता है. वास्तव में देखा जाय 45 अंश से 45 अंश के बाद तक जब भ्रमण करता है, तब उनकी साढ़ेसाती रहती है. इसी तरह जन्मकुंडली में गोचर में चतुर्थ भाव या अष्टम भाव में शनि के विराजमान होने से शनि का ढैया आरम्भ हो जाता है