Lalu Yadav : बिहार अगले वर्ष विधानसभा चुनाव है. सत्ताधारी एनडीए गठबंधन में शामिल बीजेपी, जदयू, हम और लोजपा में फिलहाल सब ठीक दिखाई दे रहा है. लेकिन, विपक्षी गठबंधन में शामिल राजद और कांग्रेस के बीच घमासान जारी है. इंडिया ब्लॉक के भीतर प्रेशर पॉलिटिक्स का गेम शुरू हो गया है. इसकी शुरुआत बिहार के पूर्व सीएम और राजद प्रमुख लालू यादव ने की. उन्होंने कहा कि अब इंडिया ब्लॉक की कमान राहुल गांधी की बजाय ममता बनर्जी को दे देनी चाहिए. लालू यादव ने यह बयान ऐसे ही नहीं दिया था. दरअसल Lalu Yadav को कांग्रेस के प्लान के बारे में पता चल गया है. इसके बाद उन्होंने रणनीति बदल दी. Lalu Yadav कांग्रेस के दो नेता को बिल्कुल नहीं पसंद करते क्योंकि वो तेजस्वी यादव के लिए आने वाले वक्त में चुनौती बन सकते हैं. आइये जानते हैं कांग्रेस आखिर क्या प्लान कर रही है?
बिहार में कांग्रेस पिछले कई दशक से बनी हुई है राजद की पिछलग्गू
कांग्रेस का जैसा हाल उत्तर प्रदेश में हैं ठीक वैसा ही हाल बिहार में भी है. दोनों राज्य में कांग्रेस क्षेत्रीय दलों की पिछलग्गू बनी हुई है. कहा तो यह भी जाता है कि बिहार में कांग्रेस का अध्यक्ष और प्रभारी कौन होगा ये भी लालू यादव ही तय करते हैं. उनके गुड बुक में जो कांग्रेसी नेता होते है उन्हें ही कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष और प्रभारी बनाती है. Lalu Yadav खुद एक बार कह चुके है कि बिहार कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को राज्यसभा भेजने के लिए उन्होंने ही सोनिया गांधी को कहा था.
कांग्रेस का तेवर बदला
लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस ने 2019 के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया. इसके बाद लगने लगा था कि हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी सरकार बना लेगी. लेकिन परिणाम उम्मीद के विपरीत आया और दोनों राज्यों में बीजेपी बाजी मार ले गई. दोनों राज्यों में हार के बाद कांग्रेस आलाकमान ने जो मंथन किया, उसमें दो बातों पर सबकी ने सहमति जताई. पहला कि देश की सबसे पुरानी पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन की जरूरत है. बूथ लेवल पर कार्यकर्ता को एक्टिव किया जाए. दूसरा के विधानसभा चुनावों में स्थानीय मुद्दों को जनता के समक्ष जोरदार तरीके से रखा जाए. इसकी शुरुआत सबसे पहले उत्तर प्रदेश में पार्टी की सभी इकाइयां भंग करके की गई.
कांग्रेस का प्लान
बिहार कांग्रेस में वैसे नेताओं की कमी साफ-साफ दिखती है जो अपनी बातों को प्रभावशाली ढंग से रखता हो. इसलिए कांग्रेस संगठनात्मक ढांचे में बदलाव करेगी. कांग्रेस बिहार चुनाव से पहले अपने उन दो नेताओं को आगे करने का प्लान कर रही है जिसे Lalu Yadav और तेजस्वी यादव पसंद नहीं करते. एक का नाम पप्पू यादव और दूसरे का नाम कन्हैया कुमार हैं. पप्पू यादव फिलहाल पूर्णिया से सांसद है और कन्हैया कुमार भी बेगूसराय से सीपीआई के टिकट से चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली थी.
पप्पू यादव और कन्हैया कुमार से Lalu Yadav और तेजस्वी यादव की अदावत सबको पता है. कन्हैया कुमार को 2019 में जीत इसलिए भी नहीं मिल पाई थी क्योंकि राजद ने इस सीट से अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया था. कन्हैया ने इसके बाद कांग्रेस का दामन थाम लिया था लेकिन वो बिहार की राजनीति से दूर हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस उन्हें फिर बेगूसराय से उतारने की तैयारी कर रही थी लेकिन Lalu Yadav के दबाव में उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया गया. इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें दिल्ली में उतारा.
कांग्रेस अगले साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में कन्हैया कुमार को आजमाने की तैयारी में है. Lalu Yadav को जैसे ही इसकी भनक लगी उन्होंने राहुल गांधी के नेतृत्व पर ही सवाल उठा दिया. इसके बावजूद भी कांग्रेस इस बार दबने के मूड में नहीं है.
कांग्रेस की मांग
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में भी राजद और कांग्रेस ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. कांग्रेस पार्टी को उस वक्त 70 सीटें दी गई. इस बार कांग्रेस 70 सीट की मांग कर रही है. कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और बिहार कांग्रेस के प्रभारी शाहनवाज आलम ने इस मांग को मीडिया में बताया था. इसके अलावा उन्होंने कहा कि अगर महागठबंधन की सरकार बनेगी तो कांग्रेस पार्टी के दो नेता डिप्टी सीएम बनेंगे. एक सवर्ण और एक मुस्लिम. शाहनवाज आलम ने यह भी कहा था कि गठबंधन में कोई बड़ा या छोटा भाई नहीं होगा. सीटों में किसी प्रकार की कटौती हम स्वीकार नहीं करेंगे.
पप्पू यादव भी खेला करने को तैयार
लोकसभा चुनाव से पहले पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया था. कांग्रेस पार्टी का दामन उन्होंने इसलिए थामा था कि उन्हें राहुल गांधी पूर्णिया से लोकसभा का उम्मीदवार बनायेंगे. उन्होंने कहा था कि इस बात का आश्वासन उन्हें प्रियंका गांधी ने दिया था. जैसे ही यह बात Lalu Yadav और तेजस्वी यादव को पता चली उन्होंने जदयू विधायक बीमा भारती को राजद में मिला लिया और उन्हें पूर्णिया से उम्मीदवार घोषित कर दिया.
इसके बाद पप्पू यादव ने लालू यादव और तेजस्वी यादव से उनके घर जाकर मुलाकात की लेकिन कुछ नहीं बदला. हद तो तब हो गई जब पूर्णिया में प्रचार के दौरान तेजस्वी यादव ने कह दिया कि आप लोग अपना वोट राजद को नहीं देंगे तो एनडीए को दे दीजिए, किसी और को नहीं दीजिये. उनका साफ-साफ इशारा पप्पू यादव को लेकर था. अब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पप्पू यादव को भी तेजस्वी से बदला लेने का मौका मिल जाएगा.
कन्हैया से Lalu Yadav को कैसा डर
कन्हैया कुमार तेजस्वी यादव से अधिक पढ़े-लिखे हैं. कन्हैया कुमार अपने वाक्पटुता से विपक्षी दल के किसी भी नेता को कुछ देर के लिए सोचने पर मजबूर कर देते हैं. टीवी डिबेट हो या किसी मुद्दे पर बात रखनी हो, कन्हैया हर जगह प्रभावशाली ढंग से बात रखते हैं. ऐसे में अगर कन्हैया बिहार की राजनीति में सक्रिय हो जाते हैं तो लोग तेजस्वी और इनके बीच तुलना करने लगेंगे. यह बात तेजस्वी के लिए कहीं से सही नहीं होगा. लालू यादव इस बात से भलीभांति परिचित हैं.