विदेशी संस्थागत निवेशकों ने महज चार कारोबारी सत्रों में भारत बाजार से 32,000 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं। इस कारण सेंसेक्स में 3,300 से अधिक अंकों की गिरावट आई है। विदेशी निवेशक चीन के बाजारों का रुख कर रहे हैं क्योंकि उन्हें वहां सस्ते में शेयर मिल रहे हैं। चीन की सरकार ने इकॉनमी में जान फूंकने के लिए हाल में प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी। इस कारण चीन और हॉन्ग कॉन्ग के बाजारों में काफी तेजी आई है। लेकिन घरेलू निवेशक इस मौके को हाथोंहाथ लेने के लिए बोरों में नोट भरकर बैठे हैं।
ईरान और इजरायल के बीच बढ़ रहे तनाव से घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट जारी रहने की आशंका है। लेकिन जानकारों का कहना है कि यह स्थिति ज्यादा लंबे समय तक नहीं रहेगी। इसकी वजह यह है कि मजबूत भारतीय मैक्रो, घरेलू तरलता और एसआईपी धन का निरंतर प्रवाह गिरावट को सीमित कर सकता है। कई अमीर निवेशक और पीएमएस फंड मैनेजर गिरावट की स्थिति में खरीदारी करने के लिए तैयार बैठे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि म्यूचुअल फंड 1.86 लाख करोड़ रुपये के बड़े नकदी ढेर पर बैठे हैं।
भारत बाजार FIIs vs DIIs
अगस्त के अंत में म्यूचुअल फंड्स का कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट प्रतिशत के रूप में उनकी कैश होल्डिंग 5 साल के उच्चतम स्तर पर थी। मॉर्निंगस्टार के आंकड़ों के अनुसार भारत में कम से कम एक अरब के फंड मूल्य वाले एक्टिव इक्विटी एमएफ ने अगस्त के अंत तक अपने पोर्टफोलियो का औसतन 5.39% नकदी में रखा। यह पिछले पांच वर्षों में उनका उच्चतम स्तर है। जेएम फाइनेंशियल सर्विसेज के राहुल शर्मा ने कहा कि एफआईआई प्रवाह बाजार को ऊंचा बनाए हुए थे और डीआईआई शांत थे। अब, यह घरेलू तरलता के लिए एक लिटमस टेस्ट होने जा रहा है।
गुरुवार को एफआईआई और डीआईआई की ताकत का मुकाबला दिखा। एफआईआई ने 15,243 करोड़ रुपये की रेकॉर्ड बिकवाली की जबकि घरेलू संस्थानों ने 12,914 करोड़ रुपये की रेकॉर्ड खरीदारी की। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के डॉ. वी. के. विजयकुमार ने कहा कि निकट भविष्य में बाजार की दिशा एफआईआई और डीआईआई के बीच चल रही रस्साकशी से प्रभावित होगी। वास्तविकता यह है कि डीआईआई के पास एफआईआई की तुलना में अधिक पैसा है और वे निवेश के लिए आतुर हैं।
क्या करें निवेशक
हॉन्ग कॉन्ग में Gavekal Research के टॉम मिलर ने कहा कि घरेलू खुदरा निवेशक अभी-अभी इक्विटी पार्टी में शामिल हुए हैं। भारतीय परिवारों की लगभग 5% संपत्ति इक्विटी में है जबकि एक तिहाई बैंकों में जमा है। जैसे-जैसे भारत का मध्यम वर्ग बढ़ रहा है, बेहतर रिटर्न की तलाश में लाखों लोग शेयर बाजार में प्रवेश कर रहे हैं। कई लोग एसआईपी का उपयोग करेंग। घरेलू म्यूचुअल फंड नकदी के ढेर पर बैठे हैं। उनका एसेट अंडर मैनेजमेंट सालाना 40% की रफ्तार से बढ़ रहा है।
चीन के प्रोत्साहन के बाद एफआईआई ने अन्य उभरते बाजारों से पैसा निकालकर चीन में निवेश करना शुरू किया है। इसी दौरान ईरान ने इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला कर दिया जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका बढ़ गई है। कोटक म्यूचुअल फंड के नीलेश शाह ने निवेशकों को मोमेंटम के बजाय क्वालिटी पर ध्यान देने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि शेयर में कमाई ही सबकुछ है। माइक्रोकैप, मिनीकैप, स्मॉलकैप से लेकर लार्जकैप और बड़े मिडकैप तक सेक्टर रोटेशन होगा।