गुरुग्राम : अमेरिकी नागरिकों से ठगी करने वाले फर्जी काल सेंटर का भंडाफोड़ किया गया है। गुरुग्राम साइबर थाना साउथ की टीम ने बुधवार रात तकनीकी सहायता से उद्योग विहार फेस दो स्थित एक बिल्डिंग में बने ऑफिस से इस काल सेंटर को पकड़ा।
यहां से मैनेजर, आठ महिलाओं समेत 18 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया। ये सभी क्विक बुक्स नाम की अकाउंटिंग कंपनी की फर्जी वेबसाइट बनाकर कथित रूप से तकनीकी सहायता देने के नाम पर लोगों से ठगी करते थे।
टीम तैयार कर बुधवार रात ऑफिस में मारा गया छापा
गुरुग्राम एसीपी साइबर क्राइम प्रियांशु दीवान ने बताया कि साइबर साउथ थाना पुलिस (Gurugram Police) को गुरुग्राम,उद्योग विहार फेस दो स्थित एक बिल्डिंग में बने ऑफिस में फर्जी कॉल सेंटर का संचालन होने की जानकारी मिली थी। इस पर टीम तैयार कर बुधवार रात ऑफिस में छापेमारी की गई।
यहां पर मैनेजर समेत 18 युवक-युवतियों को पकड़ा गया। इनकी पहचान अंबाला के जग्गी कालोनी निवासी गौरव बख्शी, दिल्ली के उत्तम नगर निवासी देवाशीष चटर्जी, हितेश मलिक, निधि, रोहिणी निवासी अनमोल, भावना, करोलबाग निवासी कनिष्क नरूला, सीमापुरी निवासी रोहित सिंह, फरीदाबाद के सेक्टर 84 निवासी आशीष मैथ्यू। बिहार के पटना निवासी कुणाल, छत्तीसगढ़ के भिलाई निवासी देवेंद्र देवगन, हिमाचल के कांगड़ा निवासी आर्यमन ठाकुर, राजस्थान के जयपुर निवासी सीता, बरन निवासी शिवानी, मध्य प्रदेश के रायसीना निवासी मुस्कान राजपूत।
मणिपुर के चुराचंदपुर निवासी लहींगनेहट हायकिप, उखरुल जिला निवासी शरोन व नगमथिंगचों के रूप में की गई। इनसे पूछताछ में ठगी की जानकारी मिलने पर सभी को गिरफ्तार कर लिया गया। इनके विरुद्ध थाने में संबंधित धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई।
गुरुग्राम: गौरव था मैनेजर, मिल रही थी डेढ़ लाख सैलरी
पूछताछ में पता चला कि आरोपित गौरव बख्शी एक अन्य व्यक्ति के कहने पर काल सेंटर को मैनेजर के रूप में संचालित कर रहा था। इसे इस काम के लिए डेढ़ लाख रुपये तथा अन्य कर्मचारियों को प्रतिमाह लगभग 30 हजार रुपये वेतन मिलता था। आरोपित यह काल सेंटर फरवरी 2024 से अपने साथियों के साथ चला रहा था। गुरुग्राम से जालसाजी में प्रयोग किए जाने वाले 17 सीपीयू बरामद किए गए हैं। मैनेजर को तीन दिन के रिमांड पर लेकर काल सेंटर संचालित कराने वाले आरोपित के बारे में आगामी पूछताछ की जाएगी। फिलहाल आरोपित ने संचालक का नाम गुरुग्राम निवासी सुमित चौहान बताया है।
सिस्टम को रिमोट पर लेकर फर्जी समस्या दिखाते थे
पूछताछ में पता चला कि आरोपित अमेरिकी नागरिकों को सॉफ्टवेयर सपोर्ट और अकाउंटिंग सपोर्ट की कस्टमर केयर सर्विस प्रदान करने के नाम पर ठगी करते थे। आरोपित गूगल पर एक नामी कंपनी के कस्टमर केयर हेल्पलाइन नंबर से विज्ञापन चलवाते थे।जब नागरिकों द्वारा टोल फ्री नंबर पर कॉल की जाती थी
तो ये लोग वीसीएल डायलर और थ्रीसीएक्स डायलर साफ्टवेयर के माध्यम से कॉल को रिसीव करते थे। कंपनी का प्रतिनिधि बताकर उनकी समस्या दूर करने के नाम पर उनके कंप्यूटर में स्क्रीन शेयरिंग एप्लीकेशन डाउनलोड करवाते थे। इसके बाद कंप्यूटर सिस्टम का रिमोट एक्सेस प्राप्त कर लेते थे। कथित रूप से समस्या का निदान करने के नाम पर उनसे 200 से एक हजार डॉलर ले लेते थे। आरोपितों ने क्विक बुक्स अकाउंटिंग कंपनी के नाम पर फर्जी वेबसाइट बनाई थी।