Mahabharat: श्रीकृष्ण से मिले इतने भयानक शाप को आज कलियुग में भी ढो रहा है-2025

Mahabharat कथा के अनुसार अश्वत्थामा का नाम महान योद्धाओं की सूची में नहीं बल्कि शापित योद्धाओं की सूची में शामिल किया जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि अश्वत्थामा ने एक ऐसा पाप किया था, जो किसी भी योद्धा को महान नहीं बल्कि कायरता की श्रेणी में खड़ा कर देता है। असल में अश्वत्थामा ने रणभूमि के बाहर एक ऐसा पाप किया था, जिसे अमानवीय भी माना जाता है।

द्रौपदी के पांचों पुत्रों का वध करने वाले अश्वत्थामा को स्वंय श्रीकृष्ण ने शाप दिया था। अश्वत्थामा को कलियुग के अंत तक भटकने का शाप मिला था। इसी शाप के आधार पर आज भी माना जाता है कि अश्वत्थामा आज भी जंगलों में अपने घावों के साथ भटकते हुए शापित जीवन बिता रहे हैं। आइए, जानते हैं Mahabharat के शापित योद्धा अश्वत्थामा की कहानी।

Mahabharat: श्रीकृष्ण से मिले इतने भयानक शाप को आज कलियुग में भी ढो रहा है-2025

Mahabharat, पांडवों ने छल का सहारा लेकर गुरु द्रोणाचार्य का वध किया था। वास्तव में गुरु द्रोणाचार्य को कई दिव्यास्त्रों को चलाने का ज्ञान था। कई महान योद्धाओं को प्रशिक्षित करने वाले गुरु द्रोण भी महान योद्धा थे। Mahabharat उन्हें सरलता से हराया नहीं जा सकता था। इस बात को समझते हुए श्रीकृष्ण के कहने पर पांडवों ने छल से गुरु द्रोण का वध किया था। गुरु द्रोण अपने पुत्र अश्वत्थामा से बहुत प्रेम करते थे। रणभूमि पर अश्वत्थामा पांडव पक्ष के अन्य योद्धाओं के साथ युद्ध कर रहा था।

रणभूमि पर मौजूद अश्वत्थामा नाम के हाथी को मारकर भीम ने कहा कि ‘अश्वत्थामा मारा गया… अश्वत्थामा मारा गया।’ इस पूरी घटना को इस तरह से रुपातंरित किया गया कि गुरु द्रोण शोक में डूबकर धरती पर विचलित होकर घुटनों के बल बैठ गए। उन्हें लगा कि उनका पुत्र अश्वत्थामा मारा गया है। इसके बाद मौका पाते ही धृष्टद्युम्न ने पीछे से आकर गुरु द्रोण का सिर धड़ से अलग कर दिया।

अश्वत्थामा को जब पता चला कि गुरु द्रोण का वध छल से किया गया है, तो उसने अंदर प्रतिशोध की ज्वाला धधक उठी। अश्वत्थामा ने पांडवों के वंश का विनाश करने का प्रण लिया। इसके बाद अश्वत्थामा ने पांडव सेना पर नारायणस्त्र से प्रहार किया लेकिन श्रीकृष्ण ने पांडवों सहित सभी योद्धाओं को बचा लिया। इसके बाद अश्वत्थामा का क्रोध यहां ही शांत नहीं हुआ,

बल्कि उसने पांडवों के शिविर में जाकर पांडवों को निद्रा में ही मारने की योजना बनाई लेकिन उस रात शिविर में द्रौपदी के पांचों पुत्र अपनी मां और पांचों पांडवों से मिलने आए थे। जब ये पांचों बालक नींद में सो रहे थे, तो अश्वत्थामा पांचों का वध कर दिया। कुछ कहानियों में इस बात का उल्लेख भी मिलता है कि अश्वत्थामा ने जानबूझकर पांडव पुत्रों का वध किया था।

अश्वत्थामा का क्रोध यहीं पर शांत नहीं हुआ बल्कि जब श्रीकृष्ण और पांडवों को अश्वत्थामा के इस जघन्य पाप के बारे में पता चला, तो उसे अपनी करनी पर बिल्कुल भी लज्जा नहीं आई। अर्जुन क्रोध में आकर ब्रह्मास्त्र से अश्वत्थामा पर प्रहार करना चाहते थे लेकिन श्रीकृष्ण के समझाने पर अर्जुन ने ब्रह्मास्त्र रोक लिया।

दूसरी तरफ अपने प्राणों की रक्षा के लिए अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र अर्जुन पर छोड़ दिया। श्रीकृष्ण ने जब अश्वत्थामा को ब्रह्मास्त्र रोकने के लिए कहा, तो उसने ब्रह्मास्त्र की दिशा अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल शिशु की तरफ मोड़ दी। श्रीकृष्ण ने अपनी शक्ति से उत्तरा के मृत शिशु को फिर से जीवित कर दिया। अश्वत्थामा के बढ़ते आंतक को रोकना बहुत आवश्यक हो गया था।

भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को दिया भयानक शाप

भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को दिया भयानक शाप


क्रोध और प्रतिशोध की अग्नि में जलता हुआ अश्वत्थामा अंधा हो चुका था। ऐसे में श्रीकृष्ण को अश्वत्थामा को रोकना बहुत आवश्यक लगा क्योंकि प्रतिशोध की ज्वाला में जलता अश्वत्थामा पूरे संसार के विनाश का कारण भी बन सकता था। श्रीकृष्ण ने द्रौपदी और पांडवों के मासूम पुत्रों का वध करने और एक गर्भस्थ शिशु को मारने का प्रयास करने के लिए अश्वत्थामा को दंड दिया। कृष्ण ने अश्वत्थामा की दिव्य मणि उसके माथे से निकाल ली।

इसके बाद भी अश्वत्थामा शांत नहीं हुआ और श्रीकृष्ण पर प्रहार करने लगा। अश्वत्थामा के प्रायश्चित के लिए श्रीकृष्ण ने उसे शाप दिया कि ‘तुम अपने पिता की मृत्यु को स्वीकार नहीं कर पा रहे हो, इसलिए मृत्यु का सत्य तुमसे कलियुग के अंत तक दूर ही रहेगा। तुमने ऐसा पाप किया है कि तुम मनुष्यों के बीच रहने के लायक नहीं हो, इसलिए तुम हमेशा भटकते रहोगे। तुम्हारा शरीर लघु और गंध से भरा रहेगा, जिससे तुम्हें अपने पाप याद आएंगे

कलियुग में क्या आज भी भटकता है Mahabharat का शापित योद्धा अश्वत्थामा

कलियुग में क्या आज भी भटकता है महाभारत का शापित योद्धा अश्वत्थामा

अश्वत्थामा के बारे में कहा जाता है कि श्रीकृष्ण के शाप के प्रभाव से अश्वत्थामा युगों-युगों से भटक रहे हैं। अश्वत्थामा के बारे में कई सुनी-सुनाई कहानियां भी सुनने को मिलती है। कई लोगों ने वन में घूमते 7 फुट लंबे मनुष्य को देखने का दावा भी किया है। इस मनुष्य के शरीर से लहू टपकता रहता है और दूर से ही गंध आती है। हालांकि, इन दावों में कितनी सच्चाई है, इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती लेकिन महाभारत की कथा के अनुसार श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को कलियुग के अंत तक भटकने का शाप जरूर दिया था।

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