हथुआ राज : थावे के राजा मनन सिंह और रहशु गुरु से जुड़ा है मदनपुर माई स्थान का इतिहास, यूपी-बिहार की सीमा पर पावन गंडकी के तट पर वीटीआर के घने जंगलों के बीच मदनपुर माई का स्थान है। जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर यूपी के पनियहवा मार्ग में बगहा के बाद जंगलों के बीच से होकर जाने पर मिलता है मदनपुर माई स्थान।
चैत व शारदीय नवरात्र के अलावे भी यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ हमेशा जुटी रहती है। यहां बिहार, यूपी, नेपाल सहित अन्य प्रांतों से भी लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन को आते रहते है। हरपल यहां मेला सा नजरा रहता है। यहां जो भी भक्त श्रद्धा भक्ति से जो भी मांगता है माता उसे पुरा करती है।
यह है इतिहास : मदनपुर माई स्थान का इतिहास हथुआ राज के राजा मनन सिंह व रहसु गुरो से जुड़ा हुआ है। मंदिर के पुजारी ललन दास ने बताया कि प्राचीन काल में हथुआ राज के राजा मनन सिंह ने रहशु भगत से माता के दर्शन की इच्छा जतायी थी।
हथुआ राज के राजा मनन सिंह
माता ने चेतावनी दिया था कि जो भी उनका दर्शन प्राप्त करेगा उनका विनाश हो जाएगा। लेकिन राजा नहीं माना और फिर मां के दर्शन के उपरांत दोनों का नाश हो गया। इसी बीच राज परिवार की एक गर्भवती स्त्री अपने मायके बड़गांव इस्टेट आई हुई थी।
राजा व रहशु के विनाश के बाद उस परिवार की इकलौती औरत बड़गांव में बच गई। उसने माता की पूजा किया। फिर माता ने उसे स्वप्न में बताया कि मदनपुर में रहसु भगत की समाधि बनाकर मेरी पुजा करों सब कल्याण होगा।
इसके बाद महिला ने एक पुत्र को जन्म दिया और जंगल के बीच मदनपुर में रहशु गुरो की समाधि बनाकर वहां पिंडी स्थापित कर माता की पूजा करने लगी। इस प्रकार यह माता हथुआ व बड़गांव की देवी भी मानी जाती है। ललन दास व रंभू दास ने बताया कि उनके पहले बाबा बलजोर दास और सबसे पहले बाबा हरिचरण दास इस मंदिर के पुजारी रह चुके है।