पहले टीएमसी अब समाजवादी पार्टी, संसद में कैसे बंट गया इंडिया गठबंधन, 2024

संसद में कैसे बंट गया इंडिया : संसद के शीतकालीन सत्र में इंडिया गठबंधन बंटा नजर आ रहा है। इंडिया गठबंधन में मतभेद मंगलवार को और अधिक स्पष्ट हो गए। तृणमूल कांग्रेस के समाजवादी पार्टी ने लोकसभा में अडानी मुद्दे पर कांग्रेस के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शन में शामिल होने से परहेज किया। इससे पहले कांग्रेस, आप, राजद, शिवसेना, द्रमुक और वाम दलों के सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारे लगाए और मांग की कि कॉरपोरेट घराने की तरह कथित भ्रष्टाचार के लिए जवाबदेही तय की जाए। साथ ही मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग दोहराई।

संसद में कैसे बंट गया इंडिया : सपा, टीएमसी नहीं हुए शामिल

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, आरजेडी की मीसा भारती और शिवसेना यूबीटी के अरविंद सावंत ने संसद के मकर द्वार की ओर जाने वाली सीढ़ियों पर विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। आगे की कार्यवाही में भाग लेने के लिए वापस लौटने से पहले विपक्ष ने कुछ देर के लिए सदन से वॉकआउट किया। इस दौरान सपा और टीएमसी की अनुपस्थिति साफ दिखाई दे रही थी।

संसद में कैसे बंट गया इंडिया : टीएमसी ने अडानी विवाद से किया किनारा

टीएमसी ने अडानी विवाद को ज्यादा प्राथमिकता नहीं दी है। पार्टी ने तर्क दिया है कि संसद सत्र का उपयोग बेरोजगारी, मूल्य वृद्धि और केंद्र द्वारा विपक्षी शासित राज्यों के खिलाफ धन आवंटन में कथित भेदभाव के मुद्दों को उठाने के लिए किया जाना चाहिए। सोमवार को कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर इंडिया ब्लॉक की बैठक में शामिल नहीं हुई थी।

संसद में कैसे बंट गया इंडिया : तो रविवार को चलेगी संसद

स्पीकर ओम बिरला ने सदस्यों को चेतावनी दी कि अगर सदन की कार्यवाही स्थगन के कारण और बाधित होती है, तो उन्हें खोए हुए समय की भरपाई के लिए सप्ताहांत में कार्यवाही बुलानी होगी। सरकार और विपक्षी दलों ने संसद में एक सप्ताह से चल रहे गतिरोध को समाप्त करने के लिए सोमवार को समझौता किया। इसमें दोनों सदनों में संविधान को अपनाने के 75वें वर्ष पर चर्चा के लिए तारीखों की घोषणा की गई।

संसद में कैसे बंट गया इंडिया : अखिलेश ने उठाया संभल मुद्दा

जैसे ही लोकसभा में प्रश्नकाल शुरू हुआ, सपा के अखिलेश यादव ने संभल हिंसा का मुद्दा उठाया। लोकसभा स्पीकर बिरला से इस विषय पर बोलने की अनुमति मांगी। उन्होंने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है। पांच लोगों की जान चली गई है। जबकि स्पीकर ने सुझाव दिया कि इस मुद्दे को शून्यकाल के दौरान उठाया जा सकता है। यादव और उनकी पार्टी के साथी विरोध में वॉकआउट करने लगे।

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