अध्ययन के अनुसार चंद्रमा पृथ्वी से लगभग 3.8 सेंटीमीटर प्रति वर्ष की दर से दूर जा रहा है। इस वजह से 25 घंटों का एक दिन होने वाला है। वैज्ञानिकों का कहना है कि भविष्य में एक दिन में घंटों की संख्या बढ़ सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि आखिर कब तक ऐसा होगा। आइए जानते हैं वैज्ञानिकों ने इसके पीछे क्या कारण बताया है।
जहां अभी एक दिन का मतलब 24 घंटे था वहीं अब यह एक घंटे बढ़ कर 25 घंटों का एक दिन होने वाला है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अब पृथ्वी पर एक दिन का मतलब 25 घंटे हो सकता है, क्योंकि चंद्रमा लगातार हमसे दूर होता जा रहा है। विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार, चंद्रमा प्रति वर्ष लगभग 3.8 सेंटीमीटर की दर से पृथ्वी से दूर होता जा रहा है।
अध्ययन में बताया गया है कि चंद्रमा पृथ्वी से लगभग 3.8 सेंटीमीटर प्रति वर्ष की दर से दूर जा रहा है। जिसका हमारे ग्रह पर दिनों की लंबाई पर बहुत वास्तविक प्रभाव पड़ेगा। अंततः इसका परिणाम यह होगा कि 200 मिलियन वर्षों में पृथ्वी पर दिन 25 घंटे तक चलेगा। अध्ययन से पता चलता है कि 1.4 बिलियन वर्ष पहले, पृथ्वी पर एक दिन 18 घंटे से थोड़ा अधिक समय तक चलता था
पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण बल
विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के प्रोफेसर स्टीफन मेयर्स का सुझाव है कि पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण संबंध इसका मुख्य कारण हो सकता है। मेयर्स ने कहा कि जैसे-जैसे चंद्रमा दूर होता जाता है, पृथ्वी एक घूमते हुए फिगर स्केटर की तरह होती है जो अपनी बाहें फैलाते ही धीमी हो जाती है।
प्रोफेसर ने आगे कहा कि वे समय बताने में सक्षम होने के लिए ‘एस्ट्रोक्रोनोलॉजी’ का उपयोग करने का लक्ष्य बना रहे हैं। मेयर ने कहा कि हम उन चट्टानों का अध्ययन करने में सक्षम होना चाहते हैं जो अरबों साल पुरानी हैं, जिस तरह से हम आधुनिक भूगर्भीय प्रक्रियाओं का अध्ययन करते हैं
चांद का पीछे हटना कोई नई बात नहीं
जबकि चंद्रमा के पीछे हटने का सिद्धांत मनुष्य को वर्षों से ज्ञात है। विस्कॉन्सिन अनुसंधान का उद्देश्य इस घटना के ऐतिहासिक और भूवैज्ञानिक संदर्भ में गहराई से जाना है। शोधकर्ता प्राचीन भूवैज्ञानिक संरचनाओं और तलछट परतों की जांच करके अरबों वर्षों में फैले पृथ्वी-चंद्रमा प्रणाली के इतिहास को ट्रैक करने में सक्षम हैं।
निष्कर्षों से पता चला है कि चंद्रमा की वर्तमान गति अपेक्षाकृत स्थिर रही है। हालांकि, विभिन्न कारकों के कारण भूगर्भीय समय-सीमाओं में इसमें उतार-चढ़ाव होता रहा है। पृथ्वी की घूमने की गति और महाद्वीपीय बहाव को प्रमुख कारणों के रूप में पहचाना गया है