सऊदी अरब में उमरा से लौटने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने बवाली बयान दिया है. उन्होंने कहा, ”इसमें कोई संदेह नहीं है कि मुसलमान असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. मैं भारत सरकार से इसे रोकने के लिए कहूंगा. 24 करोड़ मुसलमानों को समंदर में नहीं फेंका जा सकता. उन्हें (सरकार को) मुसलमानों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष ने आगे कहा, ”हमारे संविधान में धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है. उन्हें यह याद रखना चाहिए. अगर वे संविधान को नष्ट कर देंगे, तो भारत कहां रहेगा?… उमरा के दौरान मैंने अल्लाह से इबादत की है कि वह हमारी परेशानियों को कम करे और भाईचारा बरकरार रखे. उन्होंने कहा कि केंद्र को सांप्रदायिक तनाव वाली गतिविधियों पर रोक लगानी चाहिए. भारत के 24 करोड़ मुसलमानों को समुद्र में नहीं फेंक सकते है. मुसलमान समान व्यवहार का हकदार है. भारत के संविधान में सभी धर्म और भाषाएं समान हैं.”
कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी के खिलाफ नहीं- फारूक अब्दुल्ला
फारूक अब्दुल्ला ने आगे कहा कि कोई भी कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी के खिलाफ नहीं है. उन्होंने कहा, ”कश्मीरी पंडितों को वापस आने से कौन रोक रहा है? हर राजनीतिक दल ने कहा है कि उन्हें वापस आना चाहिए. यह उनका फैसला है कि वे कब वापस आना चाहते हैं. हमारे दिल उनके लिए खुले हैं. जब मैं मुख्यमंत्री था और स्थिति खराब थी, तब भी हमने उन्हें वापस लाने की कोशिश की थी.”
इजरायल-लेबनान युद्ध विराम पर क्या बोले?
NC के अध्यक्ष ने इजरायल-लेबनान के बीच हुए संघर्ष विराम का स्वागत किया है. इसके साथ ही उन्होंने गाजा, सीरिया और ईरान पर हमलों को भी रोकने का आह्वान किया. उन्होंने कहा, ‘‘यह (संघर्ष विराम) एक बहुत अच्छा कदम है, लेकिन इजराइल और अमेरिका द्वारा संयुक्त रूप से गाजा, सीरिया और ईरान में किए जा रहे हमलों को रोकना जरूरी है, जो आज भी जारी हैं. यह खतरनाक है. तुरंत संघर्ष विराम होना चाहिए.’’ अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘आपने (संयुक्त राष्ट्र) सुरक्षा परिषद में बहस देखी होगी. यदि सुरक्षा परिषद के अस्तित्व का कोई उद्देश्य है, तो उसे इजराइल को दिए गए निर्देशों पर काम करना चाहिए. उन्हें संघर्ष विराम लागू करना चाहिए और मानवीय सहायता की अनुमति देनी चाहिए.’’
आतंकियों को नहीं मारा जाना चाहिए भी कह चुके है फारूक
इससे पहले भी फारूक अब्दुल्ला कई बार विवादित बयान दे चुके हैं. उन्होंने हाल ही में यह भी सुझाव दिया था कि आतंकवादियों को मारा नहीं जाना चाहिए, बल्कि व्यापक नेटवर्क का पता लगाने के लिए पूछताछ के लिए हिरासत में लिया जाना चाहिए. इसकी जांच होनी चाहिए.